<p style="text-align: justify;">बरसात के मौसम में गर्मी से राहत तो मिल जाती है लेकिन कई सारी बीमारियां भी एक्टिव हो जाती है. यह सभी बीमारियां इंफेक्शन खासकर बैक्टीरिया और वायरस से जुड़ी होती हैं. जैसा कि आपको पता है बरसात आते ही डेंगू के मामले तेजी में बढ़ने लगते हैं. डेंगू में प्लेटलेट्स तेजी से गिरने लगते हैं लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि डेंगू सिर्फ शरीर पर ही नहीं बल्कि दिमाग और शरीर के पूरे न्यूरोलॉजिकल सिस्टम पर भी बुरा असर डालता है. </p>
<p style="text-align: justify;"><strong>क्या कहते हैं हेल्थ एक्सपर्ट?</strong></p>
<p style="text-align: justify;">डेंगू और डेंगू से जुड़ी न्यूरोलॉजिकल परेशानियों के बारे में फोर्टिस हॉस्पिटल के प्रिंसिपल डायरेक्टर और चीफ ऑफ न्यूरोलॉजी डॉ. प्रवीण गुप्ता ने अपनी राय रखी है. उन्होंने कहा कि डेंगू बुखार मच्छर के काटने के कारण होता है. मॉनसून में तेजी से मच्छर पनपने लगते हैं.</p>
<p style="text-align: justify;">हालांकि इसके शुरुआती लक्षण फ्लू जैसे ही होते हैं. लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि डेंगू का असर हमारे शरीर के न्यूरोलॉजिकल सिस्टम पर भी पड़ता है. डेंगू के लक्षण कई तरह से दिखते हैं. लेकिन हजारों में से किसी एक व्यक्ति में ब्रेन से संबंधित लक्षण दिखाई देते हैं. इसमें डेंगू का वायरस ब्रेन तक पहुंच जाता है. जिसके कारण सेंट्रल नर्वस सिस्टम से जुड़े शरीर पर कई लक्षण दिखाई देते हैं. इस बीमारी का नाम डेंगू इंसेफेलाइटिस है.</p>
<p>डेंगू के न्यूरोलॉजिकल लक्षण हजार में से एक इंसान पर दिखाई देता है. इसके केसेस हालांकि बहुत कम हैं. इससे होने वाली बीमारी एन्सेफलाइटिस, मेनिन्जाइटिस और मायलाइटिस शामिल हैं. ये स्थितियां वायरस ब्लड के जरिए दिमाग तक पहुंच जाती है. जिससे यह दिमाग के अंदर सूजन और रीढ़ की हड्डी में सूजन कर इंफेक्शन पैदा करती है. </p>
<p>डेंगू इंसेफेलाइटिस के कारण शॉक सिंड्रोम की स्थिति शुरू होती है. यह इंसान का ब्रेन से जुड़ा हुआ है. डेंगू की बीमारी के कारण लोगों में न्यूरोलॉजिकल लक्षण दिखाई देते हैं. जिसे इंसेफेलाइटिस कहते हैं. यह बीमारी इंसान के दिमाग पर बहुत बुरा असर डालती है. इसके कारण इंसान के मानसिक स्थिति में कई तरह के बदलाव होते हैं. व्यक्ति कोमा में भी जा सकता है. </p>
<p><strong>डेंगू इंसेफेलाइटिस के न्यूरोलॉजिकल लक्षण</strong></p>
<p>व्यक्ति का नर्वस सिस्टम पूरी तरह से डैमेज हो जाता है</p>
<p>व्यक्ति कई बार कोमा तक में जा सकता है</p>
<p>व्यक्ति के सोचने-समझने की शक्ति पूरी तरह से खत्म हो जाती है</p>
<p>व्यक्ति के दिमाग में कई तरह की दिक्कतें शुरू हो जाती है. </p>
<p><strong>Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.</strong></p>
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