<p style="text-align: justify;">वेस्ट दिल्ली के बिंदापुर में रहने वाले 72 साल के एक व्यक्ति को जापानी इंसेफेलाइटिस होने की खबर मिली है. बताया जा रहा है कि उन्हें सीने में दर्द के बाद 3 नवंबर को अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में भर्ती कराया गया था. नगर स्वास्थ्य विभाग ने गुरुवार को राष्ट्रीय राजधानी में 13 साल बाद जापानी इंसेफेलाइटिस (जेई) का पहला मामला दर्ज किया है.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>ब्रेन इंफेक्शन से जुड़ी गंभीर बीमारी है</strong></p>
<p style="text-align: justify;">यह ब्रेन इंफेक्शन से जुड़ी गंभीर बीमारी है. यह इतनी ज्यादा खतरनाक है कि इससे जान भी जा सकती है. बताया जाता है कि यह बीमारी पश्चिमी दिल्ली के बिंदापुर के 72 साल के व्यक्ति को हुई है. सीने में दर्द के बाद उन्हें 3 नवंबर को अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में भर्ती कराया गया था. JE एक जूनोटिक वायरल बीमारी है जो जेई वायरस के कारण होती है. इस बीमारी की केस मृत्यु दर (सीएफआर) बहुत अधिक है और जो लोग बच जाते हैं. वे विभिन्न प्रकार के न्यूरोलॉजिकल परिणामों से पीड़ित हो सकते हैं. इस वायरस ने आखिरी बार 2011 में दिल्ली में दस्तक दी थी, जिसमें 14 लोग संक्रमित हुए थे.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>कैसे फैलती है यह बीमारी?</strong></p>
<p style="text-align: justify;">जापानी एंसेफिलाइटिस सीधे एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में नहीं फैलती. यह मच्छरों के जरिए फैलती है, जो आमतौर पर संक्रमित सूअर या पक्षियों का खून चूसने के बाद इंसानों को काटते हैं. खासतौर पर, यह बीमारी उन इलाकों में ज्यादा होती है जहां जलभराव, धान के खेत, या गंदगी होती है. मच्छर इन जगहों पर तेजी से पनपते हैं, जिससे इस बीमारी का खतरा बढ़ जाता है. </p>
<p style="text-align: justify;">इस बीमारी के लक्षण शुरुआत में हल्के हो सकते हैं, लेकिन कुछ दिनों में ये गंभीर रूप ले सकते हैं.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>तेज बुखार:</strong> अचानक बहुत तेज बुखार आना.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>सिरदर्द:</strong> सिर में तेज दर्द महसूस होना.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>उल्टी:</strong> बार-बार उल्टी आना या मतली महसूस होना.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>दिमागी समस्याएं:</strong> कभी-कभी दिमाग में सूजन की वजह से बेहोशी, दौरे या बोलने-समझने में दिक्कत हो सकती है.</p>
<p style="text-align: justify;">ये लक्षण शुरुआत में मामूली लग सकते हैं, लेकिन जैसे-जैसे बीमारी बढ़ती है, ये गंभीर हो सकते हैं और मरीज की जान को खतरा हो सकता है. </p>
<p style="text-align: justify;"><strong>जापानी एंसेफिलाइटिस से बचाव</strong></p>
<p style="text-align: justify;"><strong>मच्छरों से बचाव</strong>: मच्छरदानी का उपयोग करें और मच्छर भगाने वाली क्रीम या स्प्रे का इस्तेमाल करें.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>साफ-सफाई रखें:</strong> घर के आस-पास पानी जमा न होने दें, ताकि मच्छर पनप न सकें.</p>
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<p style="text-align: justify;"><strong>टीकाकरण:</strong> इस बीमारी से बचने के लिए टीका उपलब्ध है. खासकर उन लोगों को टीका जरूर लगवाना चाहिए जो उन क्षेत्रों में रहते हैं जहां इसका खतरा ज्यादा है. </p>
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<p style="text-align: justify;"><strong>जरूरी जानकारी </strong><br />जापानी एंसेफिलाइटिस एक गंभीर बीमारी है, लेकिन सही जानकारी और सावधानी बरतकर इससे बचा जा सकता है. अगर आपको इनमें से कोई भी लक्षण महसूस हो, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें. मच्छरों से बचाव और साफ-सफाई का ध्यान रखकर आप इस बीमारी से खुद को और अपने परिवार को सुरक्षित रख सकते हैं. </p>
<p style="text-align: justify;"><strong>Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें</strong></p>
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