India Medicine Exports : कोरोना महामारी के दौरान दुनियाभर को मेड इन इंडिया वैक्सीन देने के बाद मेडिकल फील्ड में भारत का दबदबा लगातार बढ़ रहा है. आलम यह है कि दुनियाभर में करीब 60 फीसदी वैक्सीन भारत से निर्यात की जाती हैं, जबकि दुनियाभर में होने वाली खपत की 20 फीसदी जेनरिक दवाएं भी भारत ही भेजता है. क्या आपने कभी सोचा है कि भारत कितने देशों को दवाएं देता है? यकीन मानिए कि आप इस आंकड़े को जान लेंगे तो हैरान रह जाएंगे.
करीब 200 देशों में दवाएं भेजता है भारत
फार्मास्युटिकल एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल ऑफ इंडिया (फार्मेक्सिल) के चेयरमैन डॉ. वीरमणि के मुताबिक, फार्मास्युटिकल इंडस्ट्री में भारत का दबदबा लगातार बढ़ता जा रहा है. इस वक्त भारत दुनिया के करीब 200 देशों को दवाएं भेजता है. इनमें एपीआई में व्यापक समाधान मुहैया कराने से लेकर, तैयार दवाएं भेजना, क्लिनिकल रिसर्च और फार्माकोविजिलेंस आदि शामिल हैं. बता दें कि उन्होंने यह जानकारी ग्रेटर नोएडा के एक्सपो सेंटर में आयोजित सीपीएचआई और पी-मेक इंडिया फार्मा एक्सपो में दी थी. यहां भारतीय दवाओं का निर्यात और प्रॉडक्शन बढ़ाने के लिए नई तकनीकों पर भी चर्चा हुई थी.
सिर्फ भारत की दवाओं पर निर्भर हैं कई देश
आंकड़ों पर गौर करें तो जेनरिक दवाएं बनाने और निर्यात करने के मामले में भारत टॉप पर है. हेपेटाइटिस बी से लेकर एचआईवी और कैंसर जैसी खतरनाक बीमारियों की सस्ती दवाएं भारत में ही बनती हैं. सिर्फ अफ्रीका की बात करें तो वहां जेनरिक दवाओं की 50 पर्सेंट डिमांड भारत ही पूरी करता है. इसके अलावा अमेरिका की कुल जरूरत की 40 फीसदी तो ब्रिटेन में 25 फीसदी जेनरिक दवाएं भारत ही निर्यात करता है.
2047 तक इतना होगा भारत का दबदबा
सीपीएचआई जैसे प्लेटफॉर्म्स के डेटा पर नजर डालें तो इस फील्ड में भारत की क्षमता लगातार बढ़ रही है. इन्फोर्मा मार्केट्स इंडिया के एमडी योगेश मुद्रास के मुताबिक, इस वक्त भारत करीब 55 बिलियन डॉलर की दवाएं निर्यात करता है. अगर भारतीय रुपये में देखा जाए तो यह रकम करीब चार लाख करोड़ रुपये से ज्यादा है. 2030 तक यह आंकड़ा 130 बिलियन डॉलर तक पहुंच सकता है और और 2047 तक भारत 450 बिलियन डॉलर तक की दवाएं निर्यात करने की स्थिति में होगा. उन्होंने कहा कि दवा कारोबार में अमेरिकन और यूरोपीय देशों की नीतियां काफी ज्यादा सख्त हैं, लेकिन लेकिन बीते कुछ साल में भारतीय कंपनियों ने इन देशों में भी अपनी पैठ बनाई. अब आलम यह है कि अगर भारत को फॉर्मेसी ऑफ द वर्ल्ड कहा जाए तो भी गलत नहीं होगा.
नई थैरेपी से होगा कैंसर का इलाज?
डब्ल्यूपीओ के ग्लोबल एंबेसडर एवीपीएस चक्रवर्ती ने बताया कि कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी की काट ढूंढने के लिए भी भारतीय दवा उद्योग लगातार काम कर रहा है. इस कड़ी में कार्टिसेल थैरेपी पर चल रही रिसर्च आखिरी फेज में पहुंच चुकी है. उन्होंने बताया कि यह थैरेपी मैक्रोलाइड एंटीबायोटिक नैफिथ्रोमाइसिन तकनीक पर काम करती है. माना जा रहा है कि यह थैरेपी कैंसर के इलाज में बेहद अहम भूमिका निभा सकती है.
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