पतंजलि का कहना है कि भारतीय संस्कृति के प्रतीक योग और आयुर्वेद को वैश्विक मंच पर स्थापित करने में आयुर्वेद का योगदान अद्वितीय है. पतंजलि न केवल स्वास्थ्य उत्पादों के माध्यम से बल्कि सांस्कृतिक जागरण के जरिए भारतीय मूल्यों जैसे आध्यात्मिकता, स्वावलंबन और प्राकृतिक चिकित्सा को दुनिया भर में फैला रही है. पतंजलि का दावा है कि कंपनी ‘स्वदेशी’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ के संदेश को उत्पादों से जोड़कर एक क्रांति ला रही है.

पतंजलि ने बताया, ”कंपनी की अनूठी भूमिका इसकी बहुआयामी रणनीति में निहित है. एक ओर यह प्राचीन आयुर्वेदिक परंपराओं को पुनर्जीवित कर रही है, जहां हर्बल उत्पाद जैसे दंतकांति, दिव्य फार्मेसी की दवाएं और योगिक चिकित्सा लोगों को समग्र स्वास्थ्य की ओर ले जा रही हैं. दूसरी ओर स्वामी रामदेव के नेतृत्व में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस जैसे वैश्विक आयोजन योग को आध्यात्मिक विरासत के रूप में स्थापित कर रहे हैं. पतंजलि गुरुकुलम जैसी पहलें प्राचीन ज्ञान को संरक्षित करने के साथ-साथ सनातन धर्म के संदेश को विश्व स्तर पर पहुंचा रही हैं.”

यूरोप-एशियाई देशों में उपलब्ध हैं हमारे उत्पाद- पतंजलि

पतंजलि का दावा है, ”वैश्विक पहुंच की बात करें तो पतंजलि के उत्पाद अमेरिका, यूरोप, ऑस्ट्रेलिया और एशियाई देशों में उपलब्ध हैं, जहां प्रवासी भारतीयों के अलावा पश्चिमी उपभोक्ता भी आयुर्वेद की ओर रुख कर रहे हैं.” कंपनी की वार्षिक रिपोर्ट के मुताबिक साल 2025 में निर्यात 30% बढ़ा है. पतंजलि का कहना है कि स्थानीय अर्थव्यवस्थाओं को मजबूत करने के साथ-साथ हमारे उत्पाद विदेशी निर्भरता कम कर रहे हैं.”

लाभ कमाने के साथ-साथ सामाजिक सेवा पर जोर- पतंजलि

पतंजलि का कहना है, ”हम लाभ कमाने के साथ-साथ सामाजिक सेवा पर जोर देते हैं. मुफ्त योग शिविर, ग्रामीण स्वास्थ्य केंद्र और सांस्कृतिक उत्सवों के जरिए संस्था भारतीय मूल्यों को जीवंत बनाती है. उदाहरणस्वरूप, न्यूयॉर्क और लंदन में पतंजलि के योग केंद्र हजारों लोगों को ‘स्वास्थ्य ही धन है’ का मंत्र सिखा रहे हैं. यह भूमिका न केवल आर्थिक लचीलापन प्रदान करती है बल्कि पश्चिमी संस्कृति के बीच भारतीय परंपराओं को पुनर्स्थापित कर रही है.”

भारतीय मूल्यों को और मजबूत करेगी कंपनी- पतंजलि

विशेषज्ञों का मानना है कि पतंजलि ने आयुर्वेद को ‘सॉफ्ट पावर’ के रूप में स्थापित किया है, जो वैश्विक महामारी के बाद स्वास्थ्य जागरूकता बढ़ाने में सहायक सिद्ध हुआ. हालांकि चुनौतियां बनी हुई हैं, जैसे वैश्विक प्रतिस्पर्धा और नियामक बाधाएं, लेकिन पतंजलि का संकल्प अटल है. आने वाले सालों में यह भारतीय मूल्यों को और मजबूत करेगी, जहां योग और आयुर्वेद न केवल स्वास्थ्य का साधन होंगे बल्कि सांस्कृतिक पुल भी होंगे.



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