
इन बीमारियों के लिए रामबाण है नींबू वाली चाय, ये है पीने का सही तरीका
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Pollution and Cancer : कैंसर एक खतरनाक और जानलेवा बीमारी है. एक्सपर्ट्स की माने तो इस बीमारी (Cancer) के 95% मामलों की वजह कराब लाइफस्टाइल और प्रदूषण है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि किस वाले पॉल्यूशन से कैंसर का सबसे ज्यादा खतरा होता है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, वायु प्रदूषण के कारण हर साल लगभग 7 मिलियन लोगों की मौत हो जाती हैं, जिनमें से करीब 1.8 मिलियन लोगों की मौत कैंसर के कारण होती है. मतलब वायु प्रदूषण (Air Pollution) से कैंसर का खतरा सबसे ज्यादा होता है. वायु प्रदूषण में मौजूद हानिकारक कण और गैसें हमारे शरीर में पहुंचकर कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों का कारण बन सकती हैं.
एयर पॉल्यूशन क्यों खतरनाक
हवा में मौजूद पार्टिकुलेट मैटर (PM) हमारे फेफड़ों के लिए जहर से कम नहीं हैं. साइंटिस्ट के अनुसार पीएम 2.5 पार्टिकल कैंसर की वजह बन सकते हैं. ये हवा में मौजूद ऐसे कण हैं, जिनकी साइज 2.5 माइक्रोमीटर या उससे भी कम होता है. जिसकी वजह से समय से पहले मौत भी हो सकती है. WHO के अनुसार, PM 2.5 कण लंग्स में घुसकर खून में बह सकते हैं. इससे दिल और दिमाग दोनों को ही गंभीर तौर पर खतरा है. इससे कैंसर ही नहीं ब्रेन स्ट्रोक और हार्ट अटैक भी आ सकता है.
एयर पॉल्यूशन से कैंसर का खतरा कैसे
शोधकर्ताओं का कहना है कि समय के साथ हम सभी का DNA डैमेज होता जाता है. पीएम 2.5 पार्टिकल शरीर के बूढ़े और खराब हो चुकी कोशिकाओं को दोबारा से जिंदा कर सकते हैं. इनमें सूजन आने के कारण फेफड़े इन्हें ठीक करने का प्रयास करते हैं लेकिन 50 साल की उम्र में हर 6 लाख में से एक कोशिका में कैंसर होने की आशंका रहती है, जो प्रदूषण की वजह से एक्टिवेट हो जाते हैं और आगे चलकर लंग कैंसर (Lung Cancer) का रूप ले सकते हैं.
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प्रदूषण में मौजूद ये कण खतरनाक
1. पार्टिकुलेट मैटर (PM)
2. नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (NO2)
4. वोलेटाइल ऑर्गेनिक कंपाउंड्स (VOCs)
एयर पॉल्यूशन से कैंसर के खतरे कैसे कम करे
1. गाड़ियों का इस्तेमाल कम करें.
2. प्रदूषण फैलाने वाली फैक्ट्रियों से दूरी बनाएं.
3. पेड़ लगाएं और हरियाली को बढ़ावा दें.
4. वायु प्रदूषण को कम करने वाली चीजों का इस्तेमाल कम करें.
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लंबे वक्त तक काम करने के बाद थकावट और कमजोरी महसूस होना तो लाजमी है. लेकिन कई बार हम भरपूर नींद लेने के बाद, बिना किसी मेहनत के ही थकावट महसूस करते हैं तो ये चिंता की बात है. कभी कभार ऐसा होना चल जाता है लेकिन अक्सर आपको ये समस्या बनी रहती है तो ये एक गंभीर बीमारी की तरफ इशारा हो सकता है. यह एक तरह का सिंड्रोम होता है. मेडिकल भाषा में कहें तो इसे क्रॉनिक फटीग सिंड्रोम कहते हैं.
पुराने जमाने से तेल में डीप फ्राई की जा रही है. वहीं एयर फ्रायर कुछ सालों में ट्रेंड में बना हुआ है. ऐसा कहा जाता है कि एयर फ्रायर का इस्तेमाल आम तौर पर कैंसर के जोखिम के मामले में काफी सुरक्षित माना जाता है. क्योंकि इसमें काफी कम तेल का इस्तेमाल होता है. जो एक्रिलामाइड जैसे हानिकारक यौगिकों के निर्माण को कम करता है. जो तेल के साथ उच्च तापमान पर खाना पकाने के दौरान उत्पन्न होने वाला एक संभावित कार्सिनोजेन है. इसलिए एयर फ्राई में खाना बनाना कैंसर के जोखिम को कम करने में मदद करता है.
इन बातों का रखें खास ख्याल:
कम तेल जोखिम
एयर फ्रायर कम से कम तेल का उपयोग करते हैं. जिससे संभावित रूप से हानिकारक यौगिकों की मात्रा में भारी कमी आती है जो बड़ी मात्रा में गर्म तेल में खाना पकाने पर बन सकते हैं.
एक्रिलामाइड बनने लगता
जबकि एयर फ्राई करने से अभी भी कुछ एक्रिलामाइड का उत्पादन हो सकता है. लेकिन डीप फ्राई करने की तुलना में इसका स्तर आम तौर पर बहुत कम होता है. खासकर जब आलू जैसे स्टार्चयुक्त खाद्य पदार्थ पकाए जाते हैं.
खाना पकाने का तापमान
दोनों तरीकों में उच्च तापमान का उपयोग किया जाता है, जो अभी भी कुछ चिंताजनक यौगिकों के निर्माण का कारण बन सकता है. इसलिए खाना पकाने की विधि के बावजूद संयम महत्वपूर्ण है.
एयर फ्रायर का उपयोग करते समय इन बातों का खास ख्याल रखें
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अधिक न पकाएं: अपने खाने को जलाने से बचें क्योंकि इससे हानिकारक यौगिकों का निर्माण बढ़ सकता है.
हेल्दी तेल चुनें: अगर तेल मिला रहे हैं, तो उच्च स्मोक पॉइंट वाले स्वस्थ तेल की थोड़ी मात्रा का उपयोग करें.संभावित जोखिमों को कम करने के लिए खाना पकाने के विविध तरीकों को शामिल करें.
एयर फ्रायर में खाना पकाने के फायदे
एयर फ्रायर में बहुत कम तेल में खाना पकाया (Cooking Food in Air Fryer) जाता है. इसका इस्तेमाल भी काफी आसान होता है. इससे समय की बचत भी होती है. ऐसे लोग जो कोलेस्ट्रॉल, मोटापा और ब्लड प्रेशर बढ़ने के डर से तली हुई चीजें नहीं खा पाते हैं, वे एयर फ्रायर का इस्तेमाल कर सकते हैं. इसमें आलू टिक्की, समोसा जैसी चीजें बनाकर खा सकते हैं. हालांकि, यह कितना सही इसके लिए एक्सपर्ट्स से सलाह ले लेनी चाहिए.
एयर फ्राइंग कूकिंग से क्या नुकसान
1. ज्यादा आंच पर खाना पकाने से एयर फ्रायर में रखे फूड्स के न्यूट्रिएंट्स गायब हो सकते हैं.
2. स्टार्च वाले फूड्स चावल, मक्का और कुछ सब्जियां एयर फ्रायर में ज्यादा देर तक पकने से एक्राइलमाइड नाम का कंपाउंड बना सकते हैं, जो कैंसर का खतरा बढ़ा सकता है.
Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.
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किडनी हमारे शरीर का एक महत्वपूर्ण ऑर्गन है, जो शरीर से अतिरिक्त पानी और गंदगी को बाहर निकालने का काम करती है. किडनी के कामकाज में किसी भी तरह की गड़बड़ी से हमें गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है क्योंकि किडनी खराब होना अपने आप में एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या है. जो शरीर के लिए खतरनाक हो सकती है. किडनी का मुख्य काम शरीर से गंदगी और अतिरिक्त पानी को बाहर निकालना है.
किडनी खराब होने पर शरीर में गंदगी या पानी जमने लगता है. परिणास्वरूप हाई बीपी, हड्डियों की समस्या, पेशाब में खून आना और अन्य गंभीर लक्षण हो सकते हैं. वहीं, समय पर इलाज न मिलने पर यह स्थिति किडनी फेलियर का कारण बन सकती है. हालांकि, अगर रात में कुछ खास लक्षण महसूस हों. तो यह किडनी खराब होने का संकेत हो सकते हैं. जिन्हें पहचान कर आप किडनी को खराब होने से बचा सकते हैं.
आइए जानते हैं रात में दिखने वाले उन 5 लक्षणों के बारे में. जो किडनी खराब होने का संकेत हो सकते हैं:
रात में बार-बार पेशाब आना
कई लोगों को रात में पेशाब करने के लिए उठने की आदत होती है. लेकिन अगर आपको रात में बार-बार पेशाब आने की ज़रूरत महसूस होती है. तो यह किडनी की समस्या का संकेत हो सकता है. जब किडनी ठीक से काम नहीं करती है. तो शरीर के तरल पदार्थ ठीक से फ़िल्टर नहीं होते हैं और इससे पेशाब की आवृत्ति प्रभावित होती है.
रात में बहुत ज़्यादा प्यास लगना
किडनी के खराब होने से शरीर में पानी का संतुलन बिगड़ सकता है. जिससे रात में बहुत ज़्यादा प्यास लगती है. अगर आपको रात में बार-बार पानी पीने की आदत है. तो यह किडनी की समस्या का संकेत हो सकता है जिसे नज़रअंदाज़ नहीं करना चाहिए.
रात में बार-बार पेशाब आना
कई लोगों को रात में पेशाब करने के लिए उठने की आदत होती है. लेकिन अगर आपको रात में बार-बार पेशाब आने की ज़रूरत महसूस होती है. तो यह किडनी की समस्या का संकेत हो सकता है. जब किडनी ठीक से काम नहीं करती है. तो शरीर के तरल पदार्थ ठीक से फ़िल्टर नहीं होते हैं और इससे पेशाब की आवृत्ति प्रभावित होती है.
रात में बहुत ज़्यादा प्यास लगना
किडनी के खराब होने से शरीर में पानी का संतुलन बिगड़ सकता है. जिससे रात में बहुत ज़्यादा प्यास लगती है. अगर आपको रात में बार-बार पानी पीने की आदत है. तो यह किडनी की समस्या का संकेत हो सकता है जिसे नज़रअंदाज़ नहीं करना चाहिए.
पेशाब के दौरान दर्द और जलन
किडनी की समस्या से मूत्र मार्ग में संक्रमण या सूजन हो सकती है. जिससे पेशाब करते समय दर्द और जलन हो सकती है. यह किडनी के संक्रमण या किसी अन्य गंभीर समस्या का संकेत हो सकता है जिसके लिए तुरंत डॉक्टर के पास जाना और इलाज करवाना ज़रूरी है.
पेशाब में खून आना
पेशाब में खून आना किडनी के संक्रमण, पथरी या अन्य गंभीर समस्याओं का संकेत हो सकता है. अगर पेशाब में खून मिला हुआ दिखे, तो इसे नज़रअंदाज़ न करें. यह एक गंभीर स्थिति हो सकती है और तुरंत डॉक्टर से संपर्क करके उचित उपचार करवाना ज़रूरी है.
नींद से बार-बार जागना
किडनी की समस्या भी नींद में खलल डाल सकती है. जब किडनी शरीर से विषाक्त पदार्थों को ठीक से बाहर नहीं निकाल पाती है, तो यह शरीर में विषाक्तता पैदा करती है. जिसका असर नींद पर पड़ता है. नतीजतन, व्यक्ति को नींद से बार-बार जागने का अनुभव हो सकता है, जो किडनी की समस्या का संकेत हो सकता है.
किडनी की समस्या से मूत्र मार्ग में संक्रमण या सूजन हो सकती है. जिससे पेशाब करते समय दर्द और जलन हो सकती है. यह किडनी के संक्रमण या किसी अन्य गंभीर समस्या का संकेत हो सकता है जिसके लिए तुरंत डॉक्टर के पास जाना और इलाज करवाना ज़रूरी है.
पेशाब में खून आना
पेशाब में खून आना किडनी के संक्रमण, पथरी या अन्य गंभीर समस्याओं का संकेत हो सकता है. अगर पेशाब में खून मिला हुआ दिखे, तो इसे नज़रअंदाज़ न करें. यह एक गंभीर स्थिति हो सकती है और तुरंत डॉक्टर से संपर्क करके उचित उपचार करवाना ज़रूरी है.
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नींद से बार-बार जागना
किडनी की समस्या भी नींद में खलल डाल सकती है. जब किडनी शरीर से विषाक्त पदार्थों को ठीक से बाहर नहीं निकाल पाती है, तो यह शरीर में विषाक्तता पैदा करती है. जिसका असर नींद पर पड़ता है. नतीजतन, व्यक्ति को नींद से बार-बार जागने का अनुभव हो सकता है, जो किडनी की समस्या का संकेत हो सकता है.
Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.
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अगर आपको बहुत ज्यादा कमजोरी महसूस हो रही है या हार्ट बीट तेज चल रहा है तो इसे नजरअंदाज न करें, क्योंकि ये हार्ट अटैक आने के संकेत हो सकते हैं. एक हफ्ते पहले ही इसके लक्षण दिखाई पड़ सकते हैं.
कुछ एक्सपर्ट्स का मानना है कि हार्ट अटैक (Heart Attack) की वार्निग साइन तो 1-2 महीने पहले ही नजर आने लगते हैं, जिस पर ध्यान देकर तुरंत डॉक्टर की मदद लेनी चाहिए. आज हम आपको 5 ऐसे ही वार्निंग साइन के बारें में बताने जा रहे हैं, जो हार्ट अटैक आने से कम से कम एक हफ्ते पहले दिखाई देने लगते हैं.
हार्ट अटैक आने से पहले छाती में बहुत ज्यादा दर्द महसूस हो सकता है. यह दर्द दबाव या भारीपन जैसा भी लग सकता है. हार्ट अटैक की वजह से होने वाला दर्द आमतौर पर लेफ्ट हैंड को भी प्रभावित कर सकता है लेकिन दोनों तरफ भी असर दिख सकता है.
हार्ट अटैक आने से पहले हाथों के अलग-अलग हिस्सों में दर्द महसूस हो सकता है. कई लोग इस दर्द से छुटकारा पाने के लिए पेनकिलर खा लेते हैं लेकिन यह ठीक नहीं है, ऐसी कंडीशन में बिना देर किए डॉक्टर से मिलना सबसे अच्छा होता है.
हार्ट अटैक का दर्द सिर्फ कंधे और चेस्ट तक ही नहीं होता, यह पीठ में भी हो सकता है. अगर बिना किसी कारण पीठ में दर्द हो रहा है तो एक बार डॉक्टर के पास जाकर जांच करा लें. इससे समस्या का पता समय से पहले चल जाएगा.
हार्ट अटैक आने से पहले कंधे और बांह में दर्द महसूस हो सकता है. कई बार लोग इस दर्द को नजरअंदाज कर देते हैं, जो बाद में चलकर गंभीर हो सकता है. अगर बाएं बांह में बार-बार तेज दर्द हो रहा है तो अलर्ट हो जाएं तो तुरंत डॉक्टर से जाकर मिलें.
Published at : 12 Feb 2025 08:11 AM (IST)