बच्चों की तरह क्या वयस्क भी पी सकते हैं ब्रेस्ट मिल्क? इससे सेहत को फायदा या नुकसान

बच्चों की तरह क्या वयस्क भी पी सकते हैं ब्रेस्ट मिल्क? इससे सेहत को फायदा या नुकसान


मां का दूध नवजात शिशु के लिए अमृत समान होता है. यह शिशु के विकास और प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने के लिए आवश्यक सभी पोषक तत्वों से भरपूर होता है, लेकिन क्या वयस्कों के लिए भी यह उतना ही फायदेमंद है? आइए जानते हैं इस पर क्या कहते हैं विशेषज्ञ.

ब्रेस्ट मिल्क क्या है?

ब्रेस्ट मिल्क में प्रोटीन, वसा, कार्बोहाइड्रेट , विटामिन, खनिज और एंटीबॉडी जैसे तत्व होते हैं. यह शिशु की पाचन क्रिया के अनुरूप होता है और उसे बीमारियों से लड़ने की शक्ति देता है.

वयस्कों के लिए ब्रेस्ट मिल्क

कुछ लोगों का दावा है कि वयस्क भी ब्रेस्ट मिल्क पीकर कई फायदे उठा सकते हैं. आइए इसके बारे में जानते हैं.

  • मांसपेशियां बनाना: कुछ बॉडीबिल्डर मानते हैं कि ब्रेस्ट मिल्क में मौजूद उच्च पोषक तत्व उन्हें मांसपेशियां बनाने में मदद कर सकते हैं.
  • इम्यूनिटी बूस्टर: एंटीबॉडी और इम्यूनोमॉड्यूलेटरी गुणों के कारण इसे वयस्कों में इम्यूनिटी बूस्टर के रूप में भी देखा जाता है.
  • पाचन में सुधार: कुछ लोग इसे पाचन संबंधी समस्याओं में सहायक मानते हैं.
  • कैंसर से लड़ने में मदद: कुछ प्रारंभिक रिसर्च में यह सुझाव दिया गया है कि ब्रेस्ट मिल्क में मौजूद कुछ घटक कैंसर कोशिकाओं को खत्म करने में मदद कर सकते हैं, लेकिन यह रिसर्च मुख्य रूप से प्रयोगशाला में हुई है, मनुष्यों पर नहीं.

हालांकि, इन दावों के समर्थन में अभी तक कोई ठोस वैज्ञानिक प्रमाण या मानव पर बड़े पैमाने पर किए गए अध्ययन नहीं हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि वयस्कों को ब्रेस्ट मिल्क से वही फायदे नहीं मिलते जो एक शिशु को मिलते हैं, क्योंकि उनके पोषण संबंधी आवश्यकताएं बिल्कुल अलग होती हैं.

ये हैं संभावित नुकसान और जोखिम

वयस्कों द्वारा ब्रेस्ट मिल्क का सेवन कुछ गंभीर जोखिमों से भरा हो सकता है. खासकर यदि दूध किसी अनजान स्रोत से प्राप्त किया गया हो.

  • संक्रमण का खतरा: ब्रेस्ट मिल्क शरीर का एक तरल पदार्थ है. यदि दूध देने वाली महिला किसी संक्रामक बीमारी (जैसे एचआईवी, हेपेटाइटिस बी और सी, साइटोमेगालोवायरस या सिफलिस) से संक्रमित है और उसे इस बारे में पता नहीं है, तो दूध पीने वाले व्यक्ति को भी ये बीमारियां हो सकती हैं.
  • बैक्टीरिया का इंफेक्शन: ऑनलाइन खरीदा गया या असुरक्षित तरीके से संग्रहीत किया गया कच्चा ब्रेस्ट मिल्क बैक्टीरिया से दूषित हो सकता है. अध्ययनों में पाया गया है कि ऑनलाइन बेचे गए ब्रेस्ट मिल्क के नमूनों में बड़ी मात्रा में बैक्टीरिया पाए जाते हैं, जो निमोनिया या डायरिया जैसी बीमारियां पैदा कर सकते हैं.
  • पोषक तत्वों का असंतुलन: ब्रेस्ट मिल्क शिशुओं की जरूरतों के हिसाब से बना होता है. वयस्कों के लिए, यह पोषक तत्वों का संतुलित स्रोत नहीं हो सकता है, जिससे कुछ पोषक तत्वों की कमी या अधिकता हो सकती है.
  • पाचन संबंधी समस्याएं: कुछ वयस्कों को ब्रेस्ट मिल्क के सेवन से पाचन संबंधी समस्याएं या एलर्जी हो सकती है, क्योंकि उनका पाचन तंत्र लैक्टोज को पचाने में उतना सक्षम नहीं होता जितना शिशुओं का होता है.
  • कानूनी और नैतिक मुद्दे: ऑनलाइन ब्रेस्ट मिल्क खरीदना या बेचना कई जगहों पर कानूनी और नैतिक मुद्दों से जुड़ा हो सकता है, क्योंकि इसमें अक्सर उचित स्क्रीनिंग और विनियमन का अभाव होता है.

ऐसे में हम देख सकते हैं कि ब्रेस्ट मिल्क शिशुओं के लिए पोषण और प्रतिरक्षा का एक अद्भुत स्रोत है. वयस्कों के लिए इसके सिद्ध स्वास्थ्य लाभ न के बराबर हैं और जोखिम काफी अधिक हैं. यदि कोई वयस्क ब्रेस्ट मिल्क का सेवन करना चाहता है, तो उसे किसी भी जोखिम से बचने के लिए इसे केवल सुरक्षित और ज्ञात स्रोत से ही प्राप्त करना चाहिए. हालांकि वयस्कों के लिए वास्तव में इसकी कोई जरूरत नहीं है.

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Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

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सिर्फ HIV नहीं, बिना कंडोम संबंध बनाने से फैलती हैं ये खतरनाक बीमारियां, जान लीजिए आज

सिर्फ HIV नहीं, बिना कंडोम संबंध बनाने से फैलती हैं ये खतरनाक बीमारियां, जान लीजिए आज


एचआईवी जैसे इंफेक्शन से बचने के लिए कंडोम के बिना शारीरिक संबंध नहीं बनाने की सलाह दी जाती है. क्या आपको पता है कि बिना कंडोम शारीरिक संबंध बनाने से सिर्फ एचआईवी ही नहीं होता है, बल्कि इसकी वजह से कई गंभीर बीमारियां हो सकती हैं. आइए आपको इसके बारे में बताते हैं. साथ ही, जानते हैं कि इससे कौन-कौन सी बीमारियां हो सकती हैं?

एचआईवी और एड्स

HIV (Human Immunodeficiency Virus) को सेक्स ट्रांसमिटेड डिजीज में सबसे खतरनाक माना जाता है. अगर इसका इलाज नहीं हो तो यह AIDS (Acquired Immunodeficiency Syndrome) का कारण बनता है. दिल्ली के संक्रामक रोग विशेषज्ञ डॉ. सूर्यकांत शर्मा कहते हैं कि HIV का खतरा पार्टनर्स की संख्या और कंडोम के इस्तेमाल पर निर्भर करता है. इस बीमारी से बचने से लिए नियमित टेस्टिंग और PrEP (प्री-एक्सपोजर प्रोफिलैक्सिस) कराना चाहिए, जिससे खतरा कम होता है. अगर कोई महिला या पुरुष एक से ज्यादा पार्टनर्स के साथ शारीरिक संबंध रखते हैं तो उन्हें हर 3-6 महीने में HIV टेस्ट करवाना चाहिए.

गोनोरिया (Gonorrhea)

गोनोरिया एक बैक्टीरियल इंफेक्शन है, जो Neisseria gonorrhoeae के कारण होता है. यह बीमारी भी कंडोम के बिना शारीरिक संबंध बनाने से होती है. WHO की 2024 की रिपोर्ट के अनुसार, गोनोरिया के मामले भारत में तेजी से बढ़ रहे हैं. खासकर शहरी इलाकों में यह बीमारी काफी तेजी से फैल रही है. इस बीमारी में पुरुषों और महिलाओं के रीप्रोडक्टिव सिस्टम को नुकसान पहुंचता है, जिससे बांझपन जैसी दिक्कतें हो सकती हैं.

क्लैमाइडिया (Chlamydia)

क्लैमाइडिया (Chlamydia trachomatis) यह भी सेक्सुअल ट्रांसमिटेड बैक्टीरियल इंफेक्शन है, जो बिना लक्षणों के भी फैल सकता है. Lancet Infectious Diseases (2023) की एक स्टडी के मुताबिक, भारत में असुरक्षित यौन संबंध बनाने वाले 20-30 पर्सेंट युवाओं में क्लैमाइडिया का खतरा हो सकता है. इसकी वजह से बांझपन और प्रेग्नेंसी से संबंधित दिक्कतें हो सकती हैं. संक्रामक रोग विशेषज्ञ डॉ. श्रीकांत प्रसाद बताते हैं कि क्लैमाइडिया अक्सर साइलेंट होता है, क्योंकि इसके लक्षण नहीं दिखते हैं.

ह्यूमन पैपिलोमावायरस (HPV)

HPV वायरल इंफेक्शन है, जो असुरक्षित शारीरिक संबंध बनाने की वजह से होता है. इस इंफेक्शन की वजह से सर्वाइकल कैंसर, एनल कैंसर और जेनिटल वार्ट्स जैसी बीमारियां हो सकती हैं. बता दें कि कंडोम HPV के ट्रांसमिशन को पूरी तरह नहीं रोकता है, लेकिन यह खतरा 70 पर्सेंट तक कम कर सकता है. Indian Journal of Medical Research (2024) के मुताबिक, HPV से संबंधित सर्वाइकल कैंसर महिलाओं में दूसरा सबसे कॉमन कैंसर है.

जेनिटल हर्पीस (Genital Herpes)

जेनिटल हर्पीस Herpes Simplex Virus (HSV) के कारण होता है और स्किन के संपर्क से फैलता है. WHO की 2024 की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में करीब 10-15 पर्सेंट सेक्सुअली एक्टिव लोगों में HSV-2 का खतरा होता है. कंडोम का इस्तेमाल करने से हर्पीस का खतरा 50-60 पर्सेंट तक कम हो सकता है, लेकिन यह पूरी तरह कारगर नहीं है. दरअसल, यह वायरस स्किन के संपर्क से भी फैलता है. 

सिफलिस (Syphilis)

सिफलिस (Treponema pallidum के कारण) एक बैक्टीरियल इंफेक्शन है, जो असुरक्षित शारीरिक संबंधों से फैलता है. UNAIDS की 2024 की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में सिफलिस के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. अगर इलाज न हो तो यह हार्ट, ब्रेन और नर्वस सिस्टम को नुकसान पहुंचा सकता है. 

हेपेटाइटिस B और C

हेपेटाइटिस B और C असुरक्षित शारीरिक संबंध और ब्लड के माध्यम से फैलने वाले वायरल इंफेक्शन हैं. Lancet (2024) के अनुसार, बिना कंडोम शारीरिक संबंध बनाने से हेपेटाइटिस B का खतरा बढ़ता है, जो लिवर कैंसर और सिरोसिस का कारण बन सकता है. हेपेटाइटिस B की वैक्सीन उपलब्ध है, लेकिन हेपेटाइटिस C का कोई टीका नहीं है. ऐसे में कंडोम और सावधानी बेहद जरूरी है.

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36 साल तक प्रेग्नेंट रहा यह शख्स, पेट से निकले जुड़वा बच्चे! जानें कैसे

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चिकित्सा विज्ञान में अक्सर ऐसे मामले सामने आते हैं, जो डॉक्टरों को भी हैरान कर देते हैं. ऐसा ही एक बेहद दुर्लभ और चौंकाने वाला मामला महाराष्ट्र के नागपुर से सामने आया था, जहां एक शख्स 36 सालों से ज़्यादा समय तक जुड़वा बच्चों के साथ गर्भवती रहा. इस दुर्लभ मेडिकल स्थिति को फीटस इन फीटू के नाम से जाना जाता है.

यह मामला नागपुर के संजू भगत से जुड़ा है, जिनका पेट बचपन से ही सामान्य बच्चों की तुलना में थोड़ा फूला हुआ था. परिवार ने शुरुआत में इस पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया, लेकिन जैसे-जैसे संजू बड़े होते गए, उनका पेट असामान्य रूप से बढ़ता गया. उनका पेट इतना फूल गया था कि लोग उन्हें प्रेग्नेंट आदमी कहकर बुलाने लगे थे.

लगभग 1999 के आसपास, संजू की हालत बिगड़ने लगी. उनके पेट का बढ़ता आकार उनके डायाफ्राम पर दबाव डालने लगा, जिससे उन्हें सांस लेने में गंभीर कठिनाई होने लगी. आखिरकार, उन्हें मुंबई के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया.

डॉक्टर भी रह गए हैरान

शुरुआत में डॉक्टरों को लगा कि संजू के पेट में कोई बड़ा ट्यूमर है, जो तेजी से बढ़ रहा है. उन्होंने ऑपरेशन करने का फैसला किया. जब डॉ. अजय मेहता और उनकी टीम ने संजू का ऑपरेशन शुरू किया, तो वे अंदर का नजारा देखकर दंग रह गए. पेट के अंदर कोई ट्यूमर नहीं था, बल्कि एक आंशिक रूप से विकसित मानव भ्रूण था. डॉक्टरों ने बताया कि जब उन्होंने पेट में हाथ डाला, तो उन्हें हड्डियां महसूस हुईं. ऑपरेशन के दौरान, उन्होंने एक-एक करके मानव शरीर के कई अंग निकाले, जिनमें हड्डियां, बाल, जबड़े और शरीर के अन्य हिस्से शामिल थे. यह दृश्य इतना असामान्य था कि डॉक्टर भी चौंक गए.

क्या है फीटस इन फीटू?

फीटस इन फीटू एक बेहद दुर्लभ जन्मजात स्थिति है. यह तब होता है जब एक मोनोजायगोटिक (एक ही भ्रूण से बने) जुड़वा गर्भावस्था में, एक भ्रूण पूरी तरह से विकसित हो जाता है, जबकि दूसरा भ्रूण किसी कारणवश अविकसित रह जाता है और अपने ही विकसित होते जुड़वा बच्चे के शरीर के अंदर समा जाता है. यह अविकसित भ्रूण आमतौर पर जीवित बच्चे के पेट में या कभी-कभी शरीर के किसी अन्य हिस्से में पाया जाता है. यह अपने मेजबान भ्रूण (होस्ट फीटस) से रक्त की आपूर्ति प्राप्त करता है, लेकिन इसका अपना कोई कार्यात्मक मस्तिष्क, हृदय या अन्य महत्वपूर्ण अंग नहीं होते हैं.

संजू भगत का मामला 36 साल तक इस स्थिति के साथ जीवित रहने का एक असाधारण उदाहरण था, जिसने मेडिकल जगत में उत्सुकता पैदा की. यह घटना विज्ञान के उन रहस्यों में से एक है, जो हमें मानव शरीर और उसकी जटिलताओं के बारे में सोचने पर मजबूर करते हैं. संजू का सफल ऑपरेशन किया गया, जिसके बाद वे स्वस्थ हो गए.

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एक-दो या 10… कितने पार्टनर्स के साथ शारीरिक संबंध बनाने पर हो सकता है एड्स?

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टेक्सास में प्रैक्टिस कर रहे डॉ. हुसाम इसा के मुताबिक, शारीरिक संबंध बनाने के दौरान HIV का ट्रांसमिशन उस वक्त होता है, जब HIV से इंफेक्टेड व्यक्ति के फिजिकल फ्लूड जैसे ब्लड, स्पर्म, वजाइनल डिस्चार्ज या रेक्टल फ्लूड गैर-संक्रमित व्यक्ति के ब्लड फ्लो में एंट्री करते हैं.

टेक्सास में प्रैक्टिस कर रहे डॉ. हुसाम इसा के मुताबिक, शारीरिक संबंध बनाने के दौरान HIV का ट्रांसमिशन उस वक्त होता है, जब HIV से इंफेक्टेड व्यक्ति के फिजिकल फ्लूड जैसे ब्लड, स्पर्म, वजाइनल डिस्चार्ज या रेक्टल फ्लूड गैर-संक्रमित व्यक्ति के ब्लड फ्लो में एंट्री करते हैं.

एक्सपर्ट्स बताते हैं कि HIV या एड्स का खतरा सिर्फ पार्टनर्स की संख्या पर निर्भर नहीं करता है. इसके पीछे कई कारण जिम्मेदार होते हैं, जैसे कंडोम का इस्तेमाल, साथी का HIV स्टेटस और अन्य यौन संचारित रोगों (STIs) आदि.

एक्सपर्ट्स बताते हैं कि HIV या एड्स का खतरा सिर्फ पार्टनर्स की संख्या पर निर्भर नहीं करता है. इसके पीछे कई कारण जिम्मेदार होते हैं, जैसे कंडोम का इस्तेमाल, साथी का HIV स्टेटस और अन्य यौन संचारित रोगों (STIs) आदि.

Journal of Infectious Diseases में पब्लिश एक रिसर्च के मुताबिक, हर बार शारीरिक संबंध बनाने के दौरान HIV ट्रांसमिशन का खतरा अलग होता है. अगर बिना कंडोम के एनल सेक्स करते हैं तो हर बार संपर्क में आने पर 1.38 पर्सेंट प्रति कनेक्शन खतरा होता है. वहीं, वजाइनल सेक्स के दौरान यह खतरा 0.08% प्रति कनेक्शन होता है.

Journal of Infectious Diseases में पब्लिश एक रिसर्च के मुताबिक, हर बार शारीरिक संबंध बनाने के दौरान HIV ट्रांसमिशन का खतरा अलग होता है. अगर बिना कंडोम के एनल सेक्स करते हैं तो हर बार संपर्क में आने पर 1.38 पर्सेंट प्रति कनेक्शन खतरा होता है. वहीं, वजाइनल सेक्स के दौरान यह खतरा 0.08% प्रति कनेक्शन होता है.

एक्सपर्ट्स की मानें तो शारीरिक संबंध बनाने के दौरान एचआईवी और एड्स का खतरा पार्टनर्स की संख्या बढ़ने के साथ बढ़ता है, क्योंकि हर नया पार्टनर नया खतरा लेकर आता है. अगर वह एचआईवी पॉजिटिव है तो वह बीमारी को ट्रांसफर कर सकता है.

एक्सपर्ट्स की मानें तो शारीरिक संबंध बनाने के दौरान एचआईवी और एड्स का खतरा पार्टनर्स की संख्या बढ़ने के साथ बढ़ता है, क्योंकि हर नया पार्टनर नया खतरा लेकर आता है. अगर वह एचआईवी पॉजिटिव है तो वह बीमारी को ट्रांसफर कर सकता है.

दिल्ली के संक्रामक रोग विशेषज्ञ डॉ. जतिन आहूजा के मुताबिक, सिर्फ एक पार्टनर के साथ शारीरिक संबंध बनाना भी खतरनाक हो सकता है. अगर वह एचआईवी पॉजिटिव है तो यह दिक्कत दे सकता है. इसके बाद जैसे-जैसे पार्टनर्स की संख्या बढ़ती है, खतरा भी कई गुना बढ़ जाता है.

दिल्ली के संक्रामक रोग विशेषज्ञ डॉ. जतिन आहूजा के मुताबिक, सिर्फ एक पार्टनर के साथ शारीरिक संबंध बनाना भी खतरनाक हो सकता है. अगर वह एचआईवी पॉजिटिव है तो यह दिक्कत दे सकता है. इसके बाद जैसे-जैसे पार्टनर्स की संख्या बढ़ती है, खतरा भी कई गुना बढ़ जाता है.

अगर आपका एकमात्र पार्टनर HIV पॉजिटिव है और वह एंटी-रेट्रोवायरल थेरेपी (ART) पर नहीं है तो हर बार शारीरिक संबंध बनाने पर HIV ट्रांसमिशन का खतरा बना रहता है. The Lancet में पब्लिश मेटा-एनालिसिस के मुताबिक, यदि HIV पॉजिटिव पार्टनर ART पर है और उसका वायरल लोड अनडिटेक्टेबल है तो ट्रांसमिशन का खतरा बेद कम हो जाता है.

अगर आपका एकमात्र पार्टनर HIV पॉजिटिव है और वह एंटी-रेट्रोवायरल थेरेपी (ART) पर नहीं है तो हर बार शारीरिक संबंध बनाने पर HIV ट्रांसमिशन का खतरा बना रहता है. The Lancet में पब्लिश मेटा-एनालिसिस के मुताबिक, यदि HIV पॉजिटिव पार्टनर ART पर है और उसका वायरल लोड अनडिटेक्टेबल है तो ट्रांसमिशन का खतरा बेद कम हो जाता है.

Published at : 13 Jul 2025 09:15 AM (IST)

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टहलते वक्त ही दिखते हैं हाई कोलेस्ट्रॉल के ये 5 लक्षण, नजर आते ही भागें डॉक्टर के पास

टहलते वक्त ही दिखते हैं हाई कोलेस्ट्रॉल के ये 5 लक्षण, नजर आते ही भागें डॉक्टर के पास


हेल्दी हार्ट के लिए कोलेस्ट्रॉल का बैलेंस बनाए रखना बहुत जरूरी है, क्योंकि इसका बढ़ा हुआ स्तर नुकसानदायक हो सकता है. एक्सपर्ट्स के अनुसार, कोलेस्ट्रॉल तब बढ़ता है, जब आपके खून में बहुत ज्यादा लिपिड या फैट होता है. भले ही इसका पता जल्दी न चले, लेकिन हाई कोलेस्ट्रॉल ऐसे तरीकों से सामने आता है, जो आपके डेली रूटीन पर असर डाल सकता है. दरअसल, हाई कोलेस्ट्रॉल को साइलेंट किलर कहा जाता है, क्योंकि इसके ज्यादा लक्षण नजर नहीं आते हैं. जब आप वॉक करते है, तब हाई कोलेस्ट्रॉल के ये 5 लक्षण नजर आते हैं. 

सांस फूलना

गाजियाबाद स्थित शांति गोपाल अस्पताल के डॉ. संजय गर्ग के मुताबिक, नियमित रूप से टहलना अच्छा है, लेकिन अगर आपको टहलते समय सांस फूलने की दिक्कत हो रही है, तो यह एक समस्या हो सकती है. टहलते समय सांस फूलना हाई एलडीएल, लो-डेंसिटी लिपोप्रोटीन या खराब कोलेस्ट्रॉल का संकेत हो सकता है, जो आपके दिल और रक्त वाहिकाओं को प्रभावित करता है. डॉक्टरों का कहना है कि बढ़े हुए एलडीएल स्तर से धमनियों में प्लाक (वसा का जमाव) बनने लगता है, जिससे वे संकरी हो जाती हैं और रक्त प्रवाह बाधित होता है. इसका मतलब है कि आपके दिल को रक्त पंप करने के लिए ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है. खासकर शारीरिक गतिविधि के दौरान, जिससे आपको सांस लेने में कठिनाई होती है.

हाथों और पैरों का असामान्य रूप से ठंडा रहना

क्या आपने कभी गौर किया है कि आपके हाथ और पैर कभी-कभी असामान्य रूप से ठंडे रहते हैं. खासकर शारीरिक गतिविधि के बाद? इसका मतलब यह हो सकता है कि हाई कोलेस्ट्रॉल के स्तर के कारण रक्त परिसंचरण (ब्लड सर्कुलेशन) पर्याप्त नहीं है. विशेषज्ञों के अनुसार, जब धमनियां संकरी हो जाती हैं, तो शरीर के छोरों (हाथों और पैरों) तक रक्त का प्रवाह प्रभावित होता है, जिससे ठंडक महसूस होती है. यदि आप इस लक्षण को बार-बार महसूस करते हैं, तो अपने कोलेस्ट्रॉल और रक्त वाहिका स्वास्थ्य का आकलन करने के लिए अपने डॉक्टर से बात करना जरूरी है.

पैरों, घुटनों या टखनों में ऐंठन और दर्द

हाई कोलेस्ट्रॉल के अन्य संकेतों की तरह, आपके पैरों, घुटनों या टखनों में खराब ऐंठन और दर्द पेरिफेरल आर्टरी डिजीज (पीएडी) का लक्षण हो सकता है, जो एलडीएल कोलेस्ट्रॉल के उच्च स्तर से जुड़ा है. पैरों को रक्त की आपूर्ति करने वाली धमनियों में प्लाक जमने से रक्त प्रवाह धीमा हो जाता है, जिससे पैरों में दर्द, भारीपन और ऐंठन होती है. यह दर्द अक्सर आराम करने पर कम हो जाता है, जिसे क्लॉडिकेशन भी कहते हैं.

ज्यादा थकान

थकान हाई कोलेस्ट्रॉल का एक ऐसा लक्षण है जिसे आप शायद मानते भी नहीं होंगे, क्योंकि यह एक सामान्य समस्या है, जो ज्यादातर लोगों को होती है. हालांकि, डॉक्टरों का कहना है कि हाई कोलेस्ट्रॉल आपके शरीर को ज़्यादा एलडीएल बनाने का कारण बनता है. जैसे-जैसे यह जमा होता है, यह कठोर और चिपचिपा हो सकता है, जिससे आपके दिल को रक्त पंप करने में कठिनाई होती है. थकान दिल की मांसपेशियों को रक्त की आपूर्ति करने वाली धमनियों में प्लाक जमने के कारण भी होती है. यदि ऐसा होता है, तो रक्त प्रवाह कम हो जाता है और दिल की मांसपेशियों को ऑक्सीजन की आपूर्ति भी कम हो जाती है, जिससे थोड़ी सी भी मेहनत पर अत्यधिक थकान महसूस होती है.

सीने में दर्द

सीने में दर्द हमेशा आपके शरीर, खासकर आपके दिल के स्वास्थ्य में किसी गड़बड़ी का एक खतरनाक संकेत है और इसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए. विशेषज्ञों के अनुसार, हाई एलडीएल कोलेस्ट्रॉल एथेरोस्क्लेरोसिस में योगदान देता है. यह एक ऐसी स्थिति हैं, जहां धमनियां प्लाक जमने के कारण संकरी हो जाती हैं, जिससे एनजाइना नामक एक प्रकार का सीने में दर्द होता है जो तब होता है जब दिल की मांसपेशियों को पर्याप्त रक्त नहीं मिलता है. यदि आपको टहलते समय सीने में दबाव, जकड़न या दर्द महसूस होता है तो गंभीर स्थितियों से बचने के लिए तुरंत चिकित्सा सहायता लेना आवश्यक है.

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सुबह-सुबह पिएं पपीते का जूस, सेहत को मिलेगा फायदा और स्किन होगी चमकदार

सुबह-सुबह पिएं पपीते का जूस, सेहत को मिलेगा फायदा और स्किन होगी चमकदार


Papaya Juice for Health and Skin: हर दिन की एक अच्छी शुरुआत आपकी पूरी सेहत पर असर डाल सकती है और जब बात हो सुबह की हेल्दी आदतों की तो नेचुरल जूस का नाम सबसे पहले आता है. लेकिन क्या आपने कभी पपीते के जूस को अपनी मॉर्निंग रूटीन का हिस्सा बनाया है? अगर नहीं, तो अब करने का समय है. न्यूट्रिशन एक्सपर्ट डॉ. रॉबिन शर्मा के अनुसार, सुबह-सुबह पपीते का जूस पीना न केवल आपकी सेहत को कई स्तरों पर फायदा पहुंचाता है, बल्कि आपकी स्किन को भी अंदर से ग्लोइंग बनाता है. आइए जानते हैं, यह फल आपके शरीर में कैसे लाता है चमत्कारी बदलाव.

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क्यों फायदेमंद है पपीते का जूस?

कब्ज को करे दूर

पपीता में मौजूद एंजाइम पेपेन और फाइबर पाचन तंत्र को मजबूत बनाते हैं. सुबह खाली पेट इसका जूस पीने से कब्ज जैसी समस्याओं से राहत मिलती है.

स्किन को दे नैचुरल ग्लो

पपीता एंटीऑक्सिडेंट्स, विटामिन C और विटामिन A से भरपूर होता है, जो स्किन की गहराई से सफाई करता है और उसे नेचुरल ग्लो देता है. डेली सेवन से डार्क स्पॉट्स और पिंपल्स भी कम हो सकते हैं.

इम्यूनिटी को बनाए मजबूत

पपीता में विटामिन C की अच्छी मात्रा होती है, जो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है. बदलते मौसम में बीमार पड़ने का खतरा भी कम होता है.

वजन घटाने में मददगार

पपीते का जूस लो कैलोरी लेकिन हाई न्यूट्रिएंट्स से भरपूर होता है, जिससे पेट लंबे समय तक भरा महसूस होता है और ओवरईटिंग से बचाव होता है.

डिटॉक्स करता है शरीर

सुबह पपीते का जूस पीने से शरीर के टॉक्सिन्स बाहर निकलते हैं, जिससे किडनी और लिवर भी हेल्दी रहते हैं.

कैसे बनाएं पपीते का जूस

  • 1 कप कटे हुए पके पपीते के टुकड़े
  • आधा ग्लास ठंडा पानी या नारियल पानी
  • 1 चम्मच नींबू रस
  • थोड़ी सी पिसी हुई काली मिर्च या अदरक
  • सभी सामग्री को मिक्सर में डालकर अच्छी तरह ब्लेंड करें. बिना छाने सीधे पिएं ताकि फाइबर का पूरा लाभ मिले

अगर आप दिन की शुरुआत हेल्दी, एनर्जेटिक और नेचुरल तरीके से करना चाहते हैं तो पपीते के जूस को अपनी मॉर्निंग हैबिट में जरूर शामिल करें. यह छोटा-सा कदम आपकी स्किन, पाचन और इम्यूनिटी को बड़ा फायदा दे सकता है.

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