Interest Rate Cut: अप्रैल महीने के दूसरे हफ्ते में होने वाले आरबीआई की मॉनिटरी पॉलिसी कमिटी की बैठक में ब्याज दरों में कमी की संभावना तेज हो गई है. फरवरी महीने में खुदरा महंगाई दर के जो आँकड़े घोषित हुए हैं वो 4 फीसदी के टारगेट से भी नीचे जा फिसला है. 12 मार्च को सांख्यिकी मंत्रालय ने खुदरा महंगाई दर के आंकड़े घोषित किए जिसके मुताबिक फरवरी महीने में खुदरा महंगाई दर घटकर 3.61 फीसदी पर जा लुढ़का है जो जनवरी में 4.3 फीसदी रही थी.
अप्रैल के दूसरे हफ्ते में 7-9 अप्रैल तक आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा की अध्यक्षता में मॉनिटरी पॉलिसी कमिटी की बैठक होगी और इस बैठक में एक बार फिर महंगी ईएमआई से परेशान लोगों को राहत मिल सकती है. इससे पहले 7 फरवरी को आरबीआई ने रेपो रेट को 6.50 फीसदी से घटाकर 6.25 फीसदी कर दिया था. और अब इस बात के पूरे आसार हैं कि नए वित्त वर्ष 2025-26 के शुरू होते ही अप्रैल महीने में जब आरबीआई की मॉनिटरी पॉलिसी कमिटी की बैठक होगी तो खुदरा महंगाई दर में बड़ी गिरावट का संज्ञान लेते हुए आरबीआई फिर से रेपो रेट में कटौती का फैसला ले सकता है.
फरवरी महीने में खाद्य महंगाई दर में भारी गिरावट देखने को मिली है. फरवरी में खाद्य महंगाई दर घटकर 3.75 फीसदी पर आ गई है जो जनवरी में 5.97 फीसदी रही थी. खाद्य महंगाई लंबे समय से आरबीआई के लिए चिंता का कारण बना हुआ था. सब्जियों की कीमतों में गिरावट के चलते महंगाई में कमी आई है और बेहतर रबी फसलों के चलते महंगाई में और भी कमी आने की संभावना जताई जा रही है. जानकारों के मुताबिक, आरबीआई एमपीसी ने फरवरी महीने में रेपो रेट में 25 बेसिस प्वाइंट की कटौती की है. और अब महंगाई दर में गिरावट के बाद आने वाले मॉनिटरी पॉलिसी कमिटी की बैठक में आरबीआई की ओर से रेपो रेट में कटौती का सिलसिला जारी रह सकता है जिससे खपत और उपभोग को बढ़ावा दिया जा सके.
सीपीआई महंगाई 4 महीने के निचले लेवल पर आ पहुंची है. खाद्य वस्तुओं की कीमतों में कमी के चलते ऐसा हुआ है. खाद्य महंगाई पर नियंत्रण रखकर ही अर्थव्यवस्था में खपत को बढ़ावा दिया जा सकता है. खुदरा महंगाई दर के 4 फीसदी के करीब रहना पॉलिसी प्वाइंट के मद्देनजर सही है क्योंकि इसके चलते अप्रैल में ब्याज दरों में कटौती का संभावना खुला हुआ है. फरवरी में आरबीआई की मॉनिटरी पॉलिसी का एलान करते हुए गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा था कि, अक्तूबर 2024 में महंगाई दर के टोलरेंस बैंड के ऊपर जाने के बाद नवंबर और दिसंबर महीने में कमी देखने को मिली है.
आने वाले दिनों में सप्लाई-साइड झटकों के बगैर बेहतर खरीफ फसलों के उत्पादन, ठंड में सब्जियों की कीमतों में कमी और शानदार रबी फसलों के संभावना के चलते खाद्य महंगाई का दबाव कम हो सकता है. इस सभी बातों को ध्यान में रखते हुए मौजूदा वित्त वर्ष 2024-25 में 4.8 फीसदी महंगाई दर का अनुमान जताया गया है जबकि चौथी तिमाही में 4.4 फीसदी महंगाई दर रह सकता है.
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