इंग्लैंड में सालों से टेस्ट मैचों में ड्यूक्स बॉल का इस्तेमाल होता आ रहा है. इस समय इंग्लैंड में भारत और इंग्लैंड के बीच टेस्ट सीरीज खेली जा रही है. इस सीरीज में भी ड्यूक्स की गेंद का इस्तेमाल हो रहा है. इस गेंद को बनाने की शुरुआत इंग्लैंड के ड्यूक परिवार ने की थी. ड्यूक परिवार ने साल 1760 में कंपनी की शुरुआत की थी. 1987 में, ड्यूक्स बिजनेस को ब्रिटिश क्रिकेट बॉल्स लिमिटेड ने खरीद लिया, जिसके ओनर भारतीय बिजनेसमैन दिलीप जजोडिया थे.
ड्यूक्स बॉल की खासियत, वजन और कीमत
ड्यूक्स बॉल की सबसे बड़ी खासियत होती है कि ये गेंद हाथ से सिली जाती है. हाथ से सिली हुई गेंद की सिलाई ज्यादा उभरी होती है और लंबे समय तक बनी रहती है.
ड्यूक्स गेंद में छह पंक्तियों की सिलाई गेंद के दो हिस्सों को जोड़ने वाले कपों पर आगे-पीछे की जाती है, जिससे गेंद ज्यादा मज़बूती से जुड़ी रहती है और अपनी शेप और हार्डनेस को लंबे समय तक बनाए रखती है. अगर फील्डिंग टीम इस गेंद की अच्छे से देखभाल करे तो इसकी सिलाई लंबे समय तक साफ दिखती है.
इंग्लैंड की कंडिशन स्विंग गेंदबाज़ी के लिए ज्यादा अनुकूल होती हैं. वहां अक्सर बादल छाए रहते हैं, जमीन में नमी होती है और घास वाली पिचें होती हैं, जिससे ड्यूक्स गेंद अपनी सिलाई और शेप को लंबे समय तक बनाए रखती है. इसलिए यह गेंद हवा में ज्यादा घूमती है. हालांकि इसमें गेंदबाज की स्किल भी मायने रखती है.
इंग्लैंड की पिचें ड्यूक्स गेंद को बहुत अच्छी तरह से सपोर्ट करती हैं. यह गेंद हवा में भी मूव करती है और पिच से टप्पा खाने के बाद भी. इसका मुख्य कारण है इसकी हाथ से की गई मजबूत और उभरी हुई सिलाई.
बात करें गेंद की कीमत की तो रिपोर्ट्स के मुताबिक ये 10 से 15 हजार रुपये के बीच में होता है. वहीं इसका वजन 155 से 163 ग्राम के बीच में होता है.
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