मुंह का कैंसर बाहर से नजर आने वाला कैंसर है, इसलिए इसे शुरुआती चरण में पहचानना आसान है. अगर समय रहते पता चल जाए तो इलाज आसान हो जाता है और जान बचने की संभावना बढ़ जाती है.

अब ऐसे टेस्ट भी आ गए हैं, जिनसे बिना ज्यादा दर्द या परेशानी के जांच हो सकती है. फ्लोरोसेंस इमेजिंग और AI तकनीक मुंह के कैंसर के शुरुआती लक्षण जल्दी पकड़ सकती हैं. ये सुविधा खासकर उन जगहों के लिए उपयोगी है, जहां डॉक्टरों की पहुंच कम होती है.

अब ऐसे टेस्ट भी आ गए हैं, जिनसे बिना ज्यादा दर्द या परेशानी के जांच हो सकती है. फ्लोरोसेंस इमेजिंग और AI तकनीक मुंह के कैंसर के शुरुआती लक्षण जल्दी पकड़ सकती हैं. ये सुविधा खासकर उन जगहों के लिए उपयोगी है, जहां डॉक्टरों की पहुंच कम होती है.

नई दिल्ली के फोर्टिस अस्पताल के विशेषज्ञ डॉक्टर प्रमोद कुमार बताते हैं, एक नया टेस्ट ‘लॉलीपॉप टेस्ट’ या ‘स्वाब टेस्ट’ लार के जरिए कैंसर के संकेत जल्दी पकड़ता है. यह तरीका आसान, तेज और सटीक है, इसलिए शुरुआती पहचान के लिए इसे बहुत उपयोगी माना जा रहा है.

नई दिल्ली के फोर्टिस अस्पताल के विशेषज्ञ डॉक्टर प्रमोद कुमार बताते हैं, एक नया टेस्ट ‘लॉलीपॉप टेस्ट’ या ‘स्वाब टेस्ट’ लार के जरिए कैंसर के संकेत जल्दी पकड़ता है. यह तरीका आसान, तेज और सटीक है, इसलिए शुरुआती पहचान के लिए इसे बहुत उपयोगी माना जा रहा है.

अगर कैंसर पहले चरण में पता चल जाए, तो मरीज के 5 साल तक जीवित रहने की संभावना लगभग 80-90 प्रतिशत होती है. लेकिन अगर कैंसर शरीर के दूसरे हिस्सों में फैल गया है, तो यह संभावना बहुत कम यानी 10 प्रतिशत से भी कम रह जाती है.

अगर कैंसर पहले चरण में पता चल जाए, तो मरीज के 5 साल तक जीवित रहने की संभावना लगभग 80-90 प्रतिशत होती है. लेकिन अगर कैंसर शरीर के दूसरे हिस्सों में फैल गया है, तो यह संभावना बहुत कम यानी 10 प्रतिशत से भी कम रह जाती है.

अगर आप हर 6 महीने या साल में एक बार दांत और मुंह की जांच करवाते हैं, तो कैंसर के शुरुआती लक्षण समय रहते पकड़े जा सकते हैं. रिसर्च के अनुसार, ऐसा करने वाले मरीजों की जान बचने की संभावना ज्यादा होती है.

अगर आप हर 6 महीने या साल में एक बार दांत और मुंह की जांच करवाते हैं, तो कैंसर के शुरुआती लक्षण समय रहते पकड़े जा सकते हैं. रिसर्च के अनुसार, ऐसा करने वाले मरीजों की जान बचने की संभावना ज्यादा होती है.

अगर कैंसर तीसरे या चौथे चरण में पता चलता है, तो इलाज मुश्किल और लंबा हो जाता है. कई बार सर्जरी के साथ रेडिएशन और कीमोथेरेपी की जरूरत पड़ती है.

अगर कैंसर तीसरे या चौथे चरण में पता चलता है, तो इलाज मुश्किल और लंबा हो जाता है. कई बार सर्जरी के साथ रेडिएशन और कीमोथेरेपी की जरूरत पड़ती है.

अगर मुंह में कोई घाव, सफेद या लाल दाग, गांठ या आवाज में बदलाव दिखे, तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएं. शुरुआती चरण में पहचान से इलाज आसान हो जाता है और जान बचाना भी.

अगर मुंह में कोई घाव, सफेद या लाल दाग, गांठ या आवाज में बदलाव दिखे, तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएं. शुरुआती चरण में पहचान से इलाज आसान हो जाता है और जान बचाना भी.

Published at : 01 Aug 2025 07:48 PM (IST)

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