Gender Bias Organ Donation: कभी-कभी जिंदगी और मौत के बीच की दूरी बस एक स्वस्थ अंग होती है. ऐसे में ऑर्गन डोनेशन किसी की जिंदगी बचाने का सबसे बड़ा उपहार है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि, भारत में महिलाओं को चाहे वे डोनर हों या रिसीवर, अक्सर प्राथमिकता नहीं मिल पाती? हाल ही में राष्ट्रीय अंग और ऊतक प्रत्यारोपण संगठन (NOTTO) की एक रिपोर्ट ने इस चौंकाने वाली सच्चाई को सामने लाया है.

बता दे, इस रिपोर्ट ने न सिर्फ आंकड़ों से हैरान किया, बल्कि यह भी बताया कि, महिलाओं के साथ इस प्रक्रिया में किस तरह असमानता होती है. हालांकि ऐसा नहीं होना चाहिए. 

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चौंकाने वाले आंकड़े

  • NOTTO की रिपोर्ट में कहा गया है कि, महिला रोगियों और मृतक दाताओं के रिश्तेदारों को लाभार्थियों के रूप में प्राथमिकता देने की सिफारिश की गई है.
  • अंग प्राप्त करने वालों में पुरुषों की संख्या महिलाओं की तुलना में कहीं ज्यादा है.
  • कई मामलों में महिला डोनर्स तो अधिक हैं, लेकिन रिसीवर के तौर पर उन्हें प्राथमिकता नहीं मिलती.
  • सामाजिक, आर्थिक और जागरूकता की कमी इस असमानता का मुख्य कारण है. 

महिलाओं को क्यों नहीं मिलती प्राथमिकता?

  • सामाजिक मानसिकता – कई परिवारों में पुरुष की सेहत को प्राथमिकता दी जाती है, जिससे महिलाओं के इलाज और अंग प्रत्यारोपण में देरी होती है.
  • आर्थिक कारण – कई बार महंगे ट्रांसप्लांट का खर्च उठाने में परिवार पहले पुरुष सदस्य को चुनता है.
  • जागरूकता की कमी – ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में महिलाएं अंगदान और इसके अधिकारों के बारे में कम जानती हैं.
  • स्वास्थ्य सुविधाओं तक कम पहुंच – महिलाएं समय पर जांच और लिस्टिंग प्रक्रिया पूरी नहीं कर पातीं।

NOTTO की रिपोर्ट में क्या कहा गया 

  • अंग प्रत्यारोपण की सूची में महिला रोगियों को प्राथमिकता दी जाए
  • मृतक दाताओं के रिश्तेदारों में महिला लाभार्थियों को प्राथमिकता मिले
  • अंगदान प्रक्रिया में पारदर्शिता और समान अवसर सुनिश्चित किए जाएं
  • जागरूकता अभियान चलाकर महिलाओं को उनके अधिकारों और प्रक्रिया की जानकारी दी जाए

अंगदान में पारदर्शिता और समानता क्यों जरूरी है?

अंगदान सिर्फ चिकित्सा प्रक्रिया नहीं, बल्कि मानवता का सबसे बड़ा रूप है. अगर इसमें लिंग के आधार पर भेदभाव होगा, तो न सिर्फ नैतिकता, बल्कि जीवन बचाने की क्षमता भी प्रभावित होगी. महिलाओं को बराबरी का मौका देना जरूरी है. 

  • समाज में स्वास्थ्य संबंधी समानता आ सके
  • अंगदान के प्रति विश्वास और भागीदारी बढ़े

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Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

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