मेडिकल भाषा में कान के अंदर होने वाली आवाज को ‘टिनिटस’ कहा जाता है लेकिन यह कई तरीके के हो सकते हैं. जैसे फूंकना, दहाड़ना, भिनभिनाना, फुफकारना, गुनगुनाने, सीटी बजाने या सिज़लिंग जैसी आवाजें हो सकती है. सुनाई देने वाली आवाज़ें नरम या तेज़ हो सकती हैं. व्यक्ति को यह भी लग सकता है कि वह हवा के निकलने, पानी के बहने, सीप के अंदर की आवाज़ या संगीत के सुरों की आवाज़ सुन रहा है. टिनिटस आम समस्या है. लगभग हर कोई कभी-कभी टिनिटस के हल्के रूप को नोटिस करता है. यह आमतौर पर कुछ मिनटों तक रहता है. हालांकि, लगातार या बार-बार होने वाला टिनिटस तनावपूर्ण हो सकता है और ध्यान केंद्रित करना या सोना मुश्किल बना सकता है.
कारण
किसी व्यक्ति को शोर के बाहरी स्रोत के बिना आवाज़ें सुनने का क्या कारण है? हालांकि, टिनिटस लगभग किसी भी कान की समस्या का लक्षण हो सकता है. जिसमें शामिल हैं
कान में इंफेक्शन
कान में नुकुली वस्तुएं या मोम का चले जाना
सुनने में कमी
मेनियर रोग – एक आंतरिक कान विकार जिसमें सुनने में कमी और चक्कर आना शामिल है
यूस्टेशियन ट्यूब (मध्य कान और गले के बीच चलने वाली ट्यूब) में समस्या
एंटीबायोटिक्स, एस्पिरिन या अन्य दवाएं भी कान में शोर पैदा कर सकती हैं. यदि व्यक्ति को पहले से ही टिनिटस है, तो शराब, कैफीन या धूम्रपान से टिनिटस और भी खराब हो सकता है.
कभी-कभी, टिनिटस हाई बीपी, एलर्जी या एनीमिया का संकेत होता है. टिनिटस ट्यूमर या एन्यूरिज्म जैसी गंभीर समस्या का संकेत होता है टिनिटस के अन्य जोखिम कारकों में टेम्पोरोमैंडिबुलर संयुक्त विकार (TMJ), मधुमेह, थायरॉयड की समस्याए, मोटापा और सिर की चोट शामिल हैं. टिनिटस से किसी भी उम्र के व्यक्ति प्रभावित हो सकते हैं.
टिनिटस बीमारी क्यों होती है
एक्सपर्ट्स के मुताबिक, कई बार कान में छोटे से ब्लॉकेज के कारण भी टिनिटस हो सकता है. इसके अलावा, तेज आवाज से हियरिंग लॉस, कान में इंफेक्शन, साइनस इंफेक्शन, हार्ट डिजीज, सर्कुलेटरी सिस्टम में इंफेक्शन, ब्रेन ट्यूमर, हार्मोनल बदलाव, थायराइड बढ़ने से भी कान में सीटी सी आवाज आ सकती है.
टिनिटस कब खतरनाक
अगर आप इस बीमारी को बार-बार नजरअंदाज करते हैं तो फेशियल पैरालिसिस होने का खतरा बढ़ सकता है. हमेशा-हमेशा के लिए बहरे भी हो सकते हैं. कई बार तो इस आवाज से परेशान होकर इंसान अपनी जान तक देने की कोशिश कर सकता है. ऐसे में जरूरी है कि डॉक्टर से मिलकर थेरेपी की मदद से इसका इलाज करवाएं.
कान में आवाज आने का इलाज
1. साउंड बेस्ड थेरेपी
टिनिटस के लक्षण कम करने के लिए साउंड बेस्ड थेरेपी कारगर हो सकती है. इसमें यंत्रों की मदद से बाहर की आवाज को बढ़ाया जाता है और दिमाग तक इस आवाज को पहुंचने से छुटकारा दिलाया जाता है. हियरिंग एड, साउंड मास्किंग डिवाइस, कस्टमाइज्ड साउंड मशीन या कान में लगाए जाने वाले यंत्र इसी के उदाहरण हैं.
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2. बिहेवियरल थेरेपी
टिनिटस बहुत ज्यादा इमोशनल स्ट्रेस, डिप्रेशन, इंसोमनिया से भी होता है. इसका इलाज करने के लिए तरह तरह के बिहैवियर थेरेपी की हेल्प ली जाती है. कॉग्निटिव बिहेवियरल थेरेपी, प्रोग्रेसिव टिनिटस मैनेजमेंट की मदद से इस आवाज से छुटकारा दिलाने की कोशिश की जाती है.
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3. दवाईयों की मदद
टिनिटस को मैनेज करने के लिए एंटी एंग्जायटी ड्रग, एंटी डिप्रेशन जैसी दवाईयां दी जाती हैं. लक्षणों के आधार पर डॉक्टर दवा देते हैं.
4. लाइफस्टाइल में बदलाव
मानसिक रुप से दबाव में होने पर टिनिटस के लक्षण बढ़ सकते हैं. तनाव और एंग्जाइटी दूर करने के लिए एक्सरसाइज, योगा, मेडिटेशन, सहि डाइट और बेहतर सोशल लाइफ पर ध्यान देना चाहिए.
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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