पतंजलि ने दावा किया है कि आयुर्वेद और आधुनिक विज्ञान के मेल से बड़े से बड़े रोग का इलाज संभव है. पतंजलि ने बताया है कि कंपनी के वैज्ञानिकों ने एक शोध में पाया कि कैंसर के इलाज में इस्तेमाल होने वाली कीमोथेरेपी की दवा Doxorubicin से होने वाले हृदय रोग (कार्डियोटॉक्सिसिटी) को कार्डियोग्रिट गोल्ड नाम की आयुर्वेदिक दवा से ठीक किया जा सकता है. यह शोध दुनिया के सामने आयुर्वेद की ताकत को और मजबूती से पेश करता है.
आयुर्वेद की वैज्ञानिकता को साबित करता है यह शोध- आचार्य बालकृष्ण
पतंजलि आयुर्वेद के सीईओ आचार्य बालकृष्ण ने कहा, ”यह शोध न सिर्फ आयुर्वेद की वैज्ञानिकता को साबित करता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि अगर प्राचीन चिकित्सा पद्धतियों को वैज्ञानिक तरीके से परखा जाए तो आधुनिक चिकित्सा की जटिल समस्याओं का हल निकाला जा सकता है. कार्डियोग्रिट गोल्ड में योगेंद्र रस, अर्जुन, मोती पिष्टी, अकीक पिष्टी जैसी जड़ी-बूटियां और भस्म शामिल हैं, जो प्राचीन आयुर्वेदिक ग्रंथों में हृदय रोगों के लिए प्रभावी बताई गई हैं.”
उन्होंने आगे कहा, ”यह शोध पतंजलि के वैज्ञानिकों की मेहनत का नतीजा है और यह आयुर्वेद को फिर से स्थापित करने का एक बड़ा कदम है. जब पूरी दुनिया आयुर्वेद को अपनाने के लिए उत्सुक है, यह शोध लोगों को आयुर्वेद पर भरोसा करने का एक मजबूत कारण देता है. यह परंपरा और विज्ञान के मेल का अनमोल तोहफा है.शोध में C. elegans नाम के एक छोटे जीव पर प्रयोग किए गए.”
Journal of Toxicology में प्रकाशित हुआ शोध
पतंजलि ने दावा किया है, ”परिणामों से पता चला कि कार्डियोग्रिट गोल्ड ने इन जीवों की खाना खाने की क्षमता बढ़ाई, हृदय जैसी मांसपेशियों की स्थिति में सुधार किया और हानिकारक तत्वों (ROS) के स्तर को कम किया. साथ ही इन जीवों की लंबाई और प्रजनन क्षमता में भी बढ़ोतरी हुई. इस दवा ने Doxorubicin के स्तर को भी कम किया, जो साबित करता है कि यह हृदय रोगों को कम करने में कारगर है.यह शोध दुनिया के प्रसिद्ध रिसर्च जर्नल Journal of Toxicology में प्रकाशित हुआ है.”
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