<p><span style="font-weight: 400;">मोदी सरकार ने हाल ही में 8वें वेतन आयोग के गठन की घोषणा की, जो 2026 से लागू होगा. इस आयोग का उद्देश्य सरकारी कर्मचारियों और पेंशनर्स के वेतन और पेंशन में संशोधन करना है. इसके साथ ही, नई यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) भी 1 अप्रैल 2025 से लागू होने जा रही है. इन सबका असर ग्रेच्युटी पर भी पड़ेगा.&nbsp;</span></p>
<p><span style="font-weight: 400;">दरअसल, ग्रेच्युटी एक ऐसी राशि है, जो किसी कर्मचारी को उसकी सेवाओं के लिए लंबे समय तक नौकरी करने पर कंपनी द्वारा प्रदान की जाती है. यह एक प्रकार का रिवॉर्ड होता है, जिसे कर्मचारी को तब दिया जाता है जब वह किसी कंपनी में लगातार लंबे समय तक काम करता है. भारतीय श्रम कानून के अनुसार, एक कर्मचारी को ग्रेच्युटी का हकदार बनने के लिए कम से कम 5 साल तक किसी कंपनी में काम करना होता है.&nbsp;</span></p>
<p><strong>कंपनी में 4 साल 11 महीने काम&nbsp;</strong></p>
<p><span style="font-weight: 400;">अगर कोई कर्मचारी किसी कंपनी में 4 साल 11 महीने काम करता है, तो वह ग्रेच्युटी के हकदार नहीं होगा, भले ही वह 5 साल पूरा करने के एक महीने से कम समय दूर हो. हालांकि, नियम के अनुसार अगर कर्मचारी ने 4 साल 8 महीने तक काम किया है, तो उसे पूरे 5 साल का मानते हुए ग्रेच्युटी दी जाएगी. लेकिन अगर कोई कर्मचारी 4 साल 7 महीने या उससे कम समय तक काम करता है, तो उसे ग्रेच्युटी नहीं मिलती है, और उसकी सेवा का समय 4 साल ही माना जाता है.&nbsp;</span></p>
<p><strong>कैसे तय कि जाती है ग्रेच्युटी&nbsp;</strong></p>
<p><span style="font-weight: 400;">कंपनी में ग्रेच्युटी की राशि आमतौर पर कर्मचारी के बेसिक वेतन और सेवा वर्षों के आधार पर तय की जाती है. इसे कर्मचारी के सेवानिवृत्ति, इस्तीफा के समय दी जाती है, बशर्ते उसने 5 साल की न्यूनतम सेवा पूरी की हो. इसके अलावा, किसी कर्मचारी को अगर अचानक से काम से निकाल दिया जाए, तो भी वह ग्रेच्युटी का हकदार होता है. ग्रेच्युटी निकालने के फॉर्मूले की बात करें तो ये- ग्रेच्युटी = (अंतिम वेतन &times; 15/26) &times; पूरी की गई सेवा के वर्षों की संख्या से निकल जाएगी.</span></p>
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