Spinal Muscular Atrophy : स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी एक बेहद खतरनाक और दुर्लभ आनुवांशिकी बीमारी है. यह कई तरह की होती है. लेकिन सबसे गंभीर टाइप-1 होती है. यह बीमारी आमतौर पर बच्चों को होती है लेकिन यह युवाओं को भी हो सकती है. हेल्थ एक्सपर्ट्स के अनुसार, इस बीमारी में बच्चा अपने सिर को सहारा या बिना मदद नहीं बैठ सकता है. उसके हाथ और पैर काफी ढीले हो सकते हैं और कुछ भी निगलने में दिक्कतें आ सकती है.

इस बीमारी से जूझ रहे बच्चे सांस को कंट्रोल करने वाली मांसपेशियों में कमजोरी के कारण दो साल से ज्यादा जिंदा नहीं रह पाते हैं. आइए जानते हैं यह बीमारी किन लोगों को होती है, इसके लक्षण क्या हैं और इलाज का तरीका क्या है…

स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी बीमारी किन लोगों को होती है

स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी बीमारी आमतौर पर उन लोगों में होती है, जिनके परिवार में यह बीमारी पहले से ही होती है. इससे खासतौर पर छोटे बच्चे ज्यादा प्रभावित होते हैं. हालांकि, युवा और वयस्क भी इसकी चपेट में आ सकते हैं. यह बीमारी जीन में मौजूद एक डिसऑर्डर की वजह से होता है, जो मांसपेशियों की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाती है.

स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी के लक्षण क्या हैं

स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी टाइप-1 से ग्रसित बच्चों की मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं.

शरीर में पानी की कमी होने लगती है.

स्तनपान करने में और सांस लेने में दिक्कतें होती है.

पीड़ित बच्चों की मांसपेशियां इतनी कमजोर हो जाती हैं कि वो हिलने लायक भी नहीं रहते हैं.

स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी बीमारी से बच्चे धीरे-धीरे इतने अक्षम हो जाते हैं कि उन्हें सांस लेने के लिए वेंटिलेटर की जरूरत पड़ती है.

स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी का इलाज क्या है

इस बीमारी के लिए एक खास तरह के इंजेक्शन की जरूरत पड़ती है, जो अमेरिका से मंगाया जाता है. लेकिन यह काफी महंगा होता है. इस इंजेक्शन का नाम जोलजेस्मा (Zolgensma) है.

इसकी कीमत करीब 17 करोड़ रुपए है. यह इंजेक्शन बच्चों की मांसपेशियों को कमजोर कर उन्हें हिलने और सांस लेने में समस्या पैदा करने वाले जीन को निष्क्रिय कर देता है. यह तंत्रिका कोशिकाओं के लिए जरूरी प्रोटीन का प्रोडक्शन शुरू कर देता है. इसके बाद बच्चों का शारीरिक-मानसिक विकास सामान्य तौर से होने लगता है. 

Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.

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