कैंसर एक खतरनाक और गंभीर बीमारी है यह शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकता है. अगर वक्त रहते इसका इलाज नहीं किया जाएगा तो इससे जान भी जा सकती है. इसके कारण मरीजों की जान भी जा सकती है. इस तरह की जोखिम को कम करने के लिए आपको रेगुलर मेडिकल चेकअप करवाना चाहिए. जब कैंसर अपनी फर्स्ट स्टेज में होता है तो उसके शुरुआती टेस्ट से इस बीमारी का पता लगाया जा सकता है. ऐसा करके मरीज की लाइफ एक्सपेक्टेंसीको बढ़ाया जा सकता है. आज हम ऐसे इंफेक्शन के बारे में विस्तार से बात करेंगे जो कैंसर के जोखिम को बढ़ाते हैं. 

हेपेटाइटिस बी और सी वायरस

हेपेटाइटिस बी और सी वायरस (एचबीवी और एचसीवी) यह एक तरह का क्रोनिक इंफेक्शन हैं जो लिवर कैंसर का कारण बन सकते हैं. हेपेटाइटिस बी और सी वायरस ये वायरस ब्लड, यौन संपर्क या मां से बच्चे में फैल सकते हैं. 1985 में हेपेटाइटिस बी को रोकने के लिए पहला कैंसर टीका पेश किया गया था. ह्यूमन पेपिलोमावायरस (एचपीवी) यह वायरस गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर से जुड़ा है. यह बैक्टीरिया पेट के कैंसर के खतरे को बढ़ाता है. शिस्टोसोम यह परजीवी पेशाब के रास्ते में कैंसर से जुड़ा है. यह वायरस नासोफरीनक्स कैंसर, हॉजकिन लिंफोमा और बर्किट लिंफोमा से जुड़ा है.

यूट्राइन इंफेक्शन

यूट्रस इंफेक्शन होने पर सही इलाज बेहद जरूरी है. इससे रिकवरी तेजी में होती है. यह गंभीर रूप न ले इसलिए वक्त रहते रोकना बेहद जरूरी है. यूट्राइन इंफेक्शन का वक्त रहते इलाज नहीं किया जाएगा तो महिलाओं की फर्लिटी संबंधी दिक्कत हो सकती है. यूट्राइन इंफेक्शन के कारण कैंसर का रिस्क काफी ज्यादा बढ़ता है. यूट्राइन इंफेक्शन की वजह से सर्विक्स और यूट्रस कैंसर होने का रिस्क रहता है.

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ह्यूमन पैपिलोमा वायरस

ह्यूमन पैपिलोमा वायरस एक खास तरह का इंफेक्शन होता है जो अक्सर यौन संबंध के जरिए फैलता है. एचपीवी वायरस डीएनए सेल्स में बदलाव आते है. जिसके कारण यह कैंसर सेल्स अनियंत्रित रूप से बढ़ते हैं. ऐसा तब होता है जब किसी व्यक्ति के शरीर की इम्युनिटी कमजोर हो जाती है. और फिर शरीर एचपीवी वायरस से लड़ने में सक्षण नहीं रहता है.

Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.

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