Cricket Ball Manufacturing: भारत में क्रिकेट हर साल पहले से भी ज्यादा पॉपुलर हो जाता है. देश के हर गली-मोहल्ले में, सोसायटी ये लेकर पार्क तक, बच्चे से लेकर बड़ों तक हर कोई क्रिकेट का दीवाना है. भारत के लोग क्रिकेट खेलने के साथ ही देखना भी खूब पसंद करते हैं. लेकिन क्या कभी आपने सोचा है, जिस गेंद से आप क्रिकेट खेलते हैं, वो बॉल कैसे बनाई जाती है. उस गेंद को बनाने के लिए कौन कौन से मैटेरियल का इस्तेमाल किया जाता है, आइए जानते हैं.

कैसे बनती है क्रिकेट की गेंद?

क्रिकेट बॉल बनाने के लिए मशीनों का इस्तेमाल किया जाता है. इसके साथ ही गेंद को मजबूती देने के लिए हाथों से भी मशक्कत की जाती है, तब जाकर खेलने के लिए एक बेहतर गेंद बनकर तैयार होती है. क्रिकेट की ये बॉल लेदर या कॉर्क की बनी होती है. इस गेंद को बनाने के लिए ज्यादातर ओक (Oak) के पेड़ों की छाल का इस्तेमाल किया जाता है, इसे ही कॉर्क कहते हैं. इसे कूट-कूटकर सांचे में डाला जाता है.

कॉर्क को सांचे में ढालने के बाद इसे मजबूत आकार देने के लिए इस पर लेदर की परत चढ़ाई जाती है. इस पर लेदर चढ़ाने के बाद इसे एक सही आकार दिया जाता है. फिर इस पर लाल पट्टा चढ़ाया जाता है, जिस पर हाथ से सिलाई की जाती है. गेंद को मशीनों की मदद से पूरी तरह पहले दबाया जाता है, जिससे इसमें कहीं भी खोखलापन न रह जाए.

क्रिकेट बॉल मशीनों की मदद से सही आकार में लाने के बाद लाल पट्टा कई टुकड़ों में काटा जाता है और सही तरह से बिना किसी सिकुड़न के ठोक-ठोककर लगाया जाता है, जिससे गेंद के अंदर हवा के जाने का भी स्पेस न रहे. फिर इसकी दो से तीन लेयर में सिलाई की जाती है. क्रिकेट बॉल की मैन्युफैक्चरिंग समझने के लिए आप वीडियो भी देख सकते हैं.

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