गुरुग्राम के पारस हॉस्पिटल के डॉ. संजय गुप्ता बताते हैं कि ठंडी हवा लगने से पैरों की नसें सिकुड़ जाती हैं. इससे खून का प्रवाह कम हो जाता है और पैर ठंडे होने लगते हैं.

अगर शरीर में ब्लड फ्लो सही रहे तो शरीर को गर्माहट मिलती है. जब ब्लड सर्कुलेशन कम हो जाता है तो ऑक्सीजन पैरों की स्किन तक नहीं पहुंच पाती है.

खून का प्रवाह कम होने से पैर ठंडे होने के साथ-साथ हल्के नीले दिखने लगते हैं. यह संकेत है कि आपके पैरों तक सही मात्रा में खून नहीं पहुंच रहा है.

अगर शरीर में थायराइड हॉर्मोन कम बनते हैं (हाइपोथायरायडिज्म) तो मेटाबोलिज्म धीमा हो जाता है. इससे ब्लड सर्कुलेशन, हार्ट बीट और बॉडी टेंपरेचर गड़बड़ा जाते हैं और पैर ठंडे रहते हैं.

एनीमिया यानी खून की कमी होने पर भी पैर ठंडे रहते हैं. आयरन, फॉलेट या विटामिन B12 की कमी से यह समस्या बढ़ सकती है. किडनी की बीमारी या डायलिसिस पर रहने वालों में भी ऐसा होता है.

नसों को नुकसान (नर्व डिसऑर्डर) या फ्रॉस्टबाइट से पैरों में दर्द और ठंडापन बना रहता है. किडनी या लिवर से जुड़ी बीमारियों में भी नसें डैमेज हो सकती हैं, जिससे कोल्ड फीट की समस्या होती है.

जो लोग ज्यादा तनाव या एंग्जाइटी में रहते हैं, उनमें पैरों में खून का प्रवाह कम हो जाता है. जैसे ही तापमान गिरता है, पैर ठंडे हो जाते हैं. स्ट्रेस कंट्रोल करना जरूरी है.
Published at : 03 Aug 2025 05:25 PM (IST)