Breast Cancer Recurrence : ब्रेस्ट कैंसर यानी स्तन कैंसर- दुनियाभर में महिलाओं में होने वाला सबसे आम कैंसर (Cancer) है. WHO के अनुसार, साल 2020 में पूरी दुनिया में इस कैंसर से 685,000 लोगों की मौत हो गई थी. इस कैंसर से रिकवरी रेट 66% है. इससे भी ज्यादा खतरा है इलाज होने के बाद इसका दोबारा से लौट आना.

एक्टर आयुष्मान खुराना (Ayushmann Khurrana) की पत्नी ताहिरा कश्यप दोबारा से ब्रेस्ट कैंसर से जूझ रही हैं. सोमवार को उन्होंने इंस्टाग्राम पर एक इमोशनल पोस्ट शेयर करते हुए इसकी जानकारी दी. उन्होंने बताया कि 7 साल बाद फिर से उन्हें ब्रेस्ट कैंसर हो गया है. 2018 में ही उन्होंने पहली बार इस बीमारी को हराया था. ऐसे में सवाल उठता है कि आखिरी ब्रेस्ट कैंसर वापस कैसे लौट आता है.

ब्रेस्ट कैंसर दोबारा से क्यों होता है

ब्रेस्ट कैंसर को हराना किसी जंग जीतने से कम नहीं. लेकिन कई बार ये जंग खत्म होने के बाद भी पूरी तरह खत्म नहीं होती, क्योंकि कुछ सालों बाद वही ब्रेस्ट कैंसर दोबारा लौट सकता है. हेल्थ एक्सपर्ट्स का कहना है कि  जब ब्रेस्ट कैंसर का इलाज सर्जरी हो, कीमोथैरेपी या रेडिएशन से किया जाता है, तब भी शरीर में कुछ कैंसर सेल्स Microscopic लेवल पर बच सकती हैं. ये सेल्स कुछ समय तक शांत रहती हैं और बाद में दोबारा एक्टिव हो सकती हैं. इसे मेडिकल टर्म में ‘Recurrence’ यानी कैंसर का दोबारा से उभरना है.

Recurrence तीन तरह के होते हैं

1. लोकल रिकरन्स (Local Recurrence) –  जहां पहली बार कैंसर हुआ था, उसी जगह पर फिर से आना.

2. रीजनल रिकरन्स (Regional Recurrence) – बगल के लिम्फ नोड्स या टिशूज में दोबारा कैंसर फैलना.

3. डिस्टेंट रिकरन्स (Distant Recurrence)- जब कैंसर फेफड़ों, लीवर, हड्डियों या दिमाग तक पहुंच जाए.

Recurrence का खतरा कब ज्यादा

कई रिसर्च में पाया या है कि ब्रेस्ट कैंसर (Breast Cancer) का रिस्क पहले 2 से 5 सालों में सबसे ज्यादा होता है. लेकिन कुछ मामलों में 10 साल बाद भी Recurrence देखा गया है. ऐसे में सावधान रहने की जरूरत है.

क्या होते हैं कारण

कैंसर का स्टेज और ग्रेड पहले कितने गंभीर थे.

हार्मोन रिसेप्टर स्टेटस

BRCA1 या BRCA2 जैसे जीन म्यूटेशन

आधा-अधूरा इलाज या थेरेपी 

लाइफस्टाइल फैक्टर्स जैसे- मोटापा, स्मोकिंग, शराब

लंबे समय तक कमजोर इम्यूनिटी

दोबारा ब्रेस्ट कैंसर न हो, क्या करें

1. एक्सपर्ट्स के अनुसार, इलाज पूरा करवाना ज़रूरी है चाहे साइड इफेक्ट्स हों, हार मत मानिए.

2. नियमित फॉलो-अप चेकअप करवाते रहें. साल में एक-दो बार जरूर करवाएं.

3. हेल्दी डाइट, नियमित एक्सरसाइज और स्ट्रेस मैनेजमेंट

4. लक्षणों पर नज़र रखें, सीने में गांठ, दर्द, थकान, वजन कम होना नजरअंदाज न करें.

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