वजह कोई भी हो, साइंस और पुरानी मान्यताएं दोनों ही बताती हैं कि 3 से 5 बजे के बीच के समय को कभी-कभी वुल्फ ऑवर (Wolf Hour) भी कहते हैं. ऐसा तब होता है, जब आपकी बॉडी इमोशनल ओवरलोड, हार्मोनल चेंजेस और सबकॉन्शियस बेचैनी के प्रति सबसे ज्यादा सेंसिटिव होती है. आइए जानते हैं आखिर इस जागने के क्या मायने हैं और इसे कैसे रोका जाए.

सीनियर कंसल्टेंट (रेस्पिरेट्री, क्रिटिकल केयर और स्लीप मेडिसिन) डॉ. प्रतिभा डोगरा (एमबीबीएस, एमडी) बताती हैं कि अगर आप हर दिन रात के 3-4 बजे के आसपास जाग रहे हैं और फिर से सो नहीं पा रहे हैं, तो सावधान हो जाइए.

सीनियर कंसल्टेंट (रेस्पिरेट्री, क्रिटिकल केयर और स्लीप मेडिसिन) डॉ. प्रतिभा डोगरा (एमबीबीएस, एमडी) बताती हैं कि अगर आप हर दिन रात के 3-4 बजे के आसपास जाग रहे हैं और फिर से सो नहीं पा रहे हैं, तो सावधान हो जाइए.

उन्होंने बताया कि रात में हमारा शरीर कई स्लीप साइकिल से गुजरता है. इसके तहत रात में कई बार आपकी नींद खुल सकती है, जिसके बाद आपको फौरन नींद आ भी जाती है. ऐसा होना नॉर्मल है.

उन्होंने बताया कि रात में हमारा शरीर कई स्लीप साइकिल से गुजरता है. इसके तहत रात में कई बार आपकी नींद खुल सकती है, जिसके बाद आपको फौरन नींद आ भी जाती है. ऐसा होना नॉर्मल है.

स्लीप साइकल के कई चरण होते हैं, जिसमें शुरुआत में नींद हल्की होती है. फिर आप गहरी नींद और उसके बाद रेपिड आई मूवमेंट स्लीप में चले जाते हैं, जिसमें आप सपना देख रहे होते हैं. नींद में खलल पड़ने के पीछे कई वजहें हो सकती हैं, जो दूसरी सेहत से जुड़ी दिक्कतों की वजह बनती हैं.

स्लीप साइकल के कई चरण होते हैं, जिसमें शुरुआत में नींद हल्की होती है. फिर आप गहरी नींद और उसके बाद रेपिड आई मूवमेंट स्लीप में चले जाते हैं, जिसमें आप सपना देख रहे होते हैं. नींद में खलल पड़ने के पीछे कई वजहें हो सकती हैं, जो दूसरी सेहत से जुड़ी दिक्कतों की वजह बनती हैं.

स्ट्रेस और एंजाइटी बॉडी को हाइपर विजिलेंट स्टेट में रख सकते हैं, जिससे नींद में खलल पड़ सकता है. रात के बीच में जागना अक्सर दिन के दौरान दबे हुए चिंताजनक थॉट्स या नकारात्मक विचारों के कारण होता है.

स्ट्रेस और एंजाइटी बॉडी को हाइपर विजिलेंट स्टेट में रख सकते हैं, जिससे नींद में खलल पड़ सकता है. रात के बीच में जागना अक्सर दिन के दौरान दबे हुए चिंताजनक थॉट्स या नकारात्मक विचारों के कारण होता है.

सर्कैडियन रिदम, जो बॉडी की इंटरनल क्लॉक है, स्लीप-वेक साइकिल को कंट्रोल करती है. इरेगुलर स्लीप शेड्यूल, जेट लैग या लाइट के एक्सपोजर में कमी इस रिदम को डिस्टर्ब कर सकती है, जिससे सुबह जल्दी जागना हो सकता है.

सर्कैडियन रिदम, जो बॉडी की इंटरनल क्लॉक है, स्लीप-वेक साइकिल को कंट्रोल करती है. इरेगुलर स्लीप शेड्यूल, जेट लैग या लाइट के एक्सपोजर में कमी इस रिदम को डिस्टर्ब कर सकती है, जिससे सुबह जल्दी जागना हो सकता है.

हार्मोनल चेंजेस जैसे कि कोर्टिसोल का बढ़ना, सुबह जल्दी जागने में कॉन्ट्रिब्यूट कर सकते हैं. यह उन लोगों में ज्यादा कॉमन है, जो स्ट्रेस्ड हैं या जिन्हें स्लीप प्रॉब्लम्स हैं.

हार्मोनल चेंजेस जैसे कि कोर्टिसोल का बढ़ना, सुबह जल्दी जागने में कॉन्ट्रिब्यूट कर सकते हैं. यह उन लोगों में ज्यादा कॉमन है, जो स्ट्रेस्ड हैं या जिन्हें स्लीप प्रॉब्लम्स हैं.

वुल्फ ऑवर को सबकॉन्शियस थॉट्स और इमोशंस के लिए एक टाइम के रूप में भी माना जाता है. यह वह टाइम हो सकता है, जब आपको डरावने सपने आ सकते हैं, जिससे जागना और फिर से सो जाना मुश्किल हो जाता है.

वुल्फ ऑवर को सबकॉन्शियस थॉट्स और इमोशंस के लिए एक टाइम के रूप में भी माना जाता है. यह वह टाइम हो सकता है, जब आपको डरावने सपने आ सकते हैं, जिससे जागना और फिर से सो जाना मुश्किल हो जाता है.

अगर आप भी सुबह 3 से 5 बजे के बीच नियमित रूप से जाग जाते हैं तो अपनी रात की रूटीन में बदलाव लाने और दिन भर के स्ट्रेस को ज्यादा सोच-समझकर मैनेज करने पर विचार करें. इसके अलावा इन बातों का विशेष ध्यान रखें, जो आपको इस प्रॉब्लम से डील करने में हेल्प कर सकती हैं.

अगर आप भी सुबह 3 से 5 बजे के बीच नियमित रूप से जाग जाते हैं तो अपनी रात की रूटीन में बदलाव लाने और दिन भर के स्ट्रेस को ज्यादा सोच-समझकर मैनेज करने पर विचार करें. इसके अलावा इन बातों का विशेष ध्यान रखें, जो आपको इस प्रॉब्लम से डील करने में हेल्प कर सकती हैं.

स्ट्रेस को मैनेज करने के लिए मेडिटेशन, योगा, या डीप ब्रीदिंग जैसी टेक्निक्स की प्रैक्टिस करें. हर दिन एक ही टाइम पर सोने और जागने की कोशिश करें. यहां तक कि वीकेंड पर भी, ताकि सर्कैडियन रिदम को रेगुलेट किया जा सके.

स्ट्रेस को मैनेज करने के लिए मेडिटेशन, योगा, या डीप ब्रीदिंग जैसी टेक्निक्स की प्रैक्टिस करें. हर दिन एक ही टाइम पर सोने और जागने की कोशिश करें. यहां तक कि वीकेंड पर भी, ताकि सर्कैडियन रिदम को रेगुलेट किया जा सके.

आप ये सुनिश्चित करें कि आपका बेडरूम डार्क, शांत और ठंडा हो. सोने से पहले स्क्रीन के एक्सपोजर से बचें, क्योंकि ब्लू लाइट मेलाटोनिन के प्रोडक्शन को इनहिबिट कर सकती है.

आप ये सुनिश्चित करें कि आपका बेडरूम डार्क, शांत और ठंडा हो. सोने से पहले स्क्रीन के एक्सपोजर से बचें, क्योंकि ब्लू लाइट मेलाटोनिन के प्रोडक्शन को इनहिबिट कर सकती है.

सोने से पहले कैफीन और अल्कोहल का कंजम्पशन नींद में खलल डाल सकता है. यदि सुबह जल्दी जागना लगातार जारी रहता है और लाइफ की क्वालिटी पर असर डालता है तो डॉक्टर या स्लीप स्पेशलिस्ट से कंसल्ट करें.

सोने से पहले कैफीन और अल्कोहल का कंजम्पशन नींद में खलल डाल सकता है. यदि सुबह जल्दी जागना लगातार जारी रहता है और लाइफ की क्वालिटी पर असर डालता है तो डॉक्टर या स्लीप स्पेशलिस्ट से कंसल्ट करें.

Published at : 23 Jul 2025 08:14 AM (IST)

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