आपकी उम्र महज 30 साल है और हड्डियों का दर्द आपकी जान निकाल देता है तो इसे हल्के में लेना ठीक नहीं है. आजकल की मॉडर्न लाइफस्टाइल, खराब खानपान और स्ट्रेस की वजह से हड्डियां कमजोर होने की दिक्कत अब यूथ में भी दिखने लगी है. आइए आपको बताते हैं कि अगर हड्डियों में दर्द हो रहा है तो कौन-से 5 टेस्ट जरूर कराने चाहिए?
हड्डियों में क्यों होता है दर्द?
फरीदाबाद में आर्थोपेडिक्स डॉ. अचित उप्पल बताते हैं कि 30 साल की उम्र के बाद हड्डियों में दर्द के पीछे कई वजह हो सकती हैं. इनमें कैल्शियम और विटामिन डी की कमी, हॉर्मोनल चेंज, ऑटोइम्यून डिसऑर्डर जैसे रूमेटॉइड आर्थराइटिस, गठिया या ऑस्टियोपोरोसिस की शुरुआत शामिल हैं. खासकर महिलाओं में प्रेग्नेंसी या पीरियड्स से जुड़े हॉर्मोनल बदलाव भी हड्डियों को कमजोर कर सकते हैं. इसके अलावा गलत पोस्चर, लंबे समय तक बैठे रहने और फिजिकल एक्टिविटी की कमी भी दर्द का कारण बन सकती है. डॉ. उप्पल के मुताबिक, 30 की उम्र के बाद बोन डेंसिटी कम होने लगती है. अगर इसे समय रहते चेक न किया जाए तो फ्यूचर में फ्रैक्चर या ऑस्टियोपोरोसिस जैसी गंभीर दिक्कतें हो सकती हैं.
जरूर कराने चाहिए ये टेस्ट
अगर आपको हड्डियों में दर्द, जकड़न या थकान जैसे लक्षण नजर आ रहे हैं तो ये 5 टेस्ट तुरंत कराने चाहिए. इससे न सिर्फ आप दिक्कत का पता लगा सकते हैं, बल्कि समय पर इलाज भी करा सकते हैं.
बोन मिनरल डेंसिटी (BMD) टेस्ट या DEXA स्कैन
ये टेस्ट हड्डियों की मजबूती और डेंसिटी को मापने के लिए किया जाता है. इसे डुअल-एनर्जी एक्स-रे एब्सॉर्पियोमेट्री (DEXA) स्कैन भी कहते हैं. इस टेस्ट में लो-डोज एक्स-रे का इस्तेमाल होता है, जो हड्डियों में कैल्शियम और अन्य मिनरल्स की मात्रा को चेक करता है. 30 की उम्र के बाद खासकर महिलाओं को ये टेस्ट हर 2-3 साल में करवाना चाहिए, क्योंकि ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा इस उम्र से शुरू हो सकता है.
विटामिन डी टेस्ट
विटामिन डी हड्डियों के लिए बेहद जरूरी है, क्योंकि ये कैल्शियम को अवशोषित करने में मदद करता है. न्यूट्रिशनिस्ट लवनीत बत्रा के मुताबिक, दुनिया भर में लगभग करीब अरब लोग विटामिन डी की कमी से जूझ रहे हैं, जो हड्डियों को कमजोर करता है. अगर आपको बार-बार थकान, मांसपेशियों में दर्द या हड्डियों में कमजोरी महसूस हो रही है तो ये टेस्ट जरूर करवाएं.
कैल्शियम लेवल टेस्ट
कैल्शियम की कमी हड्डियों को कमजोर करने का सबसे बड़ा कारण है. ये टेस्ट ब्लड में कैल्शियम की मात्रा चेक करता है. कैल्शियम की कमी न सिर्फ हड्डियों को प्रभावित करती है, बल्कि अनियमित पीरियड्स और PCOS जैसी दिक्कतों को भी बढ़ा सकती है.
यूरिक एसिड टेस्ट
गाउट या गठिया जैसी कंडीशन में यूरिक एसिड का लेवल बढ़ जाता है, जिससे जोड़ों में तेज दर्द होता है. ये टेस्ट खासकर उन लोगों के लिए जरूरी है, जिन्हें जोड़ों में सूजन या तेज दर्द की शिकायत रहती है. डॉ. उप्पल कहते हैं, ‘अगर यूरिक एसिड बढ़ा हुआ है तो डाइट और लाइफस्टाइल में बदलाव करके इसे कंट्रोल किया जा सकता है.’
रूमेटॉइड फैक्टर (RF) टेस्ट
रूमेटॉइड आर्थराइटिस ऑटोइम्यून डिसऑर्डर है, जो जोड़ों में दर्द और सूजन का कारण बनता है. ये टेस्ट ब्लड में रूमेटॉइड फैक्टर की मौजूदगी को चेक करता है. अगर आपको सुबह के समय जोड़ों में जकड़न या दर्द रहता है तो ये टेस्ट जरूरी है. इस टेस्ट से रूमेटॉइड आर्थराइटिस को शुरुआती स्टेज में पकड़ा जा सकता है, जिससे इलाज आसान हो जाता है.
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Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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