एनर्जी लेवल में भारी गिरावट: क्रैश डाइट करने से शरीर को पर्याप्त कैलोरी और पोषण नहीं मिलता, जिससे एनर्जी लेवल गिर जाता है. आप हर समय थका-थका महसूस करते हैं और कोई भी काम करने में मन नहीं लगता.

मेटाबॉलिज्म स्लो हो जाता है: जब शरीर को पर्याप्त खाना नहीं मिलता तो वह “सेव मोड” में चला जाता है और मेटाबॉलिज्म धीमा हो जाता है. इससे वजन घटने की प्रक्रिया और मुश्किल हो जाती है.

हार्मोनल असंतुलन: एक्स्ट्रीम डाइटिंग से शरीर में हार्मोन का संतुलन बिगड़ सकता है, जिससे महिलाओं को पीरियड्स से जुड़ी समस्याएं और मूड स्विंग्स जैसी परेशानियां हो सकती हैं.

इम्यून सिस्टम कमजोर होता है: जब शरीर को जरूरी पोषण नहीं मिलता, तो इम्यून सिस्टम कमजोर हो जाता है. इससे बार-बार बीमार पड़ने की संभावना बढ़ जाती है और संक्रमण जल्दी पकड़ लेते हैं.

मांसपेशियों में दिक्कत: वजन तेजी से कम होता तो है, लेकिन फैट के साथ-साथ मांसपेशियां भी गलने लगती हैं. इससे बॉडी स्ट्रेंथ कम होती है और शरीर कमजोर महसूस करने लगता है.

वजन दोबारा बढ़ने का खतरा: क्रैश डाइट से जो वजन कम होता है, वो लंबे समय तक टिकता नहीं. जैसे ही आप नॉर्मल खाना शुरू करते हैं, वजन दोगुनी तेजी से वापस आ सकता है.
Published at : 28 Jul 2025 06:01 PM (IST)