ग्रीन टी और ब्लैक टी दोनों ही कैमेलिया साइनेंसिस पौधे से बनाई जाती हैं. फर्क सिर्फ इनके प्रोसेसिंग में है. ग्रीन टी कम प्रोसेस होती है जिससे इसमें मौजूद कैटेचिन्‍स और एंटीऑक्सीडेंट्स सुरक्षित रहते हैं. वहीं ब्लैक टी पूरी तरह ऑक्सिडाइज होती है, जिसकी वजह से इसका रंग गहरा और स्वाद मजबूत होता है.

इसके अलावा ग्रीन टी को वेट लॉस के लिए सबसे अच्छा ऑप्शन माना जाता है. इसमें मौजूद कैटेच‍िन्‍स और खासकर ईजीसीजी फैट बर्निंग को बढ़ावा देते हैं. साथ ही ब्लड शुगर कंट्रोल करने और मेटाबॉलिज्‍म को तेज करने में मदद करती है.

इसके अलावा ग्रीन टी को वेट लॉस के लिए सबसे अच्छा ऑप्शन माना जाता है. इसमें मौजूद कैटेच‍िन्‍स और खासकर ईजीसीजी फैट बर्निंग को बढ़ावा देते हैं. साथ ही ब्लड शुगर कंट्रोल करने और मेटाबॉलिज्‍म को तेज करने में मदद करती है.

ब्लैक टी का सेवन दिल की बीमारियों से बचाने में मदद करता है. इसमें पाए जाने वाले थीफ्लेविन्स और थीअरूब‍िज‍िन्‍स खराब कोलेस्ट्रॉल को कम करने में सहायक है. नियमित सेवन से हार्ट हेल्थ बेहतर होती है और ब्लड शुगर ब्लड प्रेशर कंट्रोल में रहता है.

ब्लैक टी का सेवन दिल की बीमारियों से बचाने में मदद करता है. इसमें पाए जाने वाले थीफ्लेविन्स और थीअरूब‍िज‍िन्‍स खराब कोलेस्ट्रॉल को कम करने में सहायक है. नियमित सेवन से हार्ट हेल्थ बेहतर होती है और ब्लड शुगर ब्लड प्रेशर कंट्रोल में रहता है.

ग्रीन टी सिर्फ वजन घटाने में नहीं बल्कि दिमागी सेहत के लिए भी फायदेमंद है. इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स दिमाग की कोशिकाओं को नुकसान से बचाते हैं और याददाश्त सुधारने में मदद करते हैं. साथ ही अल्जाइमर जैसी बीमारियों का खतरा कम करने में भी सहायक हो स‍कती है.

ग्रीन टी सिर्फ वजन घटाने में नहीं बल्कि दिमागी सेहत के लिए भी फायदेमंद है. इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स दिमाग की कोशिकाओं को नुकसान से बचाते हैं और याददाश्त सुधारने में मदद करते हैं. साथ ही अल्जाइमर जैसी बीमारियों का खतरा कम करने में भी सहायक हो स‍कती है.

ब्लैक टी में ग्रीन टी की तुलना में ज्यादा कैफीन होती है. इसी वजह से यह तुरंत एनर्जी देने और दिमाग को एक्टिव रखने में मदद करती है. ‌सुबह की शुरुआत या काम के बीच फोकस बनाए रखने के लिए ब्लैक टी अच्छा ऑप्शन मानी जाती है.

ब्लैक टी में ग्रीन टी की तुलना में ज्यादा कैफीन होती है. इसी वजह से यह तुरंत एनर्जी देने और दिमाग को एक्टिव रखने में मदद करती है. ‌सुबह की शुरुआत या काम के बीच फोकस बनाए रखने के लिए ब्लैक टी अच्छा ऑप्शन मानी जाती है.

ग्रीन टी हल्के हरे-पीले रंग की होती है और इसका स्वाद ताजगी भरा व हल्का घास जैसा होता है. वहीं ब्लैक टी गहरे लाल-भूरे रंग की होती है और इसका स्वाद स्ट्रॉन्‍ग माल्‍टी और कभी-कभी हल्का कड़वा भी हो सकता है.

ग्रीन टी हल्के हरे-पीले रंग की होती है और इसका स्वाद ताजगी भरा व हल्का घास जैसा होता है. वहीं ब्लैक टी गहरे लाल-भूरे रंग की होती है और इसका स्वाद स्ट्रॉन्‍ग माल्‍टी और कभी-कभी हल्का कड़वा भी हो सकता है.

दोनों ही चाय में कैफीन होती है जिसका ज्यादा सेवन अनिद्रा, घबराहट या दिल की धड़कन बढ़ा सकता है. वहीं ब्लैक टी दांतों पर दाग छोड़ सकती है. इसके अलावा ग्रीन और ब्लैक टी आयरन के अवशोषण को कम कर सकती है इसलिए इन्हें खाने के तुरंत बाद नहीं पीना चाहिए.

दोनों ही चाय में कैफीन होती है जिसका ज्यादा सेवन अनिद्रा, घबराहट या दिल की धड़कन बढ़ा सकता है. वहीं ब्लैक टी दांतों पर दाग छोड़ सकती है. इसके अलावा ग्रीन और ब्लैक टी आयरन के अवशोषण को कम कर सकती है इसलिए इन्हें खाने के तुरंत बाद नहीं पीना चाहिए.

अगर आप वजन घटाना चाहते हैं और ब्लड शुगर कंट्रोल करना चाहते हैं तो ग्रीन टी आपके लिए सही हो सकती है . अगर आपका लक्ष्य दिल की सेहत सुधारना और पाचन तंत्र मजबूत करना है तो ब्‍लैक टी आपके लिए फायदेमंद हो सकती है लेकिन याद रखें दोनों ही चाय का सेवन दिन में दो से तीन कप तक ही करें.

अगर आप वजन घटाना चाहते हैं और ब्लड शुगर कंट्रोल करना चाहते हैं तो ग्रीन टी आपके लिए सही हो सकती है . अगर आपका लक्ष्य दिल की सेहत सुधारना और पाचन तंत्र मजबूत करना है तो ब्‍लैक टी आपके लिए फायदेमंद हो सकती है लेकिन याद रखें दोनों ही चाय का सेवन दिन में दो से तीन कप तक ही करें.

Published at : 27 Aug 2025 03:46 PM (IST)


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