जर्मनी की दिग्गज बायथलॉन खिलाड़ी और दो बार की ओलंपिक गोल्ड मेडल विजेता लॉरा डालमायर की पाकिस्तान में पहाड़ चढ़ने के दौरान एक दुखद हादसे में मौत हो गई. यह हादसा सोमवार को पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में स्थित लाईला पीक (6,096 मीटर) पर चढ़ाई के दौरान हुआ, जब अचानक गिरती चट्टानों की चपेट में आने से उन्हें गंभीर चोटें आईं. इस हादसे की पुष्टि स्थानीय प्रशासन और जर्मनी में उनकी प्रबंधन टीम ने की है.
बचाव दल ने खोजा शव, साथी पर्वतारोही का क्या हुआ?
गिलगित-बाल्टिस्तान सरकार के प्रवक्ता फैजुल्लाह फराक ने बताया कि घटना की सूचना मिलने के बाद तुरंत रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया गया था. डालमायर का शव इस समय पहाड़ पर ही है, जिसे स्कर्दू शहर लाने की प्रक्रिया जारी है.
लॉरा के साथ पहाड़ पर चढ़ाई कर रही उनकी साथी मारिना ईवा इस हादसे में बच गई हैं. घटना के दौरान उन्होंने एक इमरजेंसी सिग्नल भेजा था, जिसके बाद मंगलवार को उन्हें बेस कैंप तक सुरक्षित उतारा गया.
हादसा 5,700 मीटर की ऊंचाई पर हुआ
डालमायर की जर्मन प्रबंधन टीम के अनुसार, हादसा लगभग 5,700 मीटर की ऊंचाई पर उस वक्त हुआ, जब वे दोनों पहाड़ पर चढ़ाई कर रही थी. इसी दौरान अचानक चट्टानों का गिरना शुरू हुआ और लॉरा उसके चपेट में आ गईं. जर्मन ब्रॉडकास्ट संस्था ZDF ने बताया कि उन्हें हादसे में जानलेवा चोटें आई थी.
खेल और समाज सेवा में रहा खास योगदान
लॉरा डालमायर ने 2019 में बायथलॉन से संन्यास लिया था. वह दो बार की ओलंपिक पदक विजेता (1 गोल्ड, 1 ब्रॉन्ज) थी और सात बार की वर्ल्ड चैंपियन भी रही हैं. खेल से संन्यास के बाद उन्होंने पर्वतारोहण को अपना जुनून बना लिया था और वह अक्सर अपने पर्वतीय अभियानों और पर्यावरण जागरूकता से जुड़े अनुभव सोशल मीडिया पर शेयर किया करती थी.
जर्मनी में शोक की लहर, राष्ट्रपति ने जताया दुख
डालमायर की असामयिक मृत्यु से जर्मनी में गहरा शोक है. राष्ट्रपति फ्रैंक-वॉल्टर स्टेनमायर ने शोक संदेश में कहा, “लॉरा डालमायर न केवल एक असाधारण खिलाड़ी थीं, बल्कि वह जर्मनी की अंतरराष्ट्रीय छवि की प्रतिनिधि भी थी. उन्होंने खेल में अनुशासन और समर्पण की मिसाल पेश की है.”
उन्होंने बताया कि 2018 में ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीतने के बाद उन्होंने ही डालमायर को ‘सिल्वर लॉरेल लीफ’, जर्मनी का सर्वोच्च खेल सम्मान, प्रदान किया था.
लाईला पीक: एक जोखिम भरा पर्वतीय अभियान
लाईला पीक को कराकोरम रेंज की सबसे कठिन चोटियों में से गिना जाता है. इसकी ऊंचाई और नुकीला शिखर इसे चढ़ने के लिए तकनीकी रूप से बेहद चुनौतीपूर्ण बनाते हैं. पर्वतारोहण के लिहाज से यह इलाका बेहद मुश्किल है. यहां मौसम का अचानक बदलना, बर्फीले तूफान और चट्टानों का गिरना आम बात है.
इस इलाके में हाल के दिनों में अत्यधिक मानसूनी बारिशों ने हालात और अधिक खराब कर दिए हैं. पिछले हफ्ते ही पास में स्थित चिलास नामक जगह पर बाढ़ के कारण 20 पाकिस्तानी टूरिस्ट लापता हो गए थे.