भारत और इंग्लैंड के बीच खेली जा रही पांच मैचों की टेस्ट सीरीज के बीच ‘ड्यूक्स बॉल’ चर्चा का केंद्र बनी रही. सीरीज के पहले मैच से ही टीम इंडिया इसकी शिकायत करती दिखी. कई बार तो इंग्लैंड के खिलाड़ियों ने भी गेंद के जल्द खराब होने की शिकायत की. अब इस गेंद को बनाने वाली कंपनी ने इसकी जांच करने को कहा है. ड्यूक्स गेंद की निर्माता कंपनी ने शुक्रवार को कहा कि वो गेंद के जल्दी नरम (खराब) होने की जांच करेंगे.

भारतीय कप्तान शुभमन गिल और इंग्लैंड के पूर्व तेज गेंदबाज स्टुअर्ट ब्रॉड की आलोचना के बाद इंग्लैंड एवं वेल्स क्रिकेट बोर्ड (ईसीबी) इस्तेमाल की गई ज्यादा से ज्यादा गेंदों को इस हफ्ते के आखिर तक ड्यूक्स गेंद बनाने वाली कंपनी को लौटा देगा. बीबीसी स्पोर्ट्स के अनुसार ड्यूक्स का निर्माण करने वाली ‘ब्रिटिश क्रिकेट बॉल्स लिमिटेड’ के मालिक दिलीप जाजोदिया ने कहा, “हम इन (इस्तेमाल हुई) गेंदों को ले जाएंगे, निरीक्षण करेंगे और फिर इसके निर्माण से जुड़े लोगों से बातचीत करेंगे. हम इस मामले में जो भी जरूरी होगा वह कदम उठायेंगे. समीक्षा में अगर हमें लगेगा कि कुछ बदलाव करने की जरूरत है, तो हम करेंगे.”

गौरतलब है कि पांच मैचों की मौजूदा टेस्ट सीरीज के दौरान मैदानी अंपायरों को नियमित रूप से गेंदों को बदलना पड़ा, क्योंकि वे जल्दी नरम (खराब) हो जा रही थीं. गेंद लगभग 30 ओवर के इस्तेमाल के बाद ही खराब हो जा रही थी. इस पूरी प्रक्रिया के कारण मैचों के दौरान विलंब भी हुआ. टेस्ट सीरीज के लिए इस्तेमाल होने वाली गेंद का निर्णय मेजबान बोर्ड करता है. इंग्लैंड में ड्यूक्स गेंद का उपयोग किया जाता है तो वहीं भारत में टेस्ट मैच एसजी गेंद से खेले जाते हैं. ऑस्ट्रेलिया में कूकाबूरा गेंद का उपयोग होता है.

ड्यूक्स बॉल की खासियत, वजन और कीमत

ड्यूक्स बॉल की सबसे बड़ी खासियत होती है कि ये गेंद हाथ से सिली जाती है. हाथ से सिली हुई गेंद की सिलाई ज्यादा उभरी होती है और लंबे समय तक बनी रहती है. ड्यूक्स गेंद में छह पंक्तियों की सिलाई गेंद के दो हिस्सों को जोड़ने वाले कपों पर आगे-पीछे की जाती है, जिससे गेंद ज्यादा मज़बूती से जुड़ी रहती है और अपनी शेप और हार्डनेस को लंबे समय तक बनाए रखती है. अगर फील्डिंग टीम इस गेंद की अच्छे से देखभाल करे तो इसकी सिलाई लंबे समय तक साफ दिखती है.

इंग्लैंड की कंडिशन स्विंग गेंदबाज़ी के लिए ज्यादा अनुकूल होती हैं. वहां अक्सर बादल छाए रहते हैं, जमीन में नमी होती है और घास वाली पिचें होती हैं, जिससे ड्यूक्स गेंद अपनी सिलाई और शेप को लंबे समय तक बनाए रखती है. इसलिए यह गेंद हवा में ज्यादा घूमती है. हालांकि इसमें गेंदबाज की स्किल भी मायने रखती है.

इंग्लैंड की पिचें ड्यूक्स गेंद को बहुत अच्छी तरह से सपोर्ट करती हैं. यह गेंद हवा में भी मूव करती है और पिच से टप्पा खाने के बाद भी. इसका मुख्य कारण है इसकी हाथ से की गई मजबूत और उभरी हुई सिलाई. बात करें गेंद की कीमत की तो रिपोर्ट्स के मुताबिक ये 10 से 15 हजार रुपये के बीच में होता है. वहीं इसका वजन 155 से 163 ग्राम के बीच में होता है.



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