<p>डोनाल्ड ट्रंप के नेतृत्व वाली अमेरिकी सरकार भारत पर दबाव बना रही है कि वह इम्पोर्ट किए जाने वाले कारों पर लगने वाले टैरिफ को हटाए. हालांकि, नोमुरा जैसी ब्रोकरेज फर्म्स का कहना है कि अगर भारत ऐसा करता भी है, तो इसका कोई बड़ा असर नहीं होगा.</p>
<p>भारत सरकार टैरिफ में और कटौती करने को तैयार है, लेकिन फिलहाल इसे पूरी तरह से खत्म करने का कोई प्लान नहीं है. रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत सरकार टैरिफ को एकदम से शून्य करने से हिचकिचा रही है. दोनों देशों के बीच बाइलैटरल ट्रेड डील की औपचारिक बातचीत के दौरान इस मुद्दे पर चर्चा होगी, जो टेस्ला के भारत में एंट्री का रास्ता साफ कर सकता है.</p>
<p><strong>ऑटो कंपोनेंट्स में भारत की ताकत</strong></p>
<p>नोमुरा के मुताबिक, ऑटो कंपोनेंट्स के मामले में भारत बहुत ही कॉस्ट कॉम्पिटिटिव है. भारत में औसतन प्रति घंटे की वेज 1.5 डॉलर है, जबकि मेक्सिको में यह 2.5 डॉलर है और अमेरिका में 15 डॉलर है. अमेरिका में शॉप फ्लोर वर्कर्स की सैलरी भारत के मुकाबले 5 गुना ज्यादा है.</p>
<p>भारतीय सप्लायर्स ने EV डिफरेंशियल्स, बेवल गियर्स और क्रैंकशाफ्ट्स जैसे प्रोडक्ट्स में अपनी मजबूत पकड़ बनाई है. हालांकि, ग्लोबल OEMs के इंटीग्रेटेड सप्लाई चेन की वजह से भारत का शेयर अभी भी करीब 2 फीसदी ही है.</p>
<p><strong>क्या होगा असर?</strong></p>
<p>नोमुरा के मुताबिक, अगर भारत ऑटो कंपोनेंट्स पर इम्पोर्ट ड्यूटी को शून्य कर देता है, तो भी इसका कोई बड़ा असर नहीं होगा, क्योंकि ड्यूटी डिफरेंशियल ज्यादा नहीं है और इम्पोर्ट का रिस्क भी कम है. अमेरिका द्वारा मेक्सिको, कनाडा और चीन जैसे देशों पर लगाए गए हाई टैरिफ भारतीय एक्सपोर्टर्स को फायदा पहुंचा सकते हैं.</p>
<p><strong>कारों के मामले में क्या होगा?</strong></p>
<p>अगर भारत इम्पोर्ट ड्यूटी कम करता है, तो PV और प्रीमियम मोटरसाइकिल इंडस्ट्री में कॉम्पिटिशन थोड़ा बढ़ सकता है. लेकिन दिलचस्प बात यह है कि अमेरिका में कारों की औसत कीमत 447k(करीब 4.1 मिलियन रुपये) है, जो भारत में FY25 के 11k (करीब 9.49 लाख रुपये) से काफी ज्यादा है.</p>
<p>GM और Ford जैसी कई विदेशी कंपनियां भारतीय बाजार से पहले ही बाहर हो चुकी हैं, क्योंकि उनके पास यहां के बाजार के लिए सही मॉडल्स नहीं थे और वे लगातार घाटे में चल रही थीं. नोमुरा के मुताबिक, भारत सरकार एक स्ट्रैटेजी के तहत अमेरिका में बनी कारों के लिए कम ड्यूटी ऑफर कर सकती है, बशर्ते कि वे मेक्सिको या चीन जैसे देशों से कार या कंपोनेंट्स इम्पोर्ट करके सिस्टम का फायदा न उठाएं. यानी यह बेनिफिट सिर्फ उन कारों के लिए होना चाहिए, जिनमें अमेरिका में 90 फीसदी तक वैल्यू एडिशन हो.</p>
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