SEBI Notice To Mehul Choksi: पंजाब नेशनल बैंक घोटाले के आरोपी और हीराकारोबारी मेहुल चोकसी की मुसीबत लगातार बढ़ती जा रही है. बाजार नियामक सेबी की तरफ से मेहुल चोकसी को 2.1 करोड़ रुपये का नोटिस भेजा गया है. मेहुल चोकसी को ये नोटिस गीतांजलि जेम्स लिमिटेड के शेयरों में भेदिया कारोबार नियमों के उल्लंघन के मामले में दिया गया है.

सेबी की तरफ से मेहुल चोकसी को 15 दिन के भीतर भुगतान करने या फिर संपत्ति के साथ-साथ बैंक खाते भी कुर्क करने की चेतावनी दी गई है. साल 2022 में सेबी की तरफ से लगाए गए जुर्माने का भुगतान करने में विफल रहने के बाद चौकसी को यह नोटिस भेजा गया है.

मेहुल चोकसी की बढ़ी मुसीबत

गौरतलब है कि गीतांजलि जेम्स के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर होने के साथ-साथ प्रवर्तक समूह का हिस्सा रहे मेहुल चौकसी, नीरव मोदी के मामा हैं. उन दोनों के ऊपर सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक पीएनबी से 14,000 करोड़ रुपये से अधिक की धोखाधड़ी करने का आरोप है. पीएनबी घोटाला का पूरा मामले साल 2018 की शुरुआत में सामने आया. इसके बाद चौकसी और नीरव मोदी दोनों ही भारत से फरार हो गये थे. पिछले महीने, भारतीय जांच एजेंसियों के प्रत्यर्पण अनुरोध के बाद चौकसी को बेल्जियम में गिरफ्तार किया गया था.

कुर्क हो सकती है संपत्ति

पिछले साल मेहुल चोकसी इलाज के लिए बेल्जियम गया था. वह भारत छोड़ने के बाद 2018 से एंटीगुआ में रह रहा था. नीरव मोदी को मार्च, 2019 में स्कॉटलैंड यार्ड पुलिस ने गिरफ्तार किया था और फिलहाल वह वहीं जेल में बंद है. भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने 15 मई को जारी ताजा नोटिस में चोकसी को 15 दिन के भीतर 2.1 करोड़ रुपये का भुगतान करने का निर्देश दिया. इसमें 1.5 करोड़ रुपये का जुर्माना और 60 लाख रुपये का ब्याज शामिल है.

सेबी का कहना है कि बकाया राशि का भुगतान नहीं करने की स्थिति में वह उसकी चल-अचल संपत्तियों को कुर्क करके और बेचकर राशि वसूल करेगा. इसके अलावा चौकसी के बैंक खाते भी कुर्क किए जा सकते हैं और उसे गिरफ्तार भी किया जा सकता है. सेबी ने जनवरी, 2022 में पारित अपने आदेश में चोकसी पर 1.5 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया और उसे एक साल के लिए प्रतिभूति बाजार से प्रतिबंधित कर दिया.

सेबी ने पाया कि चोकसी ने अप्रकाशित संवेदनशील सूचना (यूपीएसआई) के बारे में राकेश गिरधरलाल गजेरा को जानकारी दी, जिसने दिसंबर, 2017 में गीतांजलि जेम्स में अपनी पूरी 5.75 प्रतिशत हिस्सेदारी बेच दी, ताकि किसी भी घटना से पहले नुकसान से बचा जा सके. उस समय आशंका थी कि गीतांजलि समूह को धोखाधड़ी से मिले गारंटी पत्र (लेटर ऑफ अंडरटेंकिंग) जारी करने का खुलासा हो सकता था. यह पाया गया कि गीतांजलि समूह से संबंधित इकाइयों की ओर से धोखाधड़ी वाले गारंटी पत्र जारी किये गये थे. 

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