Urine Leakage Problem : शरीर को सही तरीके से काम करने के लिए यूरिन करना बेहद जरूरी है. इससे शरीर को विषैले तत्व (Toxins) बाहर निकलती हैं. अगर कोई लंबे समय तक पेशाब रोककर रखता है या कम मात्रा में पेशाब करता है, तो यह उसकी सेहत के लिए गंभीर समस्याएं पैदा कर सकता है. यूरिन से जुड़ी कई तरह की समस्याएं हो सकती हैं. इनमें से एक पेशाब करने के बाद बूंदों का टपकना है.
वैसे तो यह एक आम समस्या हो सकती है, लेकिन अगर यह लगातार बनी रहती है, तो यह किसी गंभीर बीमारी का संकेत हो सकता है. यह समस्या पुरुषों और महिलाओं दोनों को हो सकती है. ऐसे में नजरअंदाज नहीं करना चाहिए. इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं. आइए जानते हैं ऐसा क्यों होता है…
पेशाब के बाद बूंदें टपकना इस बीमारी का संकेत
कमजोर पेल्विक मसल्स
अगर पेल्विक फ्लोर की मांसपेशियां कमजोर (Pelvic Floor Weakness) होती हैं, तो वे मूत्राशय (Bladder) को पूरी तरह खाली नहीं कर पातीं, जिससे पेशाब के बाद भी बूंदें गिरती रहती हैं. यह समस्या अक्सर प्रेग्नेंसी, उम्र बढ़ने, हार्मोनल बदलाव और बार-बार कब्ज रहने की वजह से होती है.
दरअसल, पेल्विक मसल्स हमारे शरीर की सबसे महत्वपूर्ण मांसपेशियों में से एक होती हैं. ये मांसपेशियां ब्लैडर, आंतों और री-प्रोडक्टिव ऑर्गन्स को सहारा देती हैं और पेशाब, डेफिकेशन या सेक्सुअल हेल्थ को कंट्रोल करने में मदद करती है लेकिन जब ये मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं, तो कई गंभीर तरह की समस्याएं हो सकती हैं. इसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए.
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इन कारणों से भी पेशाब के बाद टपक सकती हैं बूंदें
1. मूत्र मार्ग संक्रमण (UTI)
यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन (Urinary Tract Infection) के कारण पेशाब के बाद भी यूरिन की बूंदें गिर सकती हैं. इसके अन्य लक्षणों में जलन, बार-बार पेशाब आना और पेट के निचले हिस्से में दर्द शामिल हो सकते हैं.
2. प्रोस्टेट ग्रंथि की समस्या (Prostate Issues)
पुरुषों में बढ़ी हुई प्रोस्टेट ग्रंथि (Benign Prostatic Hyperplasia) या प्रोस्टेटाइटिस (Prostatitis) के कारण ब्लैडर पूरी तरह से खाली नहीं हो पाता, जिससे पेशाब करने के बाद बूंदें टपकती रहती हैं.
3. ओवरएक्टिव ब्लैडर (Overactive Bladder)
अगर ब्लैडर जरूरत से ज्यादा सेंसिटिव हो जाता है, तो पेशाब करने के बाद भी कुछ बूंदें टपक सकती हैं. यह समस्या डायबिटीज, बढ़ती उम्र, न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर, बार-बार कैफीन और शराब पीने से हो सकती है.
4. न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर (Neurological Disorders)
ब्रेन और नर्व्स सिस्टम से जुड़ी बीमारियों, जैसे पार्किंसन, मल्टीपल स्क्लेरोसिस या रीढ़ की हड्डी की चोट के कारण ब्लैडर की नसों पर असर पड़ सकता है, जिससे पेशाब पूरी तरह से कंट्रोल नहीं हो पाता है.
5. यूरिनरी रिटेंशन (Urinary Retention)
अगर किसी कारण से ब्लैडर पूरी तरह से खाली नहीं हो पाता, तो पेशाब के बाद कुछ बूंदें बाहर आती रहती हैं. यह समस्या डायबिटीज, प्रोस्टेट ग्रंथि के बढ़ने या यूरिनरी ट्रैक्ट में रुकावट के कारण हो सकती है.
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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