कई प्रोटीन पाउडर में लेड, कैडमियम, मरकरी और आर्सेनिक जैसे मेटल्स पाए गए हैं. ये धीरे-धीरे शरीर में जमा होकर किडनी, नर्वस सिस्टम और यहां तक कि कैंसर का कारण बन सकते हैं. इसलिए हमेशा थर्ड पार्टी टेस्टिंग वाले प्रमाणित प्रोडक्ट ही चुनें.

कई ब्रांड स्वाद बढ़ाने के लिए सुक्रालोज या एस्पार्टेम जैसे आर्टिफीसियल मीठे पदार्थ मिलाते हैं. ये शुगर के विकल्प तो हैं, लेकिन मेटाबॉलिज्म को गड़बड़ कर देते हैं और भूख नियंत्रित करने की क्षमता को बिगाड़ते हैं. बेहतर है स्टीविया या मोंक फ्रूट जैसे नैचुरल स्वीटनर वाले पाउडर चुनें.

कुछ प्रोटीन पाउडर को गाढ़ा या मुलायम बनाने के लिए माल्टोडेक्सट्रिन, कैरेजीनन या जैंथन गम जैसे फिलर्स मिलाए जाते हैं. ये सस्ते एडिटिव्स पेट में गैस, सूजन या एलर्जी जैसी परेशानी पैदा कर सकते हैं. जितनी कम सामग्री, उतना अच्छा प्रोटीन पाउडर.

कुछ कंपनियां स्वाद बढ़ाने या पाउडर की शेल्फ लाइफ बढ़ाने के लिए हाइड्रोजनेटेड ऑयल मिलाती हैं. ये ऑयल शरीर में सूजन बढ़ाते हैं और दिल की बीमारियों का खतरा बढ़ाते हैं. खरीदने से पहले लेबल ध्यान से पढ़ें और अगर hydrogenated oil लिखा हो, तो उससे दूरी बनाएं.

अच्छे प्रोटीन पाउडर की पहचान है. छोटी और समझ आने वाली सामग्री की लिस्ट. अगर इंग्रेडिएंट्स की लिस्ट बहुत लंबी है और नाम जटिल लगते हैं, तो समझ लें उसमें एडिटिव्स हैं. सिंपल फॉर्मूला हमेशा ज्यादा भरोसेमंद होता है.

मार्केट में बहुत से प्रोटीन पाउडर बिना जांच के बिकते हैं. इसलिए केवल थर्ड पार्टी लैब टेस्टेड और प्रमाणित ब्रांड्स चुनें. जो कंपनियां अपनी रिपोर्ट सार्वजनिक करती हैं, वे ज्यादा भरोसेमंद मानी जाती हैं. इससे आपको उसकी क्वालिटी और सुरक्षा पर भरोसा रहता है.

अगर आप दूध से बने उत्पाद नहीं लेते तो प्लांट-बेस्ड प्रोटीन जैसे मटर, चावल या हेंप बेहतर विकल्प हैं. वहीं, व्हे प्रोटीन तेजी से डाइजेस्ट होता है लेकिन लैक्टोज लोगों के लिए उपयुक्त नहीं. हर सर्विंग में 20 से 25 ग्राम प्रोटीन पर्याप्त माना जाता है.

सही प्रोटीन पाउडर वही है जिसमें न के बराबर केमिकल्स, कोई ट्रांस फैट नहीं और इंग्रेडिएंट्स साफ हों. ऐसा पाउडर न केवल मसल्स बनाता है बल्कि शरीर को अंदर से हेल्दी रखता है. याद रखें, जितना नेचुरल और सिंपल प्रोडक्ट होगा, उतना बेहतर होगा आपके लिए.
Published at : 13 Nov 2025 11:49 AM (IST)