नॉन-अल्कोहॉलिक फैटी लिवर डिजीज (NAFLD) ऐसी बीमारी है, जिसमें बिना शराब पिए लिवर में चर्बी जमा होने लगती है. यह बीमारी नॉर्मल लेवल से शुरू होती है और मरीज की कंडीशन बेहद गंभीर भी हो सकती है. इसकी वजह से नॉन-अल्कोहॉलिक स्टिएटोहेपेटाइटिस (NASH) हो सकता है, जिससे लिवर में सूजन, फाइब्रोसिस, सिरोसिस (लिवर का सिकुड़ना) या यहां तक कि लिवर कैंसर का खतरा काफी बढ़ जाता है. 

AIIMS की स्टडी में खुलासा

AIIMS दिल्ली के गैस्ट्रोएंटरोलॉजी डिपार्टमेंट के डॉक्टरों के पैनल ने इस पर स्टडी की, जो जर्नल ऑफ क्लीनिकल एंड एक्सपेरिमेंटल हेपटोलॉजी में पब्लिश हुई है. इसमें AIIMS दिल्ली के डॉ. शालीमार भी शामिल हैं. स्डटी में सामने आया कि दुनियाभर में करीब 25 पर्सेंट लोग NAFLD से प्रभावित हैं. यह बीमारी मिडिल ईस्ट और साउथ अमेरिका में सबसे फैल रही है, जबकि अफ्रीका में इसके केसेज काफी कम मिल रहे हैं. NASH का ग्लोबल रेट 1.5 पर्सेंट से 6.5 पर्सेंट के बीच है. 2017 की ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज रिपोर्ट के अनुसार, हर साल NASH के लगभग 3.67 लाख नए मामले सामने आ रहे हैं, जो 1990 की तुलना में दोगुने हैं. ऐसे में माना जा रहा है कि फ्यूचर में NASH लिवर ट्रांसप्लांट की सबसे बड़ी वजह बन सकता है.

किन लोगों को NAFLD का खतरा सबसे ज्यादा?

  • डायबिटीज (55-60%)
  • मोटापा (65-95%)
  • मेटाबॉलिक सिंड्रोम (73%)

भारत में हालात बेहद खराब

भारत में 6.7% से 55.1% वयस्कों में NAFLD पाया गया है. लिवर एंजाइम के बिना लक्षण वाले बढ़ने के एक तिहाई मामलों की वजह NAFLD हो सकती है. लिवर ट्रांसप्लांट के लिए निकाले गए लिवर की जांच में पता चला कि दो-तिहाई क्रिप्टोजेनिक सिरोसिस (जिसका कारण स्पष्ट नहीं) वाले मरीजों को NAFLD था. बच्चों में भी यह बीमारी बढ़ रही है, जिसमें 7.3% से 22.4% हेल्दी बच्चे प्रभावित हैं. यह बीमारी उम्र के साथ और गंभीर हो जाती है.

भारत में बढ़ रहीं मेटाबॉलिक बीमारियां

भारत में वयस्कों में प्री-डायबिटीज 19-22%, डायबिटीज 15-19%, और मेटाबॉलिक सिंड्रोम 30% तक पाया जाता है. ये समस्याएं शहरों के साथ-साथ गांवों में भी बढ़ रही हैं. मोटापा, डायबिटीज और मेटाबॉलिक सिंड्रोम के बढ़ने से NAFLD के केसेज भी तेजी से बढ़ रहे हैं, जिससे हेल्थ सर्विसेज पर प्रेशर पड़ रहा है.

AIIMS के गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. प्रमोद गर्ग ने बताया कि पिछले 10-15 साल में फैटी लिवर के मामले तेजी से बढ़े हैं. लिवर कैंसर के मामलों में भी इजाफा हुआ है, जिसकी मुख्य वजह गलत लाइफस्टाइल है. इसे ठीक करने के लिए लाइफस्टाइल में बदलाव जरूरी है.

खाने में तेल कम करें

AIIMS के डॉक्टरों जैसे डॉ. प्रमोद गर्ग, डॉ. गोविंद माखरिया, डॉ. शालीमार, डॉ. दीपक गुंजन, डॉ. समागरा अग्रवाल और डॉ. साग्निक बिस्वास ने NAFLD के कारणों और समाधान पर जोर दिया. डॉ. दीपक गुंजन ने बताया कि लाइफस्टाइल में बदलाव आज की सबसे बड़ी जरूरत है. खाने में तेल की मात्रा 10 पर्सेंट कम करना जरूरी है. स्टडी बताती है कि 2025 तक 40-50 पर्सेंट लोग मोटापे के शिकार हो सकते हैं, जिससे कई हेल्थ प्रॉब्लम्स बढ़ेंगी. तेल कम करने से न सिर्फ लिवर, बल्कि हार्ट, डायबिटीज और कैंसर जैसी बीमारियों का खतरा भी कम होगा.

हेल्दी लाइफ के लिए अपनाएं हेल्दी थ्री फॉर्म्युला

  • हेल्दी डाइट: आधी प्लेट में हरी सब्जियां और फल होने चाहिए. जंक और पैकेज्ड फूड से बचें, क्योंकि इनमें ट्रांस फैट होता है, जो लिवर के लिए नुकसानदायक है.
  • एक्सरसाइज: रोज 30-40 मिनट व्यायाम या खेलकूद जरूरी है. यह पूरे शरीर के लिए फायदेमंद है.
  • हेल्दी स्लीप: समय पर सोना और उठना, साथ ही तनाव कम करना बहुत जरूरी है.

सिर्फ दवाएं नहीं, लाइफस्टाइल भी जरूरी

डॉ. साग्निक बिस्वास ने बताया कि फैटी लिवर का इलाज सिर्फ दवाओं से नहीं हो सकता. यह ऐसी बीमारी है, जिसका सबसे बड़ा इलाज हेल्दी लाइफस्टाइल है. अगर मरीज को डायबिटीज, मोटापा या स्लीप एपनिया जैसी अन्य समस्याएं हैं तो डॉक्टर दवाएं दे सकते हैं. NAFLD का पता अल्ट्रासाउंड और लिवर फंक्शन टेस्ट से चलता है. यह बीमारी चार स्टेज में होती है, जिसमें स्टेज 4 यानी सिरोसिस सबसे गंभीर है.

इन बातों का रखें ध्यान

  • शराब पूरी तरह छोड़ें: शराब से लिवर को ज्यादा नुकसान होता है.
  • वजन और डाइट पर ध्यान: सही डाइट और वजन कंट्रोल से फैटी लिवर को ठीक कर सकते हैं.
  • डॉक्टर से सलाह: डायबिटीज या अन्य दिक्कतों वाले मरीजों को डॉक्टर से मिलना जरूरी है.

इंडियन डाइट में बैलेंस जरूरी

डॉ. साग्निक ने बताया कि भारतीय डाइट में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन और आयरन का बैलेंस होना चाहिए. जंक और पैकेज्ड फूड इस बैलेंस को बिगाड़ते हैं. ट्रांस फैट से बचना जरूरी है, क्योंकि यह लिवर और दूसरी बीमारियों का खतरा बढ़ाता है.

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Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

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