Manmohan Singh Death: भारत की अर्थव्यवस्था और आर्थिक नीतियों को नई दिशा देने वाले देश के पूर्व प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह (Manmohan Singh) का गुरुवार रात 92 वर्ष की उम्र में निधन हो गया. चलिए, आज इस खबर में आपको बताते हैं कि जब डॉक्टर मनमोहन सिंह देश के प्रधानमंत्री हुआ करते थे, तब देश की आर्थित स्थिति कैसी थी और जीडीपी ग्रोथ रेट कितनी हो गई थी.

अर्थव्यवस्था का स्वर्णकाल

ये बात है साल 2004 की. देश को एक नया प्रधानमंत्री मिला था, डॉक्टर मनमोहन सिंह. मनमोहन सिंह को इससे पहले देश एक शानदार वित्त मंत्री के तौर पर देख चुका था. लेकिन अब समय आ चुका था जब देश डॉक्टर मनमोहन सिंह को बतौर पीएम काम करते देखता. यूपीए की इस सरकार में पीएम थे मनमोहन सिंह और वित्त मंत्री थे पी. चिदंबरम.

माना जाता है कि 2004 से 2007 के बीच देश ने जिस तरह से विकास की राह पकड़ी, वैसा फिर कभी नहीं देखा गया. यह दौर इतना शानदार था कि इसे भारतीय अर्थव्यवस्था का स्वर्णकाल माना जाता था. साल 2007 में भारत ने ऐतिहासिक रूप से 8 से 9 फीसदी का जीडीपी ग्रोथ रेट हासिल कर लिया और दुनिया की दूसरी सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बन गया.

VAT की व्यवस्था शुरू की

साल 2005 में जब डॉक्टर मनमोहन सिंह को पता चला कि पुराने जटिल सेल्स टैक्स व्यवस्था की वजह से देश के उद्योग प्रभावित हो रहे हैं तो उन्होंने देश में वैट यानी वैल्यू एडेड टैक्स की व्यवस्था शुरू की. इससे पुरानी जटिल सेल्स टैक्स व्यवस्था खत्म हो गई. इसी तरह से उद्योगों पर टैक्स का बोझ कम करने के लिए डॉक्टर मनमोहन सिंह ने सर्विस टैक्स की भी व्यवस्था शुरू की थी, जिससे सरकारी राजस्व को भी नुकसान नहीं हुआ था. डॉक्टर मनमोहन सिंह के प्रधानमंत्री काल में ही राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी यानी नरेगा शुरू की गई थी, जिसे अब मनरेगा के नाम से जाना जाता है.

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