खराब लाइफस्टाइल और गलत खानपान के बीच डायबिटीज की समस्या आम हो गई है. कम उम्र में ही लोग इस बीमारी से पीड़ित हो रहे हैं. डायबिटीज के बारे में समझा जाता है कि यह सिर्फ एक फिजिकल बीमारी समझी जाती है, लेकिन यह बीमारी लाइफस्टाइल के साथ मानसिक स्थिति पर गहरा असर डालती है, यह सिर्फ इंसुलिन या दवाओं तक सीमित नहीं है, बल्कि यह बीमारी धीरे-धीरे मेंटल हेल्थ को भी प्रभावित करने लगती है.
भारत में आज डायबिटीज के 10 करोड़ से ज्यादा मरीज हैं और यह संख्या लगातार बढ़ रही है. बड़ी चिंता की बात यह है कि इस बीमारी का असर मन और दिमाग पर भी दिखने लगा है. लगातार ब्लड शुगर चेक करना, खानपान पर कंट्रोल, दवाओं का दबाव और फ्यूचर स्ट्रेस ये सब मिलकर स्ट्रेस, एंजाइटी और डिप्रेशन की ओर ले जाते हैं. ऐसे में आज हम आपको बताते हैं कि कैसे डायबिटीज मेंटल हेल्थ भी बिगाड़ रहा और कैसे ये डिप्रेशन का कारण बन रहा है.
डायबिटीज और मेंटल हेल्थ
डायबिटीज से पीड़ित लोगों में डिप्रेशन होने का खतरा नॉर्मल लोगों से 2 से 3 गुना ज्यादा होता है. डायबिटीज से जूझ रहे लगभग 30 प्रतिशत लोगों को किसी न किसी रूप में मानसिक परेशानी होती है. टाइप-1 डायबिटीज वाले लोगों में खाने से जुड़ी मानसिक समस्याएं और डिसऑर्डर ज्यादा देखने को मिलते हैं. महिलाओं में टाइप-2 डायबिटीज होने पर बिंज ईटिंग की समस्या आम है. शुगर लेवल में उतार-चढ़ाव के कारण मूड स्विंग्स, चिड़चिड़ापन और सोचने में परेशानी होती है.
डायबिटीज मेंटल हेल्थ को कैसे बिगाड़ता है?
1. डायबिटीज स्ट्रेस – यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें मरीज को यह महसूस होने लगता है कि वह अपनी बीमारी को संभाल नहीं पा रहा है. हर रोज ब्लड शुगर की जांच, दवाओं का टाइम, खाने का परहेज जैसे सभी चीजें व्यक्ति को मानसिक रूप से थका देती है.
2. ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस और हार्मोनल बदलाव – डायबिटीज में शरीर में ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस बढ़ जाता है और कुछ जरूरी हार्मोन जैसे सेरोटोनिन और डोपामिन इंबैलेंस हो जाते हैं. ये हार्मोन हमारे मूड और मेंटल हेल्थ को कंट्रोल करते हैं. जब इनका संतुलन बिगड़ता है, तो एंग्जाइटी और डिप्रेशन की संभावना बढ़ जाती है.
3. फ्यूचर को लेकर डर – कई मरीजों को यह डर सताने लगता है कि कहीं उनकी स्थिति और ना बिगड़ जाए जैसे हार्ट प्रॉब्लम, किडनी फेल होना, या आंखों की रोशनी जाना, ये डर एक समय बाद क्रॉनिक एंग्जाइटी का रूप ले लेता है.
कैसे डायबिटीज डिप्रेशन का कारण बन रहा है?
डायबिटीज के मरीज को हर दिन ब्लड शुगर चेक करना होता है. टाइम पर दवा लेनी होती है, खाना-पीना कंट्रोल करना होता है# एक्सरसाइज करनी होती है, ये सब लगातार करने से मेंटल फैटिग्यू होती है, जिससे व्यक्ति तनाव और चिंता महसूस करता है. इसके अलावा ब्लड शुगर जब बहुत ज्यादा या बहुत कम होता है तो भी चिड़चिड़ापन, थकान, ध्यान की कमी और मूड स्विंग्स होते हैं. ये सभी लक्षण मेंटल हेल्थ पर असर डालते हैं, और व्यक्ति को मानसिक रूप से कमजोर बना देते हैं. वहीं लाइफस्टाइल में बदलाव जैसे पसंद का खाना छोड़ना, मीठे से परहेज, बाहर घूमने-खाने में सावधानी, काम में रुकावट, इससे व्यक्ति को ऐसा लगता है कि उसे कंट्रोल किया जा रहा है जो स्ट्रेस और डिप्रेशन का कारण बन जाता है.
डायबिटीज में कैसे बचा जाए डिप्रेशन से?
1. मेंटल हेल्थ चेकअप कराएं – जिस तरह शुगर की नियमित जांच होती है, वैसे ही मेंटल हेल्थ स्क्रीनिंग भी जरूरी है. इससे समस्या का जल्दी पता लग सकता है.
2. थेरेपी लें – CBT डिप्रेशन और एंग्जायटी में काफी असरदार होती है. इसके अलावा परिवारिक काउंसलिंग भी मददगार होती है ताकि आपकी फैमिली को भी आपकी स्थिति की समझ हो.
3. योग, मेडिटेशन और रिलैक्सेशन अपनाएं – इनसे शरीर और दिमाग को शांत रखने में मदद मिलती है. योग में प्राणायाम और अनुलोम-विलोम विशेष रूप से फायदेमंद हैं.
4. नियमित एक्सरसाइज और सही खानपान – एक्सरसाइज से एंडॉर्फिन रिलीज होता है जो मूड बेहतर करता है. साथ ही डाइट को लेकर बैलेंस रखें ताकि खुद पर ज्यादा दबाव न महसूस हो.
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