Weight loss medicine: सन फार्मा की नई दवा यूट्रिग्लूटाइड, जिसे मोटापा और टाइप-2 डायबिटीज के इलाज के लिए विकसित किया जा रहा है, उसने शुरुआती क्लिनिकल स्टडी में मेनोपॉज के बाद वाली महिलाओं में महत्वपूर्ण वजन घटाने और मेटाबॉलिक सुधार दिखाए हैं. इस दवा के फेज 1a/2b ट्रायल के नतीजे इस हफ्ते अमेरिका के न्यू ऑरलियन्स में हुए अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन (AHA) के साइंटिफिक सेशन में पेश किए गए. यूट्रिग्लूटाइड उसी दवा समूह से है, जिसमें दुनिया भर में चर्चित मोनजारो और विगोवी आती हैं. इन दवाओं की खासियत यह रही कि ये भारत में भी तेजी से लोकप्रिय हुई हैं. ये दवाएं GLP-1 रेसेप्टर एगोनिस्ट हैं, जो लिवर के हार्मोन की तरह काम करके भूख कम करती हैं.

क्या निकला ट्रायल में?

सन फार्मा के मुताबिक, वजन घटाने के अलावा इस दवा ने सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर, लिवर फैट, और इंसुलिन सेंसिटिविटी से जुड़े कई बायोमार्कर में सुधार दिखाया. इसके साथ ही सीरम यूरिक एसिड भी कम हुआ, जिससे यह पता चलता है कि दवा मेटाबॉलिक समस्याओं के कई पहलुओं पर असर डाल सकती है. सन फार्मा के चेयरमैन दिलीप सांघवी ने कहा कि “मोटापा और मेटाबॉलिक लिवर डिजीज तेजी से बढ़ रही हैं, खासकर मेनोपॉज़ के बाद की महिलाओं में. इस शुरुआती स्टडी के नतीजे उत्साहजनक हैं और हमें इन बीमारियों से निपटने के लिए बेहतर इलाज विकसित करने की दिशा में आगे बढ़ाते हैं.”

बढ़ रही दिक्कत

भारत का एंटी-ओबेसिटी दवा का बाजार फिलहाल 3,000 से 3,500 करोड़ रुपये का है, जो 2030 तक बढ़कर 25,000 करोड़ रुपये तक पहुंचने का अनुमान है. इसके पीछे मोटापा और लाइफस्टाइल डिजीज के बढ़ते दिक्कत को देखकर यह अनुमान लगाया गया.

स्टडी के नतीजे उम्मीद जगाने वाले

इस ट्रायल में 52 से 69 साल की मेनोपॉज के बाद वाली महिलाएं शामिल थीं, जिन्हें मोटापे की समस्या थी. 14 हफ्ते तक दवा लेने के बाद यूट्रिग्लूटाइड लेने वालों का औसतन 8 प्रतिशत वजन घटा और यह 17वें हफ्ते तक बना रहा. प्लेसबो लेने वालों का वजन सिर्फ 2.1 प्रतिशत और 1.2 प्रतिशत घटा.

14वें हफ्ते तक क्या देखने को मिला?

  • 76 प्रतिशत महिलाओं का वजन 5 प्रतिशत से ज्यादा घटा.
  • 25 प्रतिशत महिलाओं का वजन 10 प्रतिशत से ज्यादा कम हुआ.
  • शुरुआत में औसत BMI 43 था, जो 14 और 17 हफ्ते तक घटकर 39.7 से 39.8 हो गया.

इस दौरान सबसे खास बात यह रही कि लिवर फैट में 28.6 प्रतिशत की कमी, जबकि प्लेसबो समूह में सिर्फ 2.7 प्रतिशत गिरावट देखी गई. ये नतीजे बताते हैं कि यह दवा मोटापे के साथ-साथ MASLD मेटाबॉलिक लिवर डिजीज जैसी समस्याओं में भी मददगार हो सकती है.

साइड इफेक्ट

अगर इसके साइड इफेक्ट की बात करें, तो भूख कम लगना, जल्दी पेट भर जाना, मतली, अपच और उलटी शामिल था. जो GLP-1 दवाओं में सामान्य माने जाते हैं. ट्रायल से जुड़े डॉ. रोहित लूंबा (यूसी सैन डिएगो) ने कहा कि “यूट्रिग्लूटाइड ने मोटापे और MASLD वाली महिलाओं में लिवर फैट और कई मेटाबॉलिक पैरामीटर में बेहतरीन सुधार दिखाया है, जो बेहद उत्साहजनक है.” ट्रायल के बाद अगर सब कुछ मंजूरी मिल जाती है, तो यह दवा बाजार में जल्द इंट्र कर सकती है.

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Disclaimer: यह जानकारी रिसर्च स्टडीज और विशेषज्ञों की राय पर आधारित है. इसे मेडिकल सलाह का विकल्प न मानें. किसी भी नई गतिविधि या व्यायाम को अपनाने से पहले अपने डॉक्टर या संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

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