Ratan Tata Will: रतन टाटा की वसीयत को लेकर अब कई बड़े खुलासे हो रहे हैं. रिपोर्ट्स में बताया जा रहा है कि रतन टाटा ने अपनी संपत्ति में से करीब 3800 करोड़ रुपये अच्छे कामों के लिए दान कर दिया है.
इसके, अलावा रतन टाटा की वसीयत में उनके करीबियों का भी नाम है, जहां किसी को अच्छी खासी संपत्ति मिली है तो किसी को तगड़ा तोहफा दिया गया है. चलिए, आपको बताते हैं कि आखिर रतन टाटा की वसीयत में उनके सबसे करीबी शांतनु नायडू को क्या मिला है.
रतन टाटा की वसीयत में शांतनु नायडू को क्या मिला?
शांतनु नायडू की बात करें तो वह रतन टाटा के आखिरी दिनों में उनके साथ साये की तरह थे. कहा जाता था कि शांतनु नायडू उन चंद लोगों में से एक हैं, जिन्हें रतन टाटा सबसे ज्यादा मानते थे. अब ईटी की एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि रतन टाटा की वसीयत में शांतनु नायडू का भी नाम शामिल है. दरअसल, शांतनु नायडू टाटा ट्रस्ट में डिप्टी मैनेजर हैं और रतन टाटा के निजी सहायक भी रहे हैं. रतन टाटा के वसीयत में शांतनु नायडू को जो मिला है, वह है स्टार्टअप गुडफेलोज में हिस्सेदारी. इसके अलावा, शांतनु का एजुकेशन लोन भी माफ कर दिया गया है.
शांतनु नायडू कौन हैं?
शांतनु नायडू को रतन टाटा के करीबी मित्र और सहायक के रूप में जाना जाता है. उनका जन्म 1993 में पुणे, महाराष्ट्र में एक तेलुगु परिवार में हुआ था. शांतनु ने अपनी शुरुआती शिक्षा के बाद सावित्रीबाई फुले पुणे विश्वविद्यालय से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की. इसके बाद, उन्होंने कॉर्नेल विश्वविद्यालय से MBA किया, जहां उन्हें कई पुरस्कार भी मिले.
वह 2017 से टाटा ट्रस्ट में जुड़े हुए हैं और वर्तमान में टाटा समूह में जनरल मैनेजर के रूप में कार्यरत हैं. इसके अलावा, वह नए स्टार्टअप्स में निवेश के लिए टाटा समूह को सलाह भी देते हैं.
शांतनु नायडू को समाज सेवा और पशुओं के प्रति गहरी रुचि है. उन्होंने “मोटोपॉज” नामक एक संस्था की स्थापना की है, जो सड़कों पर घूमने वाले कुत्तों की मदद करती है. इस संस्था के तहत, उन्होंने विशेष डेनिम कॉलर बनाए हैं जिनमें रिफ्लेक्टर होते हैं, जिससे रात के समय सड़क पर जानवरों की सुरक्षा सुनिश्चित होती है.
दान की गई संपत्ति में क्या-क्या शामिल
दान की गई संपत्ति की बात करें तो ये करीब 3800 करोड़ रुपये है. इसमें व्यक्तिगत संपत्ति का सबसे बड़ा हिस्सा है. इसके अलावा, इस दान की गई संपत्ति में टाटा संस की 0.83 फीसदी हिस्सेदारी भी शामिल है. इसका इस्तेमाल टाटा एंडोमेंट फाउंडेशन जैसे चैरिटी संगठनों के लिए किया जाएगा. इसके अलावा, रतन टाटा की संपत्ति, जिसमें उनका जुहू का 13,000 वर्गफुट में बना बंगला, अलीबाग का बंगला और 350 करोड़ की फिक्स डिपॉजिट्स का ज्यादातर हिस्सा परोपकारी कार्यों के लिए इस्तेमाल किया जाएगा.