Middle Class Biggest Trap: भारत की इकोनॉमी के लिहाज से मिडिल क्लास काफी महत्वपूर्ण है. सबसे ज्यादा उपभोग भी यही वर्ग करता है. इसी क्लास को देखकर अधिकतर मार्केटिंग स्ट्रैटजी बनाई जाती है. लेकिन, आज ये क्लास सबसे ज्यादा दबाव में है और उसकी वजह न ही महंगाई है और न ही ऊंचे लगने वाले टैक्स. वित्तीय जानकार तापस चक्रवर्ती की मानें तो मिडिल क्लास के औसत परिवारों के सामने आज सबसे बड़ी चुनौती है हर रोज उनकी तरफ से चुकाए जाने वाले ईएमआई.

तापस चक्रवर्ती ने अपने लिंक्डइन पर लिखा है कि भारत के मिडिल क्लास के साने आज सबसे संकट क्या है? न ही महंगाई है और न ही टैक्स, ये है ईएमआई. आज हो ये रहा है कि कमाओ, उधार लो, फिर उसका भुगतान करते रहे… न कोई सेविंग्स और न कोई फायदा.

ईएमआई बड़ा ट्रैप

उन्होंने कहा कि ईएमआई की ये साइकिल लगातार लोगों की आय को चुपचाप खाती जा रही है और आपातकाल या फिर सेविंग्स के लिए बहुत ही कम बचाने में लोग कामयाब हो पाते हैं.

उनका कहना है कि फोन से लेकर फ्लाइट टिकट्स और ग्रॉसरीज तक… आज हर चीज मासिक ईएमआई पर उपलब्ध है. जो एक समय में लोगों के लिए सहूलियत का विकल्प था, आज वो उनके लिए नया जीने का तरीका बन चुका है.

लोन के बोझ तले दब  रहे लोग

आज एसी से लेकर फ्रीज और फैन्सी सोफा तक हर चीज सिर्फ एक स्वैप पर आपके लिए तैयार है. इसके लिए न किसी तरह के कोई लंबा फॉर्म भरने की जरूरत है और न ही इंतजार की. यहां तक की सिर्फ बटन दबाईए, खरीद कर ले जाइये और बात में चुकाते रहिए. लेकिन अभी खरीदो और बाद में चुकाओ के चक्कर में लोग लगातार ऋण के जाल में फंसाते जा रहे हैं.

इन आंकड़ों से भी समझा जा सकता है कि भारत में बिकने वाले करीब 70 फीसदी फोन ईएमआई पर ही बेचे जा रहे हैं. 32 प्रतिशत खर्च क्रेडिट कार्ड, पर्सनल लोन और बाय नाउ पे लेटर के जरिए लोग कर रहे हैं. छोटे लेनदार करीब 11 प्रतिशत पहले ही दिवालिया हो चुके हैं जबकि कई लोग तीन या चार लोन एकसाथ चुका रहे हैं. एक्सपर्ट ये चेतावनी दे रहे हैं कि अगर सेविंग्स नहीं हो पा रही है और एक हेल्थ इमरजेंसी आयी तो फिर क्या होगा.

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