Gender Balance In Stock Market: महिलाएं जीवन के अधिकतर क्षेत्रों में पुरुषों के साथ कदम मिला कर चल रही हैं. इसके बावजूद कई ऐसे क्षेत्र हैं, जहां आधी आबादी अपनी पूरी भागीदारी से काफी पीछे हैं. वहां उनकी भागीदारी पुरुषों की आधी भी नहीं है. शेयर बाजार भी जेंडर बैलेंस के मामले में काफी पीछे हैं. यहां तक कि शेयर बाजार में रजिस्टर्ड निवेशकों में महिलाओं की तादाद एक चौथाई से भी कम हैं. एनएसई यानी नेशनल स्टॉक एक्सचेंज की रिपोर्ट से इसका खुलासा होता है. रिपोर्ट के मुताबिक, 2022 के बाद से रजिस्टर्ड इंडिविजुअल वीमेन इन्वेस्टर की संख्या में लगातार वृद्धि हुई है. इसके बाद भी दिसंबर 2024 तक 25 फीसदी को नहीं पार कर पाई है.

दिल्ली में महिला निवेशकों की सबसे अधिक हिस्सेदारी

बड़े राज्यों में अगर देखा जाए तो दिल्ली में सबसे अधिक महिलाओं की हिस्सेदारी 30 फीसदी है. इसके बाद महाराष्ट्र में 28 फीसदी और दिल्ली में 27.7 फीसदी है. इन राज्यों में महिला निवेशकों की भागीदारी नेशनल एवरेज 24.1 फीसदी से अधिक है. कुछ राज्य तो महिला निवेशकों के मामले में काफी पीछे हैं. 

बिहार की स्थिति सबसे खराब, केवल 15.6 फीसदी  महिला निवेशक

निवेश में महिलाओं की स्थिति के मामले में तो कुछ राज्यों की स्थिति काफी खराब है. इनमें सबसे नीचे बिहार है. वहां महिला निवेशकों की हिस्सेदारी केवल 15.6 फीसदी है. इसी तरह उत्तर प्रदेश में यह केवल 18.4 फीसदी और ओड़िशा में 19.7 फीसदी है. यह आंकड़ा उन राज्यों में हुए इंडिविजुअल रजिस्ट्रेशन के आधार पर तैयार किया गया है. क्षेत्रीय आधार पर इस तरह की असमानता के बावजूद आंकड़े बता रहे हैं कि शेयर बाजार में महिला निवेशकों की तादाद में लगातार वृद्धि हो रही है. ओवरऑल यह पता चल रहा है कि शेयर बाजार में महिला निवेशकों का रुझान बढ़ रहा है. इसके साथ ही भारत के स्टॉक मार्केट इको सिस्टम में जेंडर इन्क्लुसिविटी भी लगातार बढ़ने के संकेत दिख रहे हैं. 

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