स्मोकिंग एक धीमा जहर है, जो इंसान की जिंदगी को खोखला कर देता है और शरीर के कई अंगों को बर्बाद कर देता है. डब्लूएचओ के अनुसार, स्मोकिंग से हर साल दुनिया भर में लाखों लोग जान गंवाते हैं. Lung cancer स्पेशलिस्ट डॉ. जमाल ए खान के मुताबिक, स्मोकिंग करने से कैंसर जैसी लाइलाज बीमारी होती है और हर साल करीब 70 लाख लोगों की मौत होती है. सिगरेट पीना सिर्फ लंग कैंसर को इनवाइट करना नहीं है, बल्कि यह आपकी पूरी बॉडी को कई जानलेवा बीमारियों का शिकार बना सकता है. टोबैको और निकोटीन हर ऑर्गन को डैमेज करते हैं. यहां सिगरेट पीने से होने वाली कुछ ऐसी गंभीर बीमारियां बताई गई हैं, जो एक से बढ़कर एक जानलेवा हैं.
- लंग कैंसर: लंग कैंसर से सबसे ज्यादा लोग मरते हैं और 90% केस स्मोकिंग से जुड़े हैं. सीडीसी के अनुसार, स्मोकर्स में इसका रिस्क नॉन-स्मोकर्स से 15-30 गुना ज्यादा होता है. सेकंडहैंड स्मोक से भी रिस्क बढ़ता है और हर साल हजारों मौतें होती हैं.
- क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज: सीओपीडी से जुड़ी 90% मौतें स्मोकिंग के कारण होती हैं. यह फेफड़ों की गंभीर बीमारी है, जो सांस लेना मुश्किल कर देती है और मौत का तीसरा सबसे बड़ा कारण है. बचपन में स्मोकिंग से फेफड़ों का विकास धीमा होता है और सीओपीडी का रिस्क बढ़ता है.
- हार्ट डिजीज: स्मोकिंग से हार्ट डिजीज का रिस्क चार गुना बढ़ जाता है. निकोटीन हार्ट को ऑक्सीजन कम देता है और हार्ट रेट बढ़ाता है, जिससे हार्ट पर प्रेशर आता है. देश में हार्ट डिजीज मौत का नंबर वन कारण है, जिसमें से हर पांचवीं मौत स्मोकिंग से रिलेटेड है.
- स्ट्रोक: स्मोकिंग स्ट्रोक का रिस्क दोगुना कर देता है. यह ब्रेन में ब्लड सप्लाई को ब्लॉक कर देता है, जिससे पैरालिसिस, बोलने में दिक्कत या मौत हो सकती है. स्ट्रोक मौत का पांचवां बड़ा कारण और एडल्ट्स में विकलांगता का मुख्य कारक भी है.
- ओर्टिक एन्यूरिज्म: एरोटा या महाधमनी बॉडी की सबसे बड़ी ब्लड वेसल है. स्मोकिंग करने वाले मेल्स में एओर्टिक एन्यूरिज्म का रिस्क ज्यादा होता है. ये एन्यूरिज्म जानलेवा हो सकते हैं, क्योंकि ये ब्लड वेसल्स को डैमेज करते हैं.
- ओरोफेरीन्जियल कैंसर: यह माउथ या थ्रोट में स्टार्ट होने वाला कैंसर है. इसका रिस्क इस बात पर डिपेंड करता है कि कोई कितना स्मोक करता है या तंबाकू चबाता है. यह लिप्स, गम्स, चीक्स और वॉइस बॉक्स को अफेक्ट कर सकता है.
- एसोफैजियल कैंसर: यह थ्रोट कैंसर है, जिसका रिस्क स्मोकिंग से बढ़ता है. स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा, जो स्किन या ऑर्गन्स की लाइनिंग पर होता है. सीधे तौर पर तंबाकू और अल्कोहल से जुड़ा है.
- कैटरैक्ट्स: यह आंखों की ऐसी कंडीशन है, जहां लेंस ओपेक हो जाता है और विजन लॉस होता है. यह ब्लाइंडनेस का मेन कॉज है और स्मोकिंग से इसके डेवलप होने का रिस्क बढ़ता है.
- टाइप 2 डायबिटीज: 90% डायबिटीज के केस टाइप 2 होते हैं और स्मोकिंग इसका डायरेक्ट कॉज है. स्मोकर्स में इसके डेवलप होने की पॉसिबिलिटी 30-40% ज्यादा होती है. स्मोकिंग से डायबिटीज कॉम्प्लिकेशन्स भी बढ़ जाती हैं.
- रुमेटीइड आर्थराइटिस: कई स्टडीज ने दिखाया है कि स्मोकिंग से रुमेटीइड आर्थराइटिस होने का रिस्क बढ़ता है. यह जॉइंट्स में सूजन, पेन, डिफॉर्मिटी और मूवमेंट में दिक्कत पैदा करता है.
- सडन इन्फेंट डेथ सिंड्रोम: यह सोते समय बेबी की अनएक्सप्लेन्ड डेथ है. प्रेगनेंसी के दौरान या पहले स्मोकिंग करने वाली मदर्स के बेबीज में इसका रिस्क ज्यादा होता है और अगर फादर भी स्मोक करता है, तो रिस्क और बढ़ जाता है.
- इरेक्टाइल डिसफंक्शन: कई स्टडीज में स्मोकिंग को इरेक्टाइल डिसफंक्शन का मेन कॉज पाया गया है. स्मोकिंग आर्टरीज में प्लाक जमा करता है और ब्लड फ्लो को रोकता है, जिससे यह कंडीशन 60% तक बढ़ जाती है.
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Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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