Gold Prices: राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के ब्याज दरों में कटौती के लिए अमेरिकी फेडरल रिजर्व पर लगातार दबाव बनाए जाने के बाद डॉलर अपने तीन साल के निचले स्तर पर पहुंच गया है. ऐसे में ग्लोबल इंवेस्टर्स अमेरिकी शेयर बाजार से पैसे निकाल रहे हैं. इसके चलते सोने की कीमतों में रिकॉर्ड तेजी देखने को मिली है.
ग्लोबल रिजर्व करेंसी निचले स्तर पर पहुंचा
ट्रंप ने बीते हफ्ते फेड चेयरमैन जेरोम पावेल की आलोचना की थी. ट्रंप की यह धमकी फेड की स्वतंत्रता के लिए खतरा माना गया. नतीजतन, डॉलर पर दबाव बढ़ा और वह तीन साल के निचले स्तर पर आ गया. पिछले कुछ सालों में अमेरिकी डॉलर की मांग बढ़ी है. इसने बाकी दुनिया के मुकाबले बेहतर प्रदर्शन भी किया है.
वैश्विक भू-राजनीतिक अनिश्चितताओं के बीच निवेशकों ने इसमें निवेश को सुरक्षित माना. वैसे भी डॉलर को ग्लोबल रिजर्व करेंसी माना जाता है, लेकिन अमेरिकी टैरिफ पॉलिसी ने ग्लोबल मार्केट को हिलाकर रख दिया है और डॉलर परिसंपत्तियों में निवेशकों का भरोसा कम हुआ है. अमेरिकी शेयर बाजार में लगभग 11 परसेंट की गिरावट आई है, और इस साल जनवरी से अमेरिकी डॉलर में 9 परसेंट से अधिक की गिरावट आई है.
डॉलर से हिला निवेशकों का भरोसा
जेरोम पावेल को ट्रंप की धमकी के बाद डॉलर इंडेक्स 97.92 के लेवल पर पहुंच गया, जो मार्च 2022 के बाद से सबसे निचला स्तर है. स्विस फ्रैंक के मुकाबले यह करेंसी एक दशक के निचले स्तर पर पहुंच गई है और यूरो तीन साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया. भारतीय रुपया भी मजबूत हुआ और पिछले सप्ताह 87.99 डॉलर के सर्वकालिक निम्न स्तर से उबरकर 85 डॉलर प्रति डॉलर पर पहुंच गया.
इस साल अब तक घरेलू और विदेशी दोनों बाजारों में सोने की कीमत में 30 परसेंट से अधिक की वृद्धि हुई है, क्योंकि ट्रंप की टैरिफ पॉलिसी और व्यापार नीतियों पर इसकी अनिश्चितता ने डॉलर परिसंपत्तियों में विश्वास को खत्म कर दिया है, जिससे सोने जैसी पारंपरिक सुरक्षित वस्तुओं की मांग बढ़ गई है.
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