Pacemaker for Heart Attack : सर्दियों में दिल की बीमारियों और हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है. क्योंकि शरीर को गर्म रखने के लिए दिल को ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है. ठंड की वजह से खून की नलियां भी सिकुड़ती हैं, जिससे ब्लड प्रेशर (Blood Pressure) बढ़ने लगता है. मतलब दिल पर हर तरफ से बोझ बढ़ता है. इस मौसम में हार्ट अटैक का खतरा बढ़ता है.
यह एक ऐसी कंडीशन होती है, जब दिल की मांसपेशियों को ब्लड और ऑक्सीजन की सप्लाई सही तरह नहीं हो पाती है या पूरी तरह बंद हो जाती है. इससे जान तक जोखिम में पड़ जाती है. दिल के कई मरीजों को पेस मेकर लगा होता है. ऐसे में सवाल उठता है कि पेस मेकर (Pacemaker) हार्ट अटैक के असर को कितना कम कर सकता है. आइए जानते हैं..
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पेस मेकर क्या है
पेसमेकर एक ऐसी डिवाइस होती है, जिसका इस्तेमाल हार्ट रेट को सामान्य करने में होता है. इसे स्किन के अंदर कॉलरबोन के ठीक नीचे डॉक्टर लगाते हैं. पेसमेकर इलेक्ट्रिकल पल्सेस की मदद से दिल को नॉर्मल रेट से धड़कने के लायक बनाता है. इसकी जरूरत एरिदमिया यानी हार्टबीट रेट या रिदम की समस्या होने पर पड़ती है. एरिदमिया में दिल की धड़कन या तो तेज चलती है या एकदम धीमी. कई बार हार्टबीट असामान्य भी हो जाती है. अगर हार्ट के इलेक्ट्रिकल पाथवे में कोई ब्लॉकेज है तो भी पेस मेकर लगाने की जरूरत पड़ती है.
पेस मेकर कैसे काम करता है
हार्ट अटैक के असर को कितना कम करता है पेस मेकर
एक्सपर्ट्स के अनुसार, पेस मेकर हार्ट अटैक (Heart Attack) के असर को करीब 50-60% तक कम कर सकता है. ये डिवाइस दिल की मांसपेशियों को नुकसान पहुंचाने से बचाता है और धड़कनों को कंट्रोल करता है. हालांकि, दिल का दौरा पड़ने पर सिर्फ इसी के भरोसे नहीं बैठना चाहिए, मरीज को तुरंत डॉक्टर के पास ले जाना चाहिए.
किसके लिए पेस मेकर जरूरी है
हार्ट डिजीज से पीड़ित
हार्ट अटैक के खतरे वाले लोगों को
दिल की धड़कनें असामान्य रहने वालों में
हार्ट की मांसपेशियों में नुकसान होने वालों को
पेस मेकर के फायदे
दिल की धड़कनों को नियंत्रित कर नॉर्मल बनाता है.
हार्ट की मांसपेशियों को नुकसान पहुंचने से बचाता है.
हार्ट अटैक के रिस्क को कम करता है.
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