Metabolic Health : क्या आप जानते हैं, हेयर स्टाइलिस्ट-टैटू आर्टिस्ट या टेलर भी आपकी मेटाबॉलिक हेल्थ मॉनिटर कर सकते हैं. ऐसा हमारा नहीं बल्कि लिवर एक्सपर्ट डॉ. शिव सरीन (Dr Shiv Sarin) का मानना है. सरीन ने अपनी हाल में आई बुक ‘Own Your Body’ में बताया कि अगर हम अपने सभी हेयरड्रेसर को ब्लैक लाइंस और स्किन टैग को देखने के लिए ट्रेन सकें, तो हम हजारों लोगों की पहचान करने और उनकी मदद करने में सक्षम हो सकते हैं, जो अपने मेटाबॉलिक हेल्थ के बारें में पूरी तरह से अनजान हैं. आइए जानते हैं मेटाबॉलिक हेल्थ पर नजर रखने के लिए डॉ. सरीन ने कौन सा तरीका बताया है…
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मेटाबॉलिक हेल्थ की खुद करें केयर
डॉ. सरीन ने बिजनेसलाइन को बताया कि इसके पीछे साइंस है लेकिन यह डॉक्टरों तक ही सीमित है. उन्होंने आगे कहा कि टेलर को सलाह दी जा सकती है कि वे कस्टमर्स को अपने डॉक्टरों से बात करने के लिए कहें. अगर उनका कमर से कूल्हे का रेश्यो हेल्दी लिमिट (पुरुषों में 0.9 और महिलाओं में 0.8) से ज्यादा है तो यह मोटापे का संकेत है. सरीन का कहना है कि अपनी सेहत को डॉक्टरों के भरोसे न छोड़ें, इसकी खुद देखभाल करें. उनकी यह सलाह वर्ल्ड हेल्थ डे 7 अप्रैल से पहले आई है, जब WHO की थीम, ‘मेरी सेहत, मेरा अधिकार’ है.
हेल्थ पर करें फोकस
सरीन लोगों से अपनी फैमिली ट्री मैप बनाने की अपील की है, ताकि वे अपने पैरेंट्स से मिली हेल्थ लेगेसी को समझ सकें और यह जान सकें कि वे अगली पीढ़ी को क्या सौंपेंगे. उन्होंने कहा कि लाखों बच्चे ऐसी फैमिली में पैदा होते हैं, जिनमें मोटापा, फैटी लीवर, डायबिटीज, ब्लड प्रेशर, हाई कोलेस्ट्रॉल और हार्ट, लिवर या किडनी या कैंसर की बीमारियों से जुड़ी समस्याएं होती हैं. मेटाबॉलिक हेल्थ या कैंसर वाली फैमिली में पैदा होने वाले बच्चे हेल्दी नजर आएंगे लेकिन उनमें कई साइलेंट चुनौतियां भी देखने को मिल सकती है. यह आपको चिंता करने के लिए नहीं है. यह सिर्फ फैक्ट से रूबरू करवाने के लिए है.
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क्या दुबला होना फिट होने का संकेत
डॉ. सरीन बताते हैं कि दुबले होने का मतलब यह नहीं है कि आप फिट हैं. लोगों को खानपान पर ध्यान रखना चाहिए, कि वे क्या खाते हैं, कब खाते हैं और कितना खाते हैं. आपको एक्सरसाइज करना चाहिए और 7 घंटे की आरामदायक और तरोताज़ा करने वाली नींद लेनी चाहिए. वह कहते हैं, जब तक बहुत ज़रूरी न हो दवा न लें. अगर बच्चे अनहेल्दी हैं तो पैरेंट्स को उन्हें जन्म नहीं देना चाहिए.वे कहते हैं भ्रूण को यह जानने का अधिकार है कि वह 9 महीने तक किस वातावरण में रहा, क्योंकि बच्चे को हेल्दी पैदा होने का अधिकार है.
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