होली से पहले ही देश को एक बड़ी खुशखबरी मिल गई है. फरवरी 2024 में भारत की रिटेल महंगाई दर (Retail Inflation Rate) 7 महीने के निचले स्तर पर पहुंच गई है. कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (CPI) के आधार पर यह दर फरवरी में 3.61 फीसदी रही, जो जनवरी के मुकाबले 0.65 फीसदी कम है. यह आंकड़ा जुलाई 2024 के बाद सबसे कम है और इसकी मुख्य वजह खाद्य पदार्थों की कीमतों में गिरावट है.
खाद्य महंगाई में गिरावट
फरवरी में खाद्य महंगाई दर (Food Inflation) मई 2023 के बाद सबसे निचले स्तर पर पहुंच गई है. यह जनवरी के मुकाबले 222 बेसिस पॉइंट्स कम है. सब्जियों, अंडे, मांस-मछली, दालों और दूध व दूध उत्पादों की कीमतों में गिरावट ने इस गिरावट में अहम भूमिका निभाई है.
सबसे ज्यादा गिरावट वाले आइटम
अदरक (-35.81 फीसदी)
जीरा (-28.77 फीसदी)
टमाटर (-28.51 फीसदी)
फूलगोभी (-21.19 फीसदी)
लहसुन (-20.32 फीसदी)
ईंधन की कीमतों में भी राहत
फरवरी में ईंधन की कीमतों में भी गिरावट देखी गई, जिससे घरेलू बजट पर दबाव कम हुआ. ईंधन की महंगाई दर -1.33 फीसदी रही, यानी कीमतों में कमी आई.
RBI के लिए अच्छी खबर
रिटेल महंगाई दर में लगातार गिरावट और 4 फीसदी के RBI के लक्ष्य से नीचे रहने से केंद्रीय बैंक को अब आर्थिक विकास को गति देने और रोजगार बढ़ाने के लिए ब्याज दरों (Repo Rate) में कटौती करने की ज्यादा गुंजाइश मिल गई है. RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा ने पिछले महीने मौद्रिक नीति (Monetary Policy) की समीक्षा में पॉलिसी रेट में 25 बेसिस पॉइंट्स की कटौती की घोषणा की थी. अब रेपो रेट 6.25 फीसदी है. उन्होंने कहा कि महंगाई दर में गिरावट जारी है और यह आगे और कम होकर RBI के 4 फीसदी के लक्ष्य के करीब पहुंचेगी.
मौद्रिक नीति का संतुलन
RBI की मौद्रिक नीति समिति (MPC) ने महंगाई पर नियंत्रण और आर्थिक विकास को गति देने के बीच एक संतुलन बनाए रखने का फैसला किया है. MPC ने अपनी नीति में ‘न्यूट्रल स्टांस’ जारी रखने का फैसला किया है, जो महंगाई पर नजर रखते हुए विकास को सपोर्ट करेगा.
क्या है आगे की रणनीति?
RBI गवर्नर ने कहा कि यह नीति मैक्रोइकॉनॉमिक परिस्थितियों के अनुसार प्रतिक्रिया देने के लिए लचीलापन प्रदान करेगी. इसका मतलब है कि अगर महंगाई दर और नीचे आती है, तो RBI और दर कटौती कर सकता है, जिससे अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा.
क्या कहते हैं एक्सपर्ट?
एक्सपर्ट्स का मानना है कि महंगाई दर में गिरावट से न केवल आम लोगों को राहत मिलेगी, बल्कि इससे निवेश और उपभोक्ता खर्च में भी बढ़ोतरी हो सकती है. यह अर्थव्यवस्था के लिए एक सकारात्मक संकेत है.
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