Constipation and Cancer : क्या आपको भी हर समय कब्ज की शिकायत रहती है, कुछ खाते ही पेट भरा-भरा सा महसूस होता है, अगर हां तो सावधान हो जाएं, क्योंकि लगातार कब्ज आंत के कैंसर (Colon Cancer) का संकेत हो सकता है. कोलोन या कोलोरेक्टल कैंसर को बड़ी आंत का कैंसर भी कहा जाता है.
ये कैंसर बड़ी आंत (Colon) या रैक्टम यानी गैस्ट्रो इंटेस्टाइनल के आखिरी भाग में होता है. ज्यादातर लोग इस कैंसर के शुरुआती संकेतों को इग्नोर कर देते हैं, जो बाद में जानलेवा साबित हो सकता है. अगर सही समय पर इसकी पहचान कर ली जाए तो इसका इलाज भी हो सकता है. आइए जानते हैं इस कैंसर के बारें में…
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आंतों का कैंसर बढ़ने की वजह
1. हाई फाइबर वाले फूड्स जैसे- गेहूं, जौ, मक्का और साबुत अनाज, दाल, गाजर चुकंदर जैसी चीजें की बजाय जंक और फास्ट फूड्स ज्यादा खाना.
2. नॉन वेज जैसे रेड मीट यानी लैंब, मटन, पोर्क और प्रोसेस्ड मीट में कार्सिनजोनिक पाया जाता है, जो इस कैंसर का कारण बन सकता है.
3. हाई फैट डेयरी प्रोडक्ट जैसे पनीर, बटर, हेवी क्रीम बर्गर, पिज्जा में डालकर खाने से कब्ज और पेट से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं, जिसका सही समय पर इलाज न कराने से कोलन कैंसर का खतरा.
4. शराब-सिगरेट पीने की वजह से.
कोलन कैंसर के संकेत
वजन कम होना
स्टूड में ब्लड आना
पेट फूलना
उल्टी होना
पेट साफ न होना
लगातार पेट दर्द होना
कोलन कैंसर से बचने के लिए क्या करें
1. जंक फूड, फास्ट फूड और स्ट्रीट फूड खाना कम करें.
2. खाने में विटामिन, खनिज, फाइबर और एंटीऑक्सिडेंट से भरपूर सब्जियां और साबुत अनाज शामिल करें.
3. तनाव कम करने के लिए योग और मेडिटेशन करें.
4. डायबिटीज के मरीज सही इलाज कराएं.
5. कब्ज की समस्या को इग्नोर न करें.
6. पानी भरपूर मात्रा में पिएं. नारियल पानी और जूस भी पिएं.
7. अल्कोहल और नशे से जितना हो सकते दूर ही रहें.
8. सिगरेट तुरंत छोड़ दें, तंबाकू से दूरी बना लें.
9. एक तय उम्र जैसे 45 साल के बाद हर साल कोलन कैंसर की जांच करानी चाहिए.
कोलन कैंसर का इलाज क्या है
दूसरे कैंसर की तरह कोलोन कैंसर का भी पता शुरुआत में नहीं लग पाता है. इसका कारण इसके लक्षण ही हैं. दरअसल, एसिडिटी, पेट में जलन, अल्सरेटिव कोलाइटिस जैसी बीमारियों को ज्यादातर लोग हल्के में लेते हैं और घरेलू उपाय से ठीक करने की कोशिश करते हैं, जो कई बार खतरनाक रूप ले सकती सकती है. कोलन कैंसर का पता ज्यादातर समय लास्ट स्टेज में ही चलता है, तब इसका इलाज करने के लिए डॉक्टर रेडिएशन थेरेपी और कीमोथेरेपी देते हैं. जरूरत पड़ने पर ट्यूमर को हटाने के लिए मरीज की सर्जरी भी की जाती है. इसमें लैप्रोस्कोपिक और रोबोटिक का इस्तेमाल होता है.
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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