US-China Trade Tensions: भारत और अमेरिका के बीच लगातार व्यापारिक तनाव बढ़ता जा रहा है. चीन की तरफ से जवाबी कार्रवाई में लगाए गए 84 प्रतिशत टैरिफ से भड़कते हुए अमेरिका ने चीन पर टैरिफ को 104 प्रतिशत से बढ़ाकर अब 124 प्रतिशत कर दिया है. ऐसा करने के पीछे ट्रंप ने ये दलील दी है कि जब उन्होंने टैरिफ लगाया तो बाकी देश उनके साथ बातचीत के लिए सामने आए जबकि चीन ने ऐसा नहीं किया. चीन ने टैरिफ के बदले जवाबी कार्रवाई की, जो एक तरह से सम्मान नहीं है.
चीन बोले- भारत आए साथ
दूसरी तरफ से अमेरिका से बढ़ी ट्रेड टेंशन के बीच बीजिंग ने अपने पड़ोसी भारत की मदद मांगी और कहा कि हमें एक साथ खड़े होना चाहिए. भारत स्थित चीनी दूतावास के प्रवक्ता यू जिंग ने मंगलवार को बयान जारी करते हुए कहा कि बीजिंग और नई दिल्ली के बीच आर्थिक और व्यापारिक रिश्ता पारस्परिक फायदे पर आधारित है.
उन्होंने सोशल मीडिया पोस्ट एक्स पर आगे कहा कि अमेरिकी टैरिफ की चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए दोनों ही विकासशील देशों को एक साथ आना चाहिए और इस मुश्किल घड़ी से पार पाना चाहिए. व्यापार और टैरिफ वॉर में कोई विजेता नहीं है. सभी देशों गहन विमर्श के सिद्दांतों का पालन करना चाहिए और सभी तरह के एकतरफा और संरक्षणवादी कदमों का विरोध किया जाना चाहिए.
भारत के पास क्या विकल्प?
दरअसल, दोनों ही देशों की लड़ाई में टेस्ला और एपल जैसी कंपनियां प्रभावित होंगीं क्योंकि इनके लिए चीन की मार्केट काफी महंगी हो जाएगी. दूसरी तरफ चीन अब अपने डोमेस्ट्क ब्रांड्स को अमेरिका की बजाय यूरोपीय देश फिर किसी अन्य जगहों पर प्राथमिकता दे सकता है.
इन सभी कारणों के चलते अमेरिका का कंपीटीशन कमजोर होगा और भारत के लिए ये एक बड़ा मौका होगा जब अमेरिकी कंपनियां चीन की बजाय भारत की ओर रुख करेगी.
क्या होंगे फायदे?
अगर अमेरिकी कंपनियां भारत की ओर रुख करती है तो इससे विदेशी निवेश बढ़ेगा. भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी. हालांकि, कई ऐसे इलेक्ट्रॉनिक प्रोडक्ट्स है जिसके लिए भारत चीन पर निर्भर है. उस स्थिति में भारतीय उपभोक्ताओं को उन सामानों के लिए अधिक कीमत देनी होगी. एक और फैक्टर ये देखने को मिल सकता है कि भारतीय निर्यातकों को वैश्विक व्यापार में अस्थिरता का सामना करना पड़ सकता है. इससे निर्यात में कमी का सामना करना पड़ सकता है.
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