कच्चा आंवला पोषण से भरपूर होता है क्योंकि यह अपने नैचुरल फॉर्म में रहता है. इसमें विटामिन C की मात्रा संतरे से भी अधिक होती है, जो इम्यूनिटी बढ़ाने और स्किन हेल्थ के लिए बेहद जरूरी है. इसके अलावा, यह पाचन को दुरुस्त रखता है, कब्ज को कम करता है, बालों की ग्रोथ में मदद करता है और कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल करता है.

ताजा आंवले को सुखाकर और पीसकर तैयार किया गया पाउडर लंबे समय तक स्टोर किया जा सकता है. इसे पानी, शहद या स्मूदी में मिलाना आसान होता है. हालांकि ड्राइंग प्रोसेस में कुछ विटामिन C कम हो जाता है, लेकिन एंटीऑक्सीडेंट्स और मिनरल्स इसमें रहते हैं. यह वजन कम करने, मेटाबॉलिज्म बढ़ाने और लिवर डिटॉक्स में भी मददगार है.

सूखा आंवला खाने में आसान और पचाने में अच्छा है क्योंकि इसमें फाइबर की मात्रा रहती है. यह आयरन के अवशोषण को बढ़ाने में मदद करता है, जिससे एनीमिया का खतरा कम होता है. हालांकि मीठा किया हुआ सूखा आंवला हेल्दी नहीं माना जाता क्योंकि इसमें अतिरिक्त शुगर होती है. साथ ही, ड्राइंग प्रोसेस में विटामिन C का स्तर कम हो जाता है.

पी.डी. हिंदुजा हॉस्पिटल एंड एमआरसी, खार की क्लिनिकल डाइटेटिक्स डिप्टी मैनेजर, मिस रुतु धोडपकर के अनुसार, “ताजा आंवले में संतरा, मौसमी और नींबू से कहीं ज्यादा विटामिन C पाया जाता है. इसे अक्सर इंडियन गूजबेरी कहा जाता है और 100 ग्राम ताजे आंवले में लगभग 600–700 mg विटामिन C होता है, जो इसे इस पोषक तत्व का सबसे बड़ा नैचुरल सोर्स बनाता है.

यह सुपरफूड विटामिन, मिनरल्स और एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर है, जो इम्यूनिटी को मजबूत करते हैं. यह कब्ज को दूर करके पाचन में सुधार करता है, बालों का झड़ना कम करता है और कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करके हार्ट हेल्थ को भी सपोर्ट करता है.

उन्होंने आगे कहा, “एक जरूरी बात यह है कि कटा हुआ आंवला अपना विटामिन C जल्दी खो देता है और इसकी शेल्फ लाइफ सिर्फ दो दिन होती है. सुखाने से आंवला ज्यादा दिन तक सुरक्षित रहता है, लेकिन इससे विटामिन C की मात्रा कम हो जाती है. पाउडर बनाने की प्रोसेस में भी विटामिन C का लेवल और घटता है. फिर भी, सूखा आंवला मेटाबॉलिज्म बढ़ाने, वजन कम करने और स्किन व बालों की सेहत सुधारने में मदद करता है. इसे स्मूदी, शहद या पानी के साथ लिया जा सकता है. आंवला लिवर को डिटॉक्स करने और शरीर का pH लेवल बनाए रखने में भी सहायक है.”

आजकल कई लोग आंवला, हल्दी, खीरा, नींबू, संतरा, चुकंदर और गाजर को पानी में डालकर रातभर छोड़ देते हैं और अगले दिन इसे अल्कलाइन वॉटर के रूप में पीते हैं. इसके अलावा, पारंपरिक प्रोबायोटिक ड्रिंक ‘कांजी’ इन सामग्रियों को तीन दिन धूप में पानी में रखकर बनाई जाती है, जो आंतों के लिए फायदेमंद बैक्टीरिया को बढ़ावा देती.
Published at : 27 Jul 2025 05:23 PM (IST)