भारतीय तेज गेंदबाज जसप्रीत बुमराह वर्कलोड मैनेजमेंट के तहत इंग्लैंड दौरे पर सिर्फ 3 टेस्ट खेल पाए थे, वह एजबेस्टन और द ओवल में नहीं खेले थे. हालांकि भारत ने इन्ही 2 मैचों में जीत दर्ज की थी, जिसमें बुमराह नहीं खेल पाए थे. टीम इंडिया के पूर्व क्रिकेटर और चयन समिति के पूर्व अध्यक्ष रह चुके संदीप पाटिल ने वर्कलोड निति को लेकर बीसीसीआई पर निशाना साधा है.

1983 वर्ल्ड कप विजेता टीम का हिस्सा रहे संदीप पाटिल ने कहा कि जब वह खेलते थे और बीसीसीआई के सिलेक्टर रहने के दौरान इसके बारे में कभी विचार नहीं किया गया होगा. बुमराह के प्रति भी भी नाराजगी नजर आई.

इंग्लैंड दौरे से पहले बॉर्डर गावस्कर ट्रॉफी 2024-25 में जसप्रीत बुमराह ने सभी मैच खेले थे, लेकिन 5वें टेस्ट में चोटिल हो गए थे. कुछ लोगों का मानना था कि बुमराह पर ज्यादा वर्कलोड है. संदीप पाटिल के अनुसार बड़ी सीरीज में टीम के मुख्य प्लेयर्स को आराम देना सही नहीं है.

संदीप पाटिल ने क्या कहा

मिड-डे से बात करते हुए संदीप पाटिल ने कहा, “हैरानी ये हैं कि बीसीसीआई इन चीजों के लिए सहमत कैसे हो रहा है. कोच या कप्तान से ज्यादा एक फिजियो महत्वपूर्ण है. सिलेक्टर्स का क्या? अब हम ये उम्मीद करें कि फिजियो चयन समिति बैठक में हिस्सा लेगा? क्या वही फैसला करेगा.

उन्होंने आगे कहा, “देश के लिए जब आप चुने जाते हो तो आप अपने वतन के लिए मर मिटते हो, आप एक योद्धा की तरह होते हो. मैंने सुनील गावस्कर को पांचों दिन बैटिंग करते देखा, कपिल देव को टेस्ट मैच के अधिकतर दिन गेंदबाजी करते देखा. कपिल नेट्स पर भी काफी गेंदबाजी करते थे, उन्होंने कभी ब्रेक की मांग नहीं की और न ही शिकायत की. 16 साल से ज्यादा उनका करियर चला. 1981 में ऑस्ट्रेलिया में मेरे सिर पर चोट लगी थी, इसके बाद मई टेस्ट मैच में खेलने उतरा था.

पाटिल ने कहा, “हमारे जमाने में कोई रिहैब प्रोग्राम नहीं होता था, हम चोट लगने के बावजूद भी खेलते थे. इतना कहूंगा कि हमें देश के लिए खेलकर ख़ुशी मिलती थी, कोई ड्रामा नहीं.”



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