पाकिस्तान क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान इंजमाम उल हक का हिसार के एक हिंदू परिवार से खास रिश्ता है. वहां एक महिला रहती हैं, जिसे वह बुआ कहते हैं और उस महिला ने 1947 में बंटवारे के समय इंजमाम के परिवार की जान बचाई थी. जब देश का विभाजन हो रहा था तब इंजमाम का परिवार हिसार में रहता था, उनके पड़ोस में एक हिंदू परिवार रहता था.

पाकिस्तान के पूर्व क्रिकेटर और कोच रहे इंजमाम उल हक के पिता बंटवारे के बाद पाकिस्तान चले गए, लेकिन हिसार में उनके पड़ोसी परिवार से ऐसा रिश्ता बन गया जिसे वह कभी भूल नहीं पाए. इस हिंदू परिवार ने इंजमाम के परिवार की रक्षा की और उनकी मदद की. इंजमाम जब भारत दौरे पर आए थे तो इस परिवार को ढूंढा और उन्हें मिली एक हिंदू बुआ.

इन्तजाम उल हक का परिवार आज भी उनका शुक्रगुजार है, जिन्होंने बंटवारे के समय उनके परिवार को सुरक्षित रखने में मदद की और सरहद पार करवाने में भी सहायता की.

Dawn में छपी एक खबर के अनुसार कुछ साल पहले इंजाम जब भारत आए तो वह हरियाणा के एक व्यक्ति से मिले थे, जिसने इंजमाम को एक टेलीफोन नंबर दिया जो उनकी मां पुष्पा गोयल का था. उस व्यक्ति ने कहा था कि ये नंबर आप अपने परिवार को दे देना.

इंजमाम उल हक की शादी में आया खास बुलावा

इंजमाम ने ये नंबर अपने पिता को भेजा, तो तुरंत उनके पिता ने पुष्पा गोयल से बात की. वह पुष्पा को नहीं भूले थे, जिन्होंने बंटवारे के समय उनके परिवार को पनाह दी. इस समय धर्म के आधार पर लोग एक दूसरे के खिलाफ थे.

इंजमाम उल हक के पिता हिसार जिले के हांसी में रहते थे. जब इंजमाम की शादी हुई थी तब पुष्पा को खास बुलाया आया था. उन्होंने तब बताया था कि इस शादी होकर उन्हें ऐसा लगा जैसे उनके घर की शादी है. मुल्तान की यात्रा को उन्होंने यादगार बताया था.

पुश्तैनी गांव जाना चाहते थे इंजमाम उल हक

पाकिस्तान टीम के साथ जब वह मोहाली में आए थे तो भावुक हो गए, यह कहते हुए उनके आंसू निकल गए कि वह अपने पुश्तैनी गांव हांसी जाना चाहते हैं. 1947 में बंटवारे के बाद उनका परिवार यहां से पाकिस्तान चला गया था. जहां उनके पिता का बचपन गुजरा, इंजमाम उल हक वहां जाना चाहते थे लेकिन पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड ने इसकी इजाजत नहीं दी थी. इसी दौरे पर रमीज राजा भी अपने पुश्तैनी गांव जाना चाहते थे, जो जयपुर के पास था लेकिन उन्हें भी अनुमति नहीं मिली थी.



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