बच्चे गहरी भावनाएं महसूस करते हैं जैसे गुस्सा, चिंता या उदासी. मेडिटेशन से वे इन भावनाओं को पहचानना और उनसे पीछे हटना सीखते हैं.

खेल, मोबाइल और सोशल मीडिया की वजह से बच्चों का ध्यान भटकता रहता है. मेडिटेशन उन्हें अपनी सांस पर ध्यान केंद्रित करना सिखाता है, जिससे पढ़ाई और बातचीत में मदद मिलती है.

स्कूल के टेस्ट, दोस्ती या परिवार की उम्मीदें बच्चों पर तनाव ला सकती हैं. मेडिटेशन से शरीर आराम की अवस्था में आता है, दिल की धड़कन धीमी होती है और बच्चे शांत महसूस करते हैं.

सोने से पहले मेडिटेशन करने से बच्चों का मन शांत होता है, चिंता कम होती है और उन्हें जल्दी और गहरी नींद आती है.

मेडिटेशन से बच्चे अपने विचारों और भावनाओं को समझते हैं. इससे उनमें खुद के लिए और दूसरों के लिए दया और सहानुभूति बढ़ती है.

मेडिटेशन से ध्यान और याददाश्त बढ़ती है, जिससे बच्चों की पढ़ाई में मदद मिलती है और वे बेहतर सीख पाते हैं.

मेडिटेशन बच्चों को सिखाता है कि वे गुस्सा या निराशा में तुरंत प्रतिक्रिया न दें, बल्कि एक पल रुककर सोचें और फिर सही कदम उठाएं. इससे वे मजबूत बनते हैं.

मेडिटेशन से बच्चे अपने आवेगों को संभालना सीखते हैं, जैसे बिना सोचे समझे बात करना या किसी का सामान लेना. वे जल्दी रुकना और अच्छा व्यवहार करना सीखते हैं.

जब बच्चे अपने नकारात्मक विचारों को समझते हैं कि वे अस्थायी हैं, तो उनके अंदर एक शांत और स्थिर आत्मविश्वास जन्म लेता है, जो उन्हें खुश और मजबूत बनाता है.
Published at : 15 Aug 2025 04:05 PM (IST)