टीबी यानी ट्यूबरकुलोसिस को दुनिया की सबसे पुरानी और खतरनाक बीमारियों में गिना जाता है. वहीं भारत में हर साल इस बीमारी से लाखों लोग जूझ रहे होते हैं. खासकर उन मरीजों के लिए यह और मुश्किल होती है, जिनमें मल्टी ड्रग रेसिस्टेंट टीबी विकसित हो जाती है. ऐसे में मरीज को करीब 18 से 20 महीने तक भारी दवाइयों का कोर्स लेना पड़ता है. जिनके कई साइड इफेक्ट भी होते हैं. लेकिन अब इन मरीजों के लिए राहत की खबर आई है. दरअसल भारत सरकार ने एक नई तकनीक बी-पाल-एम रेजिमेन को मंजूरी दे दी है. जिससे एमडीआर टीबी का इलाज छह महीनों में संभव होगा. इस तकनीक से न सिर्फ इलाज का समय कम होगा बल्कि इसका खर्च भी काफी कम होगा.
क्या है बी-पाल-एम रेजिमेन तकनीक?
बी-पाल-एम रेजिमेन तकनीक चार दवाओं से मिलकर बनी है. जिसमें बेडाक्विलीन, प्रीटोमैनिड, लाइनजोलिड और मॉक्सीफ्लोक्सासिन शामिल है. यह सभी दवाएं एमडीआर टीबी के बैक्टीरिया पर सीधा असर डालती है और संक्रमण को तेजी से खत्म करने में मदद करती है. वहीं यह एक ओरल मेडिसिन कोर्स है यानी इसमें इंजेक्शन की जरूरत नहीं पड़ती है. इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के अनुसार यह तकनीक पहले से मौजूदा दवा योजनाओं की तुलना में काफी सुरक्षित और किफायती है. इसके अलावा इसकी सबसे खास बात यह है कि सरकार इन दावाओं को मुफ्त उपलब्ध कराती है.
क्या होता है मल्टी ड्रग रेसिस्टेंट टीबी?
मल्टी ड्रग रेसिस्टेंट टीबी तब होती है जब टीबी के बैक्टीरिया आम दावाओं जैसे आइसोनियाजिड और रिफैम्पिसिन के असर से बच जाते हैं. यह स्थिति तब होती है जब मरीज टीबी का इलाज अधूरा छोड़ देते हैं या दवा का गलत इस्तेमाल करते हैं. इस बीमारी में इंफेक्शन धीरे-धीरे फैलता है और इसके इलाज का असर भी बहुत कम हो जाता है. इस बीमारी के लक्षणों में लगातार 3 सप्ताह से ज्यादा समय तक खांसी रहना, खून के साथ खांसी आना, तेज बुखार, रात में पसीना आना, वजन में अचानक गिरावट, थकान, कमजोरी और सीने में दर्द शामिल है.
केंद्र सरकार ने दी मंजूरी
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने पीएम मोदी के 2025 तक टीबी उन्मूलन के लक्ष्य के तहत बीपीएएलएम योजना को हरी झंडी दी. इस नई तकनीक से देश भर में करीब 75,000 एमडीआर टीबी मरीजों को कम समय वाले इलाज का फायदा मिलेगा. मंत्रालय के अनुसार जहां पहले मरीज को 20 महीने तक दवा लेनी पड़ती थी वहीं अब केवल 6 महीने में ही इसका इलाज पूरा हो सकेगा. वहींअगर आप इस दवा को सरकारी हॉस्पिटल से लेते हैं तो यह आपको मुफ्त में उपलब्ध कराई जाएगी.
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Disclaimer: यह जानकारी रिसर्च स्टडीज और विशेषज्ञों की राय पर आधारित है. इसे मेडिकल सलाह का विकल्प न मानें. किसी भी नई गतिविधि या व्यायाम को अपनाने से पहले अपने डॉक्टर या संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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