Foot Itching Liver Symptoms: हाथों और पैरों में होने वाली खुजली को ज्यादातर लोग सूखी त्वचा, एलर्जी या मामूली जलन समझकर नज़रअंदाज कर देते हैं. लेकिन अगर खुजली लगातार बनी रहे, कोई स्पष्ट वजह न दिखे, और त्वचा पर रैश भी न हों, तो यह शरीर के अंदर छिपी किसी बड़ी समस्या का संकेत हो सकता है. डॉक्टरों के मुताबिक हथेलियों और तलवों पर होने वाली ऐसी खुजली लिवर की बीमारी का शुरुआती लक्षण हो सकती है. लिवर की काम करने की क्षमता कम होने पर शरीर में बाइल एसिड जमा होने लगते हैं, जो त्वचा की नसों को चिढ़ा देते हैं और तेज खुजली की वजह बनते हैं. अगर यह खुजली रात में बढ़ जाए, मॉइस्चराइजर से शांत न हो या साथ में थकान और पीलिया जैसे लक्षण दिखें, तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लेना ज़रूरी है.

पैरों में खुजली क्यों?

लिवर ठीक से काम न करे तो टॉक्सिन्स और बाइल एसिड खून में बढ़ने लगते हैं. ये पदार्थ त्वचा की नसों को प्रभावित करते हैं, जिससे हथेलियों और पैरों के तलवों में तेज और लगातार खुजली होती है. इस तरह की खुजली को “कोलेस्टैटिक प्र्यूरिटस” कहा जाता है और कई बार बिना रैश के भी होती है. यह स्थिति अक्सर कई बीमारियों में देखी जाती है, जिसमें प्राइमरी बिलियरी कोलैंजाइटिस, प्राइमरी स्क्लेरोजिंग कोलैंजाइटिस, और प्रेग्नेंसी के दौरान होने वाला इंट्राहेपैटिक कोलेस्टेसिस. लिवर की बीमारी में खुजली क्यों होती है? वैज्ञानिकों ने बताई ये छुपी हुई वजहें

लिवर से जुड़ी बीमारियों में होने वाली खुजली  को लेकर अभी तक साइंटिस्ट कोई एक कारण तय नहीं कर पाए हैं. एक्सपर्ट का मानना है कि इसके पीछे कई अलग-अलग कारण एक साथ काम करते हैं.

 बाइल सॉल्ट का जमा होना

जब लिवर कमजोर पड़ता है, तो बाइल सॉल्ट शरीर में ठीक से फिल्टर नहीं हो पाते और त्वचा के नीचे जमा होने लगते हैं. इससे नसों पर असर पड़ता है और तेज खुजली शुरू हो सकती है. हालांकि यह भी सच है कि कई लोगों में बाइल सॉल्ट बढ़ने के बावजूद खुजली नहीं होती और कुछ लोग सामान्य स्तर होने पर भी खुजली महसूस करते हैं.

 हिस्टामीन का बढ़ जाना

लिवर से जुड़ी खुजली वाले कई मरीजों में हिस्टामीन का स्तर बढ़ा हुआ पाया जाता है. लेकिन दिलचस्प बात यह है कि एंटीहिस्टामीन दवाएं अक्सर इससे राहत नहीं दे पातीं.

 सेरोटोनिन की भूमिका

सेरोटोनिन दिमाग में खुजली का अहसास बढ़ा सकता है. कुछ रिसर्च बताते हैं कि यह नर्वस सिस्टम के खास रिसेप्टर्स पर असर डालकर खुजली की अनुभूति को तेज कर देता है. यही वजह है कि कई बार लिवर की बीमारी में खुजली का इलाज मुश्किल हो जाता है.

प्रेग्नेंसी या हार्मोन थेरेपी

गर्भावस्था के दौरान या हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी के समय हार्मोनल बदलाव खुजली को बढ़ा सकते हैं. यह भी लिवर के बाइल फ्लो में बदलाव से जुड़ा पाया गया है.

लिवर से जुड़ी खुजली कैसे पहचाने?

नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन में प्रकाशित एक स्टडी के अनुसार, अगर खुजली छह हफ्ते से ज्यादा बनी रहे तो यह क्रॉनिक प्र्यूरिटस की श्रेणी में आती है. आम खुजली और लिवर की वजह से होने वाली खुजली में कुछ फर्क होते हैं, जैसे कि 

  •  बिना रैश के खुजली
  • रात में ज्यादा बढ़ती है
  • हाथों और पैरों से शुरू होना

खुजली कम करने के तरीके

  • त्वचा को ज्यादा न खुजलाएं इससे इंफेक्शन हो सकता है.
  • अगर रात में खुजलाने की आदत है, तो सोते समय हल्के दस्ताने पहनें.
  • गुनगुने या ठंडे पानी से स्नान करें, गर्म पानी से बचें.
  • सर्द मौसम में कमरे में ह्यूमिडिफायर का इस्तेमाल करें.

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Disclaimer: यह जानकारी रिसर्च स्टडीज और विशेषज्ञों की राय पर आधारित है. इसे मेडिकल सलाह का विकल्प न मानें. किसी भी नई गतिविधि या व्यायाम को अपनाने से पहले अपने डॉक्टर या संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

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