हद में रहें! एशिया कप में IND vs PAK मैच से पहले वसीम अकरम ने दी वार्निंग, जानें क्या कहा

हद में रहें! एशिया कप में IND vs PAK मैच से पहले वसीम अकरम ने दी वार्निंग, जानें क्या कहा


एशिया कप 2025 में भारत और पाकिस्तान एक ही ग्रुप में शामिल हैं, उनके साथ ओमान और यूएई ग्रुप ए में हैं. 9 सितंबर से शुरू होने जा रहे इस टूर्नामेंट में सबसे ज्यादा इंतजार भारत बनाम पाकिस्तान मैच का ही किया जा रहा है. इस महा-मुकाबले से पहले पाकिस्तान के पूर्व तेज गेंदबाज वसीम अकरम ने फैंस और क्रिकेटर्स से भावुक अपील की है.

जब भी भारत और पाकिस्तान की क्रिकेट टीम मैदान पर भिड़ती है तो रोमांच चरम पर होता है, मैदान से लेकर लोगों एक घरों तक, माहौल अलग ही हो जाता है. वसीम अकरम ने दोनों टीमों के खिलाड़ियों और फैंस से अपनी भावनाओं को काबू में रखने की भावुक अपील की है.

भारत बनाम पाकिस्तान मैच को लेकर वसीम अकरम ने क्या कहा?

टेलिकॉम एशिया स्पोर्ट्स से बात करते हुए वसीम अकरम ने कहा, “मुझे भरोसा है कि ये भारत बनाम पाकिस्तान के अन्य मैचों की तरह ही शानदार होगा. मुझे यकीन हैं कि दोनों टीमों के प्लेयर्स और फैंस अपनी-अपनी हद में रहेंगे.” अकरम ने ये बात दोनों देशों के बीच तनावपूर्ण हालत को देखते हुए कही.

अकरम ने आगे कहा, “भारत बनाम पाकिस्तान मैच को दुनिया भर के अरबों लोग देखते हैं. मैं चाहता हूं कि मैच के दौरान प्लेयर्स और दर्शक अनुशासन दिखाए.” अकरम ने माना है कि अभी भारतीय टीम मजबूत है और उन्होंने टीम इंडिया को खिताब का प्रबल दावेदार माना.

बाबर आजम की कमी खलेगी

एशिया कप के लिए पाकिस्तान टीम में बाबर आजम और मोहम्मद रिजवान को जगह नहीं मिली है. अकरम का मानना है कि पाकिस्तान को बाबर आजम की कमी खलेगी. उनोहने कहा “व्यक्तिगत रूप से मैं टीम में बाबर को देखना चाहता था, लेकिन वह चुने नहीं गए. अब टीम में चुने गए प्लेयर्स को आगे बढ़कर अच्छा प्रदर्शन करना होगा.”

भारत बनाम पाकिस्तान मैच कब और कहां होगा?

एशिया कप 2025 में भारत बनाम पाकिस्तान मैच 14 सितंबर को दुबई इंटरनेशनल क्रिकेट स्टेडियम में खेला जाएगा. ये मैच भारतीय समयनुसार शाम 7:30 बजे से शुरू होगा. दोनों के बीच टूर्नामेंट में कुल 3 मैच हो सकते हैं. एक मैच तय हैं और अगर दोनों सुपर 4 में पहुंची तो 2 और अगर दोनों फाइनल तक गई तो फिर 15 दिनों के अंदर हमें 3 बार भारत बनाम पाकिस्तान देखने को मिलेंगे.

एशिया कप के लिए भारत का स्क्वॉड

सूर्यकुमार यादव (कप्तान), शुबमन गिल, अभिषेक शर्मा, तिलक वर्मा, हार्दिक पंड्या, शिवम दुबे, जितेश शर्मा, अक्षर पटेल, जसप्रित बुमरा, वरुण चक्रवर्ती, अर्शदीप सिंह, कुलदीप यादव, संजू सैमसन, हर्षित राणा, रिंकू सिंह.

एशिया कप के लिए पाकिस्तान का स्क्वॉड

सलमान अली आगा (कप्तान), अबरार अहमद, फहीम अशरफ, फखर जमान, हारिस रऊफ, हसन अली, हसन नवाज, हुसैन तलत, खुशदिल शाह, मोहम्मद हारिस, मोहम्मद नवाज, मोहम्मद वसीम जूनियर, साहिबजादा फरहान, सईम अयूब, सलमान मिर्जा, शाहीन अफरीदी, सुफयान मोकिम.



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रेडियोलॉजी में बढ़ा AI का इस्तेमाल, फायदे के साथ डरा रहा यह खतरा

रेडियोलॉजी में बढ़ा AI का इस्तेमाल, फायदे के साथ डरा रहा यह खतरा


आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का इस्तेमाल हर फील्ड में बढ़ रहा है और मेडिकल फील्ड भी इससे अलग नहीं है. खासकर रेडियोलॉजी यानी एक्स-रे, एमआरआई जैसे टेस्ट की जांच में AI का इस्तेमाल तेजी से बढ़ रहा है. हालांकि, इसके साथ मरीजों की गोपनीयता और डेटा की सुरक्षा को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं. हाल ही में इंडियन जर्नल ऑफ रेडियोलॉजी एंड इमेजिंग में पब्लिश आर्टिकल में डॉ. सुव्रंकर दत्ता (KCDH, अशोका यूनिवर्सिटी) और डॉ. प्रदोष कुमार सारंगी (AIIMS देवघर) ने इस बारे में विस्तार से बात की. उन्होंने चेतावनी दी कि AI के इस्तेमाल में तेजी तो आ रही है, लेकिन इसकी सही जांच और मूल्यांकन उतनी तेजी से नहीं हो रहा है. उनका कहना है कि अगर AI को रेडियोलॉजी में सही तरीके से इस्तेमाल करना है तो इसके लिए फेज वाइज स्ट्रैटिजी बनाने की जरूरत है.

रेडियोलॉजी में AI कैसे कर रहा है मदद?

रेडियोलॉजी में AI और बड़े लैंग्वेज मॉडल (LLMs) का इस्तेमाल कई तरह से हो रहा है. ये तकनीक डॉक्टरों को रिपोर्ट बनाने, मरीजों की जांच करने और अस्पताल के कामकाज को आसान बनाने में मदद कर रही हैं. उदाहरण के लिए AI की मदद से एक्सरे या एमआरआई की तस्वीरों को जल्दी और सटीक तरीके से समझा जा सकता है. ये तकनीक न सिर्फ समय बचाती हैं, बल्कि डॉक्टरों को बेहतर फैसले लेने में भी मदद करती हैं. हालांकि, इसके साथ कुछ चुनौतियां भी हैं, जिनमें सबसे बड़ी चिंता मरीजों के डेटा की सुरक्षा है.

क्या है दिक्कत की वजह?

जब AI मॉडल क्लाउड पर काम करते हैं तो मरीजों की निजी जानकारी जैसे उनकी मेडिकल हिस्ट्री या टेस्ट की रिपोर्ट देश की सीमाओं से बाहर जा सकती है. इससे प्राइवेसी को खतरा हो सकता है. भारत का डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन एक्ट 2023 साफ कहता है कि मरीज की सहमति के बिना उनका संवेदनशील डेटा विदेश नहीं भेजा जा सकता. ऐसे में डॉ. दत्ता और डॉ. सारंगी का सुझाव है कि AI मॉडल को स्थानीय स्तर पर यानी अस्पताल के अंदर ही बनाया और चलाया जाए. इससे डेटा सुरक्षित रहेगा और कानूनी नियमों का पालन भी हो सकेगा.

3-स्टेप रोडमैप हो सकता है कारगर

डॉक्टरों ने AI को सुरक्षित और प्रभावी ढंग से इस्तेमाल करने के लिए 3-स्टेप रोडमैप बनाने की सलाह दी है. आइए इसके बारे में जानते हैं.

  • इस्तेमाल से पहले (Pre-deployment): AI सिस्टम को इस्तेमाल करने से पहले उसकी पूरी तरह जांच होनी चाहिए. इसमें तकनीकी टेस्ट के साथ-साथ सुरक्षा से जुड़े सभी पहलुओं की जांच शामिल है. यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि AI सिस्टम सही और सुरक्षित तरीके से काम कर रहा है.
  • इस्तेमाल के दौरान (Deployment): जब AI सिस्टम का इस्तेमाल अस्पताल में शुरू हो जाए तो इसे नियंत्रित तरीके से लागू करना चाहिए. इसका मतलब है कि शुरुआत में इसे छोटे स्तर पर आजमाया जाए, ताकि कोई गलती हो तो उसे जल्दी पकड़ा जा सके.
  • इस्तेमाल के बाद (Post-deployment): AI सिस्टम को लगातार मॉनिटर करना जरूरी है. इसके प्रदर्शन की जांच होनी चाहिए और अगर कोई कमी दिखे तो उसे तुरंत ठीक किया जाना चाहिए.

AI और अस्पताल के सिस्टम का तालमेल

डॉक्टरों का कहना है कि AI को अस्पताल के मौजूदा सिस्टम जैसे इलेक्ट्रॉनिक हेल्थ रिकॉर्ड (EHR) और रिपोर्टिंग सिस्टम के साथ जोड़ना बहुत जरूरी है. अगर AI को अलग-अलग प्लेटफॉर्म पर चलाना पड़ा तो डॉक्टरों का समय और मेहनत दोनों बढ़ सकते हैं. इसके अलावा एजेंटिक वर्कफ्लो नाम की नई तकनीक से AI खुद कई काम कर सकता है. जैसे वह गाइडलाइंस ढूंढ सकता है, फैसले लेने में मदद कर सकता है और मरीजों के लिए फॉलो-अप शेड्यूल बना सकता है. शुरुआती टेस्ट में यह तरीका काफी तेज और उपयोगी साबित हुआ है. हालांकि, इसमें एक दिक्कत है. अगर AI किसी स्टेप में गलती करता है तो वह गलती आगे के स्टेप्स में ज्यादा बढ़ सकती है. ऐसे में AI टूल्स की सख्त जांच और विशेषज्ञ डॉक्टरों की निगरानी बहुत जरूरी है.

AI का काम मदद करना, जगह लेना नहीं

डॉ. दत्ता और डॉ. सारंगी ने साफ किया है कि AI का मकसद डॉक्टरों की जगह लेना नहीं है. इसका काम डॉक्टरों की मदद करना, उनके काम को आसान बनाना और तेज करना है. आखिरी फैसला हमेशा रेडियोलॉजिस्ट को ही लेना चाहिए. AI बस एक टूल है, जो डॉक्टरों को सही जानकारी देने और उनके काम को बेहतर बनाने में मदद करता है.

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Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

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RCB ने क्यों निकाला था मोहम्मद सिराज को बाहर? टीम डायरेक्टर ने किया बड़ा खुलासा

RCB ने क्यों निकाला था मोहम्मद सिराज को बाहर? टीम डायरेक्टर ने किया बड़ा खुलासा


तेज गेंदबाज मोहम्मद सिराज इस बार आईपीएल में गुजरात टाइटंस के लिए खेले थे. इससे पहले वह 7 सालों तक रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु टीम का हिस्सा थे. लेकिन ऑक्शन से पहले सिराज को आरसीबी ने रिलीज कर दिया था. इतना ही नहीं, बल्कि आरसीबी ने ऑक्शन में उन्हें खरीदने की ज्यादा कोशिश भी नहीं की थी. अब टीम के डायरेक्टर मो बोबाट इसको लेकर टीम की रणनीति का खुलासा किया.

आरसीबी टीम डायरेक्टर मो बोबाट ने क्रिकबज से बात करते हुए कहा कि अगर उनकी टीम मोहम्मद सिराज को रिटेन करती तो भुवनेश्वर कुमार को हासिल करना मुश्किल होता, जिन्हे वह खरीदना चाहती थी. बता दें कि 11 सीजन लगातार सनराइजर्स हैदराबाद के लिए खेलने के बाद भुवनेश्वर इस साल आरसीबी के लिए खेले थे. आरसीबी ने उन्हें 10.75 करोड़ रुपये में खरीदा था.

RCB ने मोहम्मद सिराज को क्यों रिटेन नहीं किया था?

क्रिकबज से बात करते हुए बोबाट ने कहा, “मोहम्मद सिराज वो खिलाड़ी हैं, जिनके बारे में हमने सबसे ज्यादा विचार किया था. भारतीय तेज गेंदबाज आईपीएल में आसानी से नहीं मिल पाते. हमने हर उस स्थिति पर चर्चा की, जो संभव थी. रिटेन, रिलीज़ के साथ उन पर RTM (राइट टू मैच) पर भी चर्चा हुई, ये सीधा फैसला नहीं था. हम भुवनेश्वर कुमार को पारी के दोनों छोर पर लाने की कोशिश कर रहे थे, अगर सिराज को टीम में रखते तो ये मुश्किल होता. किसी एक कारण से ऐसा नहीं होता, इसमें कई कारकों की भूमिका रहती है.”

सिराज ने इस साल गुजरात टाइटंस के लिए खेले 15 मैचों में 16 विकेट लिए, हालांकि उनका इकॉनमी 9.24 का रहा. सिराज ने आईपीएल में 7 सीजनों में आरसीबी के लिए कुल 87 मैच खेले, इसमें उनके नाम 99 विकेट्स हैं.

वहीं आरसीबी के टीम डायरेक्टर ने ये भी खुलासा किया कि कैमरून ग्रीन को सिर्फ चोट के कारण रिटेन नहीं किया गया. अगर ऑस्ट्रेलियाई ऑलराउंडर फिट होता तो आरसीबी उन्हें जरूर रिटेन कर लेती.

RCB ने जीता अपना पहला खिताब

खैर, रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु की रणनीति काम आई और उन्होंने 18 साल बाद अपना पहला आईपीएल खिताब जीता. आरसीबी ने फाइनल में पंजाब को हराया. विराट कोहली आरसीबी के लिए सबसे ज्यादा रन बनाने वाले खिलाड़ी थे, उन्होंने 15 परियों में 657 रन बनाए. गेंदबाजी में आरसीबी के लिए सबसे ज्यादा विकेट जोश हेजलवुड ने लिए, उन्होंने 12 पारियों में 22 विकेट लिए थे.



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रिंकू सिंह और प्रिया सरोज की शादी कब? क्रिकेटर ने दिया ये जवाब, कहा- ‘उन्होंने पहले मेरी…’

रिंकू सिंह और प्रिया सरोज की शादी कब? क्रिकेटर ने दिया ये जवाब, कहा- ‘उन्होंने पहले मेरी…’


एशिया कप स्क्वॉड में शामिल रिंकू सिंह अभी यूपी टी20 लीग में खेल रहे हैं. मेरठ मावेरिक्स के कप्तान रिंकू की इसी साल सांसद प्रिया सरोज के साथ सगाई हुई है. दोनों की शादी इसी साल नवंबर में फिक्स थी. हाल ही में दिए इंटरव्यू में रिंकू ने बताया कि उनकी प्रिया के साथ बातचीत कैसे शुरू हुई, मुलाकात कैसे हुई और कब उन्होंने सोचा कि उन्हें प्रिया से शादी करनी है.

27 वर्षीय भारतीय क्रिकेटर रिंकू सिंह आईपीएल में कोलकाता नाइट राइडर्स के लिए खेलते हैं, अभी वह यूपी टी20 लीग में मेरठ के कप्तान हैं. इसके बाद वह एशिया कप के लिए यूएई रवाना हो जाएंगे. यानी उनका एक बिजी शेड्यूल है, इस वजह से उनकी शादी फिक्स तारीख पर नहीं हो पा रही है. हालांकि अब रिंकू ने खुद इस पर जवाब दिया है.

रिंकू सिंह और प्रिया सरोज की लव स्टोरी

रिंकू सिंह ने एक इंटरव्यू में बताया कि प्रिया सरोज के साथ उनकी बातचीत इंस्टाग्राम से शुरू हुई. रिंकू ने प्रिया को पहले मैसेज भेजा था, लेकिन प्रिया की तरफ से पहल हुई थी और उन्होंने रिंकू की कुछ फोटो लाइक की थी.

रिंकू ने कहा, “कहानी 2022 से शुरू हुई, जब कोरोना के कारण आईपीएल पूरा मुंबई में हुआ था. मेरा एक फैन पेज था, जिसने प्रिया की फोटो डाली थी. उसके गांव में कुछ वोटिंग का चल रहा था. मैंने प्रिया की फोटो देखी और मुझे अच्छी लगी. मुझे लगा कि ये मेरे लिए परफेक्ट है, मैंने सोचा कि मैसेज कर दूँ लेकिन फिर सोचा कि नहीं अच्छा नहीं लगेगा ऐसे. तो उसने पहले मेरे एक दो फोटो लाइक करे. तो मैंने फिर मैसेज कर दिया और वहां से शुरुआत हो गई. फिर उधर से भी तुरंत जवाब आ गया, 1 हफ्ते बाद से हमारी रेगुलर बातचीत शुरू हो गई. मुझे उनसे प्यार हो गया.

कब है रिंकू सिंह और प्रिया सरोज की शादी?

आपकी शादी इसी साल है? इस पर रिंकू सिंह ने कहा, “देखते अभी तो क्या होता है कब होती है शादी. क्योंकि अभी डोमेस्टिक क्रिकेट चालू हो रहा है न, नवंबर में बोला था शादी के लिए लेकिन अब देखते हैं कि कब होती है. नवंबर के बाद भी 4-5 महीने पूरा शेड्यूल बिजी है.”



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हफ्ते में दो से तीन बार खाते हैं छोले-भटूरे, जानें कितना होता है बॉडी को नुकसान?

हफ्ते में दो से तीन बार खाते हैं छोले-भटूरे, जानें कितना होता है बॉडी को नुकसान?


भारतीय स्ट्रीट फूड्स की बात हो और छोले-भटूरे का नाम न आए, ऐसा हो ही नहीं सकता. गर्मागर्म छोले और फूले हुए भटूरे का स्वाद हर किसी को पसंद आता है. यह स्वादिष्ट डिश दिल्ली, पंजाब और उत्तर भारत के ज्यादातर हिस्सों में बेहद लोकप्रिय है. लेकिन अगर आप हफ्ते में दो से तीन बार छोले-भटूरे खाते हैं, तो यह आपकी सेहत पर बुरा असर डाल सकता है. चलिए आपको बताते हैं कि छोला-भटूरा खाना आपकी सेहत के लिए कितना खतरनाक साबित हो सकता है. 

छोले-भटूरे क्यों है अनहेल्दी?

भटूरे मैदा से बनाए जाते हैं और इन्हें डीप फ्राई किया जाता है. ऐसे खाने में ऑयल और कैलोरी की मात्रा बहुत ज्यादा होती है. वहीं, छोले में मसालों और तेल का इस्तेमाल भरपूर किया जाता है, जिससे यह हैवी हो जाता है. नियमित रूप से इसे खाने से शरीर को कई समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है.

वजन बढ़ने का खतरा

छोले-भटूरे में हाई कैलोरी और कार्बोहाइड्रेट होते हैं. अगर आप हफ्ते में कई बार इसे खाते हैं, तो आपका वजन तेजी से बढ़ सकता है. यह मोटापे का कारण बनकर आगे चलकर डायबिटीज और हार्ट प्रॉब्लम का खतरा बढ़ा देता है.

पाचन संबंधी दिक्कतें

यह डिश बहुत ऑयली और मसालेदार होती है. ज्यादा बार खाने से गैस, एसिडिटी, पेट फूलना और अपच जैसी समस्याएं हो सकती हैं. खासकर जिनका पाचन कमजोर है, उन्हें यह तुरंत परेशान कर सकता है.

कोलेस्ट्रॉल और हार्ट की समस्या

डीप फ्राइड भटूरे में ट्रांस फैट्स की मात्रा अधिक होती है. इसे बार-बार खाने से शरीर में खराब कोलेस्ट्रॉल (LDL) बढ़ता है और अच्छा कोलेस्ट्रॉल (HDL) कम हो जाता है. इससे दिल की बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है.

ब्लड शुगर लेवल पर असर

भटूरे मैदे से बने होते हैं, जो ब्लड शुगर लेवल को तेजी से बढ़ा देते हैं. डायबिटीज के मरीजों के लिए यह बेहद नुकसानदायक साबित हो सकता है.

क्या करें?

  • छोले-भटूरे को हफ्ते में एक बार से ज्यादा न खाएं.
  • कोशिश करें कि इसे घर पर कम तेल और हेल्दी आटे से बनाएं.
  • खाने के बाद हल्की सैर जरूर करें ताकि पाचन सही रहे.
  • अपनी डाइट में हरी सब्जियां, फल और पर्याप्त पानी शामिल करें.

एक्सपर्ट्स क्या कहते हैं?

हेल्थ एक्सपर्ट्स मानते हैं कि छोले-भटूरे स्वादिष्ट जरूर हैं, लेकिन इन्हें बार-बार खाना सेहत के लिए सही नहीं है. यह भोजन कभी-कभी खाने में नुकसान नहीं करता, लेकिन इसकी आदत डाल लेना मोटापा, डायबिटीज और हार्ट डिजीज जैसी दिक्कतें पैदा कर सकता है.

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Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

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