ल्यूकेमिया रक्त कैंसर का एक प्रकार है, जिसमें अस्थि मज्जा (Bone Marrow) में असामान्य रक्त कोशिकाओं की अनियंत्रित वृद्धि होती है. ये कोशिकाएं आमतौर पर अपरिपक्व श्वेत रक्त कोशिकाएं होती हैं, जो संक्रमण से लड़ने की क्षमता को प्रभावित करती हैं. ल्यूकेमिया के प्रकार और उपचार पद्धति इसकी तीव्रता और प्रभावित कोशिकाओं के आधार पर भिन्न होती हैं. इस बारे में ज्यादा जानकारी दे रहे हैं इंदौर स्थित कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी अस्पताल के कंसल्टेंट, मेडिकल ऑन्कोलॉजिस्ट, हेमैटो एवं रेडिएशन ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ. एस. पी. श्रीवास्तव.
ल्यूकेमिया के प्रकार
ल्यूकेमिया को मुख्य रूप से चार प्रमुख प्रकारों में वर्गीकृत किया जाता है:
1. तीव्र लिम्फोसाइटिक ल्यूकेमिया (Acute Lymphocytic Leukemia – ALL): यह बच्चों, किशोरों और युवा वयस्कों (39 वर्ष तक) में सबसे आम है.
2. तीव्र माइलोजेनस ल्यूकेमिया (Acute Myeloid Leukemia – AML): वयस्कों में यह सबसे अधिक पाया जाता है, विशेषकर 65 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों में.
3. क्रोनिक लिम्फोसाईटिक ल्यूकेमिया (Chronic Lymphocytic Leukemia – CLL): यह वयस्कों में सबसे आम क्रोनिक ल्यूकेमिया है, जिसका प्रभाव दीर्घकालिक हो सकता है.
4. क्रोनिक माइलोजेनस ल्यूकेमिया (Chronic Myeloid Leukemia – CML): यह वृद्ध वयस्कों में अधिक पाया जाता है लेकिन किसी भी उम्र के व्यक्ति को प्रभावित कर सकता है.
ल्यूकेमिया के लक्षण
ल्यूकेमिया के लक्षण धीरे-धीरे विकसित हो सकते हैं और इसमें शामिल हो सकते हैं:
● अत्यधिक थकान और कमजोरी
● बुखार या रात में पसीना आना
● बार-बार संक्रमण होना
● त्वचा का पीला पड़ना
● सांस लेने में कठिनाई
● हड्डियों और जोड़ों में दर्द
● बिना कारण वजन घटना
● लिम्फ नोड्स में सूजन
● नाक और मसूड़ों से खून आना
● त्वचा पर लाल या बैंगनी धब्बे
ल्यूकेमिया के कारण और जोखिम कारक
ल्यूकेमिया तब उत्पन्न होता है जब अस्थि मज्जा में एक कोशिका का डीएनए (DNA) बदल जाता है, जिससे कोशिकाएं अनियंत्रित रूप से विभाजित होने लगती हैं. कुछ जोखिम कारक इसमें सहायक हो सकते हैं:
● पूर्व में कैंसर का इलाज (कीमोथेरेपी, रेडिएशन थेरेपी)
● धूम्रपान और तंबाकू सेवन
● औद्योगिक रसायनों (बेंजीन, फॉर्मेल्डिहाइड) के संपर्क में आना
● आनुवंशिक विकार जैसे डाउन सिंड्रोम
ल्यूकेमिया का टेस्ट
ल्यूकेमिया के निदान के लिए निम्नलिखित परीक्षण किए जाते हैं:
● शारीरिक परीक्षण: लक्षणों की पहचान और लिम्फ नोड्स की जांच
● पूर्ण रक्त गणना (CBC): रक्त कोशिकाओं की संख्या और संरचना की जांच
● फ्लो साइटोमेट्री और परिधीय रक्त स्मीयर: असामान्य रक्त कोशिकाओं की उपस्थिति की जांच
● अस्थि मज्जा बायोप्सी: अस्थि मज्जा से नमूना लेकर विस्तृत विश्लेषण
● इमेजिंग परीक्षण (CT स्कैन, MRI, PET स्कैन): कैंसर की अवस्था को समझने के लिए
● काठ पंचर (Lumbar Puncture): यह जांच यह देखने के लिए की जाती है कि कैंसर मस्तिष्कमेरु द्रव (Cerebrospinal Fluid) तक फैला है या नहीं.
ल्यूकेमिया का उपचार
ल्यूकेमिया का उपचार मरीज की उम्र, स्वास्थ्य स्थिति, ल्यूकेमिया के प्रकार और कैंसर की अवस्था पर निर्भर करता है. प्रमुख उपचार विकल्पों में शामिल हैं:
1. कीमोथेरेपी (Chemotherapy): कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने के लिए दवाओं का उपयोग.
2. इम्यूनोथेरेपी (Immunotherapy): शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को कैंसर कोशिकाओं से लड़ने के लिए सक्रिय करना.
3. लक्षित चिकित्सा (Targeted Therapy): कैंसर कोशिकाओं को विशेष रूप से प्रभावित करने वाली दवाएँ.
4. विकिरण चिकित्सा (Radiation Therapy): उच्च-ऊर्जा किरणों द्वारा कैंसर कोशिकाओं का विनाश.
5. हेमेटोपोएटिक स्टेम सेल ट्रांसप्लांट (Stem Cell Transplantation): अस्थि मज्जा प्रत्यारोपण, जिसमें अस्वस्थ अस्थि मज्जा को स्वस्थ स्टेम कोशिकाओं से प्रतिस्थापित किया जाता है.
6. चिमेरिक एंटीजन रिसेप्टर (CAR) टी-सेल थेरेपी: शरीर की प्रतिरक्षा कोशिकाओं को संशोधित कर कैंसर कोशिकाओं से लड़ने में सक्षम बनाना.
ल्यूकेमिया एक गंभीर लेकिन उपचार योग्य बीमारी है. प्रारंभिक निदान और उचित चिकित्सा से मरीजों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाया जा सकता है. समय पर जांच और स्वस्थ जीवनशैली अपनाकर इस बीमारी के जोखिम को कम किया जा सकता है. यदि आपको ल्यूकेमिया से संबंधित कोई लक्षण महसूस हो रहे हैं, तो शीघ्र ही किसी विशेषज्ञ डॉक्टर से परामर्श लें.
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