Epilepsy Risk Factors: मिर्गी की बीमारी आज बड़ी समस्या बनकर उभरी है. इस बीमारी की कमी होने के चलते ज्यादातर लोग झाड़-फूंक के चक्कर में फंसकर इसे सही कराने की कोशिश करते हैं. हेल्थ एक्सपर्ट्स ऐसी गलती करने से बचने की सलाह देते हैं. उनका कहना है कि मिर्गी (Epilepsy) दिमागी बीमारी है. ब्रेन के फंक्शन में गड़बड़ी होने की वजह से ये समस्या शुरू होती है. कई मामलों में मिर्गी जेनेटिक भी हो सकती है. मतलब अगर परिवार में पहले से किसी को मिर्गी की समस्या रही है तो वह आने वाली पीढ़ी या परिवार के दूसरे सदस्यों को भी हो सकती है. हालांकि, बहुत से लोग इससे अनजान हैं…

 

मिर्गी की बीमारी कितनी खतरनाक

डॉक्टरों के मुताबिक, अगर सही समय पर मिर्गी का इलाज करवाया जाए तो 80-90 परसेंट मरीजों में ये बीमारी कंट्रोल हो जाती है लेकिन कई लोग बीच में ही इलाज छोड़कर चले जाते हैं, जिससे ये बीमारी गंभीर रूप ले सकती है. अचानक से बेहोश हो जाना, भूलने की समस्या मिर्गी के लक्षण हैं, ऐसा होने पर बिना देर किए डॉक्टर को दिखाना चाहिए.

 

जेनेटिक है मिर्गी की बीमारी

हेल्थ एक्सपर्ट्स के अनुसार, मिर्गी एक जेनेटिक बीमारी भी है. इसके करीब 70 प्रतिशत मामले जेनेटिक कारण से ही जुड़े होते हैं. हाल ही में आए एक रिसर्च में बताया गया है कि शरीर में मौजूद 977 जीन मिर्गी से जु़ड़े हैं. इन्हें फेनोटाइप के आधार पर 4 भागों में बांटा गया है. जिनमें से 84 जीन को डॉक्टर मिर्गी जीन मानते हैं, जो मिर्गी आने का कारण बनते हैं. ऐसे में अगर फैमिली में किसी को मिर्गी की समस्या है तो आने वाली पीढ़ी में भी हो सकती है. इसलिए पैरेंट्स को बच्चों का खास ख्याल रखना चाहिए.

 

मिर्गी क्यों गंभीर समस्या

डॉक्टर के अनुसार, मिर्गी को लेकर आज भी लोगों में जानकारी की कमी है. मिर्गी के मरीजों का झाड़-फूंक करवाया जाता है. कुछ लोग तो जूते तक सूंघा देते हैं. हालांकि, ऐसा करना गलत है.  चूंकि यह एक दिमागी बीमारी है, इसलिए समय पर इलाज जरूरी है, तभी इसे कंट्रोल किया जा सकता है.

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